45- डॉक्टर्स की पोस्ट हॉस्पिटल में है

26-डॉक्टर्स पोस्टेड है

19-पोस्ट डॉक्टर्स की है खाली

2.5-हजार से अधिक मरीज आते हैं डेली ओपीडी में

325-बेड का है हॉस्पिटल

200-से अधिक जांचें होती है डेली

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-दवा लेने के लिए सुबह से आने वाले मरीजों को लाइन में लगकर बहाना पड़ता है पसीना

-हॉस्पिटल में बेड की संख्या भी पड़ जाती है कम, एक बेड पर दो मरीज करने पड़ते हैं एडमिट

BAREILLY :

जनसंख्या बढ़ी, लेकिन हॉस्पिटल की सुविधाओं में कोई इजाफा नहीं हो सका। लिहाजा, हॉस्पिटल में मरीजों और उनके तीमारदारों की समस्याएं कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। हॉस्पिटल में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही दवा और यहां तक की बेड भी कम पड़ने लगे हैं। नतीजा यह है कि ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने से लेकर दवा लेने के लिए मरीजों की लम्बी कतार लगती है। बेड फुल होने की दशा में एडमिट होने के लिए वेटिंग लिस्ट में लगना पड़ता है। लोग सुबह से लाइन में लगते हैं तब कहीं जाकर दोपहर बाद तक इलाज और दवा मिल पाती है, वह भी आधी। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने 'कब मिलेगी आजादी' थीम पर हॉस्पिटल की सुविधाओं की हकीकत जानी तो सुविधाओं की पोल खुल गई।

बंद पड़ा है 300 बेड का हॉस्पिटल

300 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनकर तैयार हो चुका है। बिल्डिंग को बने करीब तीन वर्ष भी बीत चुके हैं, लेकिन डॉक्टर्स की नियुक्ति न हो पाने की वजह से इसका लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मरीजों की लाइन कम नहीं हो पा रही है।

वर्षो से नहीं हैं डॉक्टर्स

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में वर्षो से कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर नहीं हैं। जिसके चलते हॉस्पिटल का कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट ही बंद हो गया है। मशीने भी धूल फांक कर खराब हो चुकी है। साथ ही हॉस्पिटल में डायलिसिस, नेफ्रोलॉजी, न्यूरो सर्जन और स्किन के भी डॉक्टर्स नहीं हैं।

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सुबह 10 बजे दवा लेने के लिए आया तो एक घंटा पर्चा बनवाने में लग गया। बुखार आ रहा था, किसी तरह पर्चा बना तो डॉक्टर के पास लाइन लगाई और अब एक घंटा से दवा लेने के लिए लाइन में लगा हूं। परेशान हाे गया हूं।

चिन, देवचरा

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मुश्किल से पर्चा लेकर डॉक्टर के पास लाइन में लगा रहा, थक कर बैठा रहा तक डेढ़ घंटा बाद डॉक्टर के पास नम्बर आया और अब दवा लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। किसी तरह दवा मिल जाए।

नन्हें, भुता

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दवा लेने के लिए आना होता है तो पूरा दिन लग जाता है। मुश्किल में मरीज हॉस्पिटल पहुंचते हैं, उसके बाद लाइन में लगकर दवा मिलती है वह भी तीन-तीन घंटा। यहां तो मरीजों को लाइन में लगकर पसीना बहाना पड़ रहा है।

रनवीर, सराय तल्फी

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हॉस्पिटल में जहां जाओ बगैर लाइन के काम नहीं हो सकता है। किसी तरह लास्ट में दवा लेने काउंटर पर पहुंचों तो दुख होता है जब ही पूरी नहीं मिलती। बताया जाता है कि जो मिल गई उस पर टिक कर दिया बाकी बाहर मेडिकल पर मिलेगी।

ओमपाल, महेशपुर ठाकुरान

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हॉस्पिटल आने वाले सभी मरीजों को अच्छी सुविधा और बढि़या इलाज मिले इसके लिए प्रयासरत रहता हूं। इसके साथ सीएमएस भी इसी काम में लगे रहते हैं। किसी मरीज की शिकायत आने पर तुरंत एक्शन लिया जाता है। दवा सामान्य तौर उपलब्ध होती है। सप्लाई न आने पर दिक्कत होती है। हॉस्पिटल में सभी दवाएं लगभग आ चुकी हैं। अब मरीजों को दवाएं लगभग सभी बांटी जा रही हैं। हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की बड़ी कमी है। यदि डॉक्टर्स और नर्सिग स्टाफ स्ट्रेंथ के हिसाब से पूरा होता तो मरीजों को और बेहतर इलाज दे पाना संभव होता, लेकिन कम संसाधन के बीच ही सभी मरीजों राहत देना हमारा पहला लक्ष्य है। डॉक्टर्स की संख्या बढ़ाने के लिए शासन को पत्र लिखा जा चुका है।

डॉ। विनीत शुक्ला, सीएमओ,बरेली

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डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मरीजों को सुविधाएं बढ़ाने के लिए डायलिसिस आदि की सुविधा शुरू कराई जा रही है। डॉक्टर्स की कमी को पूरा कराने के साथ डायलिसिस यूनिट जल्द शुरू हो जाएगी। यूनिट शुरू होने से मरीजों को निजी हॉस्पिटल नहीं भागना पड़ेगा। मैंने सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखा है और कहा भी कि शहर में 300 बेड का हॉस्पिटल तैयार है, उसे जल्द शुरू करा दिया जाए। जिससे मरीजों को और अच्छा इलाज मिल सकेगा।

शहर विधायक डॉ। अरुण कुमार