BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इमरजेंसी के ऊपर बने रूम में अपहरण व रेप की पीडि़ताओं से मुलाकात में पुलिस खेल कर रही है। पुलिस पीडि़ताओं की देखरेख के लिए तैनात की गई है, लेकिन सिक्योरिटी में तैनात लेडी कांस्टेबल पीडि़ताओं को आरोपियों और उसके परिजनों से मुलाकात कराती हैं। जबकि कोर्ट ने इस पर रोक लगा रखी है ताकि पीडि़ता पर कोई दबाव न बना सके। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पीडि़ताओं के कक्ष का रियलिटी चेक किया तो सेंटिंग का सारा खेल सामने आ गया। पुलिस कर्मी के सामने ही पीडि़ताओं पर दबाव बनाकर उन्हें केस वापसी और बयान बदलने के लिए कह रहा था।

फोन पर बिजी कांस्टेबल

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एक समय में दो महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है, जिससे पीडि़ता महिलाओं से कोई बात नहीं कर सके। लेकिन हकीकत कुछ इससे अलग है। हॉस्पिटल में वेडनसडे को दोपहर करीब 12:26 बजे देखा तो एक युवक रूम की खिड़की से झांक कर पीडि़ता से बात कर रहा था। जबकि महिला कांस्टेबल दूसरी तरफ मुहं किए अपने फोन पर किसी से बात करने में बिजी थी। काफी देर बात करने के बाद कांस्टेबल ने पीछे देखा तो भी खिड़की से झांक कर बात कर रहे युवक से नहीं पूछा कि वह कौन है। काफी देर बात करने के बाद कांस्टेबल पीडि़ताओं के कमरे में झांकते हुए दूसरी तरफ चली गई। इसके बाद दूसरा युवक आया और रूम की खिड़की से झांक कर बात करता रहा। इस तरह अलग-अलग पीडि़ताओं से बात करने वाले बात करते रहते हैं। लेकिन ड्यूटी के जिम्मेदार यह पूछने की भी जहमत नहीं उठाते कि वह कौन हैं।

अय्याशी का अड्डा बना हॉस्पिटल

4 जुलाई को रात करीब 11 बजे एक युवक एक युवती के साथ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की दूसरी मंजिल पर बने महिला वार्ड के पास घूमता रहा। इसके बाद वह वहीं पर अश्लील हरकतें करने लगा। जब हॉस्पिटल कर्मियों को अपनी तरफ आता देखा तो वहां से खिसक गया। 5 जुलाई को एक करगैना निवासी एक महिला को हॉस्पिटल कर्मियों ने एक अज्ञात के साथ रंगरलियां मनाते टॉयलेट में पकड़ लिया। यह मामला सीएमओ तक पहुंचा, तो महिला ने हंगामा कर दिया। हॉस्पिटल में हंगामा की सूचना पर यूपी 100 पुलिस पहुंची तब तक महिला वहां से खिसक ली। वहीं हॉस्पिटल कर्मियों का कहना था कि यह महिला एक माह से हॉस्पिटल में घूमती रहती थी।

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पीडि़ताओं को मेडिकल के नाम पर कमरे में बंद करके रखना उनका मानसिक उत्पीड़न करना है। उनका तुरंत मेडिकल कराना चाहिए। हॉस्पिटल में पीडि़ताओं की सुरक्षा में लगी महिला पुलिस कर्मी यदि किसी को बात करने दे रही है तो बहुत गलत बात है। उसके खिलाफ कार्रवाई हाेनी चाहिए।

फहीमा यास्मीन,

समाजसेवी

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पीडि़ता की मां उससे बात कर सकती है, महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है। ताकि कोई अभियुक्त पक्ष पीडि़ता से बात न कर सके। महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी में कोई युवक बात करता है तो उसकी जांच कराई जाएगी।

रोहित सिंह सजवाण, एसपी सिटी क्राइम

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जो भी पीडि़ता हॉस्पिटल में मेडिकल के लिए आती है तो उसे हॉस्पिटल में दो-चार दिन रखकर और प्रताडि़त करना जैसा ही है। उसका तुरंत मेडिकल कराना चाहिए। वहीं पीडि़ताओं की सुरक्षा में लगे कर्मियों को चाहिए कि वह जिम्मेदारी से के ड्यूटी करें। जिससे पीडि़ताओं से मिलकर उनपर कोई दबाव न बना सके।

डॉ। हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट