प्रदोष काल शाम 5.19 से 7.53 तक

ALLAHABAD: कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानि 30 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। हालांकि अमावस्या तिथि का मान शनिवार को शाम 7.52 बजे से 30 अक्टूबर तक रहेगा, लेकिन उदया तिथि में अमावस्या का मान सूर्योदय से मिल रहा है। इसके साथ ही प्रदोष काल का भी उत्तम संयोग बना है। यही वजह है कि प्रदोष काल की शुभ बेला में दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा।

ज्योतिषाचार्य पं। विद्याकांत पांडेय ने बताया कि जहां दिन विष्णु स्वरुप है वहीं रात माता लक्ष्मी स्वरुपा है। दोनों के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहा जाता है। इसलिए प्रदोष काल में दीप प्रज्जवलित करना उत्तम फलदायक होता है। प्रदोष काल का समय शाम 5.19 से 7.53 बजे तक रहेगा।

पूजन का शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल व्यापिनी स्थिर लग्न वृष शाम 6.29 बजे से लेकर 7.53 बजे तक विद्यमान रहेगा। दूसरा स्थिर लग्न सिंह रात में 12.35 से 2.50 बजे तक रहेगा, लेकिन इस मुहूर्त में अमावस्या तिथि का अभाव रहेगा और प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। इसलिए पूजन के लिए पूर्ण उपयुक्त नहीं है।

महानिशीथ काल का समय

ज्योतिषाचार्य पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि इस वर्ष अमावस्या व्यापिनी महानिशीथ काल का अभाव है। फिर भी महानिशीथ काल की पूजा मध्यरात्रि 12.40 से दो बजे तक की जा सकती है।