प्रोफेसर की मीनिटीरिंग करेंगे डॉक्टर

पूर्वांचल में पिछले 35 साल से मौत का सबब बनी इंसेफेलाइटिस पर लगाम कसने के लिए सरकार ने कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया। बीमारी ने बच्चों के साथ सभी एज के लोगों की जिंदगी को खत्म करना शुरू कर दिया। हजारों मौत के बाद हेल्थ डिपार्टमेंट और सूबे की सरकार को सुध आई। और विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री ने इंसेफेलाइटिस से हो रही मौत को रोकने के लिए कई योजनाएं बनाई। इसी के तहत अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज जहां डेली सैकड़ों इंसेफेलाइटिस से पीड़ित मरीजों और उनके इलाज की मॉनीटिरिंग की जाएगी। इन मरीजों का इलाज मेडिकल कॉलेज के सीनियर और जूनियर डॉक्टर की टीम करती है। जिनकी मॉनीटिरिंग शासन के निर्देश पर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पांच डॉक्टर की टीम करेगी। इस टीम में दो फिजिशियन, दो पीडियाट्रिशन और एक पैथालॉजिस्ट होंगे।

भगवान भरोसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

शासन के नए फरमान से यह तो तय हो गया है कि सरकार इंसेफेलाइटिस के प्रति चिंतित है, मगर यह दूसरे मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती है। डेली पांच डॉक्टर के जाने से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भगवान भरोसे रहेगा। हॉस्पिटल में डेली 1500 से अधिक मरीजों की ओपीडी होती है। जिसमें अधिकांश मरीज फिजिशियन और पीडियाट्रिशन के पास आते है। इससे एक डॉक्टर डेली 100 से अधिक मरीज देखते है। ऐसे में जब दो फिजिशियन और दो पीडियाट्रिशन मेडिकल कॉलेज जाएंगे तो हॉस्पिटल में प्रॉब्लम तय है। मतलब सरकार का यह आदेश एक समस्या को खत्म तो नहीं कर पाएगा, मगर दूसरी समस्या को खड़ा जरूर कर देगा।

मॉनीटिरिंग के लिए अफसर क्यों नहीं

इंसेफेलाइटिस से जारी मौत को रोकने के लिए मरीजों की मॉनीटिरिंग जरूरी है। मगर इसके लिए डॉक्टर के बजाए हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसरों की ड्यूटी क्यों नहीं लगाई गई? डॉक्टर तैनात करने से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में आने वाले सैकड़ों मरीजों के लिए एक नई समस्या खड़ी हो जाएगी।

वर्जन-

शासन के निर्देशानुसार मेडिकल कॉलेज में चल रहे इंसेफेलाइटिस के मरीजों के इलाज की मॉनीटिरिंग कराई जानी है। इसके लिए पांच डॉक्टर डेली सीएमओ या डिप्टी सीएमओ की अगुवाई में बीआरडी मेडिकल कॉलेज जाएंगे। इसका मेन उद्देश्य इंसेफेलाइटिस से हो रही मौत को रोकने का प्रयास है।

डॉ। दिवाकर प्रसाद, एडी हेल्थ