नई दिल्ली (ब्यूरो)। दिल्ली में आयोजित जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) में शामिल हुईं अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने साझा कीं फिल्म इंडस्ट्री के अपने दिलचस्प अनुभव : मुझे याद आता है, जब मुझे यश चोपड़ा ने बुलाया। यश चोपड़ा के बुलावे पर मेरे मन में शिफॉन साड़ी और शाहरुख खान आने लगे, लेकिन वहां पहुंचकर पता चला कि मुझे तो फिल्म में हीरोइन की सहेली का रोल दिया जा रहा है। 
बेमन से किया वीर-ज़ारा में काम
मैं बहुत बुझे मन से वापस घर आ गई और मम्मी से कहा कि मुझे यह रोल नहीं करना है। मैं सोच रही थी कि एक बार सहेली का रोल कर लिया तो फिर सभी लोग मुझे सहेली का रोल ही देंगे। मम्मी ने फिर मुझे समझाया कि इंडस्ट्री में तुम्हारा कोई गॉडफदर नहीं है, तुम्हें कोई जानता नहीं है, तुम्हारा काम किसी ने देखा नहीं है तो फिर मेन रोल कैसे मिलेगा। मैं बिल्कुल तैयार नहीं थी, लेकिन मम्मी के बहुत समझाने से मैंने वो रोल किया, लेकिन शूटिंग के दौरान भी मैं बेमन से काम करती रही, क्योंकि मेरे मन में चल रहा था कि यह रोल मुझे नहीं करना था। जब मैं प्रीमियर पर पहुंची तो सभी ने कहा कि ये लड़की कौन है, कोई नई आई है क्या.. आदि-आदि। 
40 साल बाद फिल्मों में रोमांस के ऑफर:  
मजे की बात ये है कि मैं तब तक दस फिल्में कर चुकी थी। 'वीर-जारा' में मेरे काम की सराहना हुई, लेकिन रोल उसी तरह के ऑफर होने लगे । फिर 'दिल्ली-6' में रोल मिला और अब मैं जब चालीस साल की हो गई हूं तो फिर फिल्मों में रोमांस करने का मौका मिल रहा है, मेन रोल मिल रहा है। तो इस इंडस्ट्री में कोई डेडलाइन तय कर के मत आओ, टिकने के लिए, अच्छा काम करने के लिए आओ।

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नई दिल्ली (ब्यूरो)। दिल्ली में आयोजित जागरण फिल्म फेस्टिवल (जेएफएफ) में शामिल हुईं अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने साझा कीं फिल्म इंडस्ट्री के अपने दिलचस्प अनुभव : मुझे याद आता है, जब मुझे यश चोपड़ा ने बुलाया। यश चोपड़ा के बुलावे पर मेरे मन में शिफॉन साड़ी और शाहरुख खान आने लगे, लेकिन वहां पहुंचकर पता चला कि मुझे तो फिल्म में हीरोइन की सहेली का रोल दिया जा रहा है। 

बेमन से किया वीर-ज़ारा में काम:

मैं बहुत बुझे मन से वापस घर आ गई और मम्मी से कहा कि मुझे यह रोल नहीं करना है। मैं सोच रही थी कि एक बार सहेली का रोल कर लिया तो फिर सभी लोग मुझे सहेली का रोल ही देंगे। मम्मी ने फिर मुझे समझाया कि इंडस्ट्री में तुम्हारा कोई गॉडफदर नहीं है, तुम्हें कोई जानता नहीं है, तुम्हारा काम किसी ने देखा नहीं है तो फिर मेन रोल कैसे मिलेगा। मैं बिल्कुल तैयार नहीं थी, लेकिन मम्मी के बहुत समझाने से मैंने वो रोल किया, लेकिन शूटिंग के दौरान भी मैं बेमन से काम करती रही, क्योंकि मेरे मन में चल रहा था कि यह रोल मुझे नहीं करना था। जब मैं प्रीमियर पर पहुंची तो सभी ने कहा कि ये लड़की कौन है, कोई नई आई है क्या.. आदि-आदि। 

40 साल बाद फिल्मों में रोमांस के ऑफर:  

मजे की बात ये है कि मैं तब तक दस फिल्में कर चुकी थी। 'वीर-जारा' में मेरे काम की सराहना हुई, लेकिन रोल उसी तरह के ऑफर होने लगे । फिर 'दिल्ली-6' में रोल मिला और अब मैं जब चालीस साल की हो गई हूं तो फिर फिल्मों में रोमांस करने का मौका मिल रहा है, मेन रोल मिल रहा है। तो इस इंडस्ट्री में कोई डेडलाइन तय कर के मत आओ, टिकने के लिए, अच्छा काम करने के लिए आओ।


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