RANCHI: बच्चों के कंधों पर भारी बस्ते का बोझ न केवल उन्हें कष्ट देता है, बल्कि फ्यूचर में उन्हें स्पाइन से जुड़ी गंभीर बीमारियां भी सौगात में देगा। ऐसे में अभी से ही उनके कंधों से भारी बस्ते का बोझ कम किया जाए। नहीं तो एक दिन ऐसा आएगा जब उनके कंधे बोझ उठाने लायक भी नहीं होंगे। यह कहना है सिटी के ऑर्थो के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का। डॉक्टरों की मानें तो बच्चों को ऐसी कोई भी चीज नहीं उठानी चाहिए जिसका भार उनके शरीर के वजन के 10 परसेंट से ज्यादा हो। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन ने उनपर भारी बस्ते का बोझ लाद दिया है।

कंधों में भी दर्द

बच्चे हर दिन घर से भारी बस्ता लेकर निकलते हैं। इस दौरान बस स्टॉप तक पहुंचने और फिर स्कूल जाने तक बस्ते का बोझ कंधों पर होता है। रेगुलर इस आदत के कारण उनके कंधों और पीठ में दर्द होता है, जिसे पेरेंट्स भी इग्नोर कर देते हैं। लेकिन यह परेशानी भविष्य में गंभीर बीमारी का रूप ले लेगी।

ओपीडी में पहुंच रहे बच्चे

डॉक्टरों की मानें तो भारी बस्ते का बोझ उठाने के कारण ग‌र्ल्स को ज्यादा प्राब्लम होती है। उनमें उम्र बढ़ने के साथ रेगुलर पीठ दर्द होने लगता है। समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह खतरनाक भी हो सकता है। ऐसे में पेरेंट्स बच्चों को लेकर ओपीडी में दिखाने के लिए पहुंच रहे हैं। इसमें कई ऐसे बच्चे भी हैं जिनके एक कंधे में दर्द हो रहा है। चूंकि बच्चे एक कंधे पर भी बस्ते का बोझ उठा रहे हैं।

क्या कहते हैं पेरेंट्स

स्कूल मैनेजमेंट को सोचना चाहिए कि वे मासूम बच्चों के कंधों पर कितना बोझ डाल दिए हैं। छुट्टी के वक्त जब हम बैग लेकर वापस आते हैं तो हालत खराब हो जाती है तो बच्चों की क्या स्थिति होती है समझ सकते हैं।

नदीम

बैग भारी करने से बच्चे पढ़ाई में तेज नहीं होते। एक सिस्टम बनाना चाहिए। अब हर दिन बच्चे ढेर सारी किताबें-नोटबुक लेकर जाते हैं। अगर इसे लिमिटेड कर दिया जाए तो बोझ कम होगा और उन्हें परेशानी नहीं होगी।

फातिमा तब्बसुम

वर्जन

जिस तरह से स्कूल बैग का वजन बढ़ा है, वो बच्चों की सेहत के लिए ठीक नहीं है। रेगुलर भारी बैग लेकर चलने के कारण पीठ का दर्द और कंधे का दर्द आम है। अगर यह लंबे समय तक रहे तो स्पाइन की प्राब्लम हो सकती है। इसलिए स्कूल मैनेजमेंट को इस पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि बच्चों को भारी बैग के कारण परेशानी न हो।

डॉ। शशिकांत सुमन, आर्थो स्पेशलिस्ट