- शहर में बरसों बीत गए, लेकिन जाम से नहीं मिल सकी निजात

- सभी तदबीरें हुई फेल, अब चौड़ीकरण से उम्मीद

GORAKHPUR: जाम का झाम हमेशा से ही शहरवासियों को परेशान करता आ रहा है। सिटी में स्मूथ ट्रैफिक न होने का दर्द गोरखपुराइट्स सालों से झेल रहे हैं। जिम्मेदार अफसर भी दो-चार दिन हाथ-पैर मारकर फिर बैठ जा रहे हैं। अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो मामूली सा बदलाव लाकर सिटी को जाम से निजात दिलाई जा सकती है। बस, इसके लिए पहल करने की जरूरत है। नगर निगम, जिला प्रशासन, जीडीए और पुलिस के अफसर पहल करें तो चुटकी बजाते ही समस्या का हल मिल जाएगा और लोगों को जाम के झाम से आजादी मिल जाएगी। लोगों को उम्मीद है कि उनका यह वक्त जरूर आएगा और उन्हें एक दिन जाम के झाम से आजादी मिलेगी।

पार्किंग की है कमी

सिटी में पार्किंग का अभाव लोगों को बहुत खलता है। गाडि़यों के लिए पार्किंग का इंतजाम न होने से लोग इधर-उधर गाडि़यां खड़ी कर देते हैं। ऐसे में बिजी एरिया की सड़कें भी सकरी हो जाती है। गोलघर, बेतियाहाता, बक्शीपुर, घंटाघर, विजय चौक के आसपास, अली नगर, रेती चौक, नखास, घंटाघर, असुरन, गोरखनाथ जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर पार्किग नहीं है। ज्यादातर नर्सिग होम, शार्पिग कॉम्प्लेक्स और होटल्स के साथ ही मैरिज हॉल ने भी पार्किंग नहीं बनाई है। इसकी वजह से गाडि़यां सड़कों पर पार्क होती हैं और जाम की स्थिति हो जाती है।

एनक्रोचमेंट बढ़ाता है मुश्किल

एनक्रोचमेंट भी जाम की एक अहम वजह है। सड़क, पटरियों के साथ ही जीएमसी की खाली पड़ी जगहों पर अवैध कब्जे ने हालात बद से बदतर कर दी है। गोलघर, बक्शीपुर, घंटाघर, उर्दू बाजार, पांडेयहाता, गोरखनाथ, अलीनगर सहित कई जगहों तक इतना ज्यादा एनक्रोचमेंट है कि राह चलना मुश्किल हो रहा है। सिटी में सड़कों के फुटपाथ इसी एनक्रोचमेंट की वजह से गायब हैं। ज्यादातर पटरियों पर दुकानदारों, पब्लिक का अवैध कब्जा है। कुछ जगहों पर बिजली के पोल, टेलीफोन के पुराने खंभे, जनरेटर लगे होने से आवागमन नहीं हो पाता है।

यह भी हैं वजह

- बिजी एरिया में सड़कों का ठीक न होना

- भीड़भाड़ वाले इलाकों में वनवे ट्रैफिक न होना

- नाले, नालियों का कंस्ट्रक्शन पूरा कराने में लापरवाही

- सिटी में चलने वाले टेंपो और रिक्शे की संख्या का निर्धारण न होना

- सड़कों किनारे लगी होर्डिग्स, बीच सड़क में पेड़, पोल को न हटाया जाना

- चौराहों के आसपास व्हीकल से सवारियां चढ़ाने-उतारने, राह चलते अचानक कहीं भी व्हीकल रोकना।

हमेशा से ही यहां पर जाम देखा। दो-चार दिन कोशिश नजर आती है, लेकिन फिर नजीता वही। बस यही उम्मीद लगा रखी है कि इससे निजात मिल जाएगी।

- सत्येंद्र यादव, प्रोफेशनल

सड़कों पर बेतरतीब खड़ी गाडि़यां जाम की बड़ी वजह हैं। लेकिन इसके लिए जिम्मेदार कोई ठोस कदम नहीं बढ़ाते। सिर्फ कार्रवाई का कोरम कर फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

- शिवशंकर गौड़, स्टूडेंट

जाम से आजादी दिलाने के लिए अगर कोशिश करनी है, तो फिर बड़ा और छोटा नहीं देखना होगा। जो भी रूल तोड़ रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई कर दें, तो इससे जाम से निजात मिल जाएगी।

- हसीब रहमान, प्रोफेशनल

एनक्रोचमेंट रोजाना जाम जैसी मुसीबत का सबब बनता है। मगर निगम और बाकी जिम्मेदार सिर्फ दो-चार दिन ही अभियान चलाकर अपनी ड्यूटी पूरी कर लेते हैं। निजात दिलाने से उन्हें कोई मतलब नहीं है।

अवनीश धरदुबे, स्टूडेंट