--ऐसे समझे महंगाई का गणित--

जीएसटी में रजिस्टर्ड दुकानदार अगर किसी सामान की खरीदारी करता है और अगर 12 परसेंट टैक्स देता है और फिर सामान की बिक्री करता है तो वह कस्टमर से 18 परसेंट टैक्स लेता है। इस दुकानदार को फिर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के तहत 12 परसेंट की राशि उसके अकाउंट में आ जाएगी। जो दुकानदार रजिस्टर्ड नहीं है उसके अकाउंट में 12 परसेंट की राशि वापस नहीं होगी और उसकी खरीदारी महंगी हो जाएगी।

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महंगा पड़ेगा जीएसटी में रजिस्ट्रेशन नहीं कराना

-दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का फोन इन प्रोग्राम

-एक्सपर्ट असिस्टेंट सेल्स टैक्स कमिश्नर विष्णु देव भगत ने दिए लोगों के सवालों के जवाब

RANCHI(26 June): एक जुलाई से लागू होने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स(जीएसटी) की चर्चा इन दिनों हर जुबां पर है। हर कोई इसके बारे में जानने को उत्सुक है, चाहे वो व्यवसाई हो या आम आदमी। लेकिन इस टैक्स के नियम और कानून जनता के पल्ले पड़ नहीं रहे हैं। ऐसे में पब्लिक की समस्याओं को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से सोमवार को एक फोन इन प्रोग्राम का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों के जीएसटी से जुड़े हर सवालों के जवाब जीएसटी एक्सपर्ट असिस्टेंट सेल्स टैक्स कमिश्नर विष्णु देव भगत ने दिए। कई लोगो ने जीएसटी से संबंधित सवाल किए, जिसका जवाब जीएसटी एक्सपर्ट द्वारा दिया गया।

सवाल: एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद आम आदमी पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?

-अशोक बड़ाईक, सोशल वर्कर सह वार्ड पाषर्

एक्सपर्ट: एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के साथ ही आम लोगों को इसका काफी फायदा होगा। पहले टैक्स पर टैक्स लगता था, वो समाप्त हो जाएगा। मान लीजिए, किसी सामान का दाम क्00 रुपए है। उस पर क्ब् परसेंट वैट लगता है। टोटल क्क्ब् रुपए पर टैक्स लगता था। लेकिन अब सिर्फ क्00 रुपए पर ही टैक्स लगेगा। क्ब् रूपए पर अलग से टैक्स नहीं देना होगा। इससे प्रोडक्ट की लागत कम होगी और एक ही टैक्स लगने से सामान भी सस्ता होगा। इसका फायदा सीधा कंज्यूमर को ही होगा।

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सवाल: क्। अपर बाजार में मेरी दुकान है। हमारे पास कुछ पुराने स्टॉक हैं, इसका फायदा जीएसटी में कैसे मिलेगा?

ख्। एक से अधिक टैक्स रेट पर अलग-अलग बिल काटना होगा क्या?

फ्। राज्य के बाहर से माल खरीदने पर सी फार्म अब लेना पड़ेगा कि नहीं ?

-ज्योति शर्मा, आनंद लाइट, अपर बाजार

एक्सपर्ट: पहले सवाल का जवाब है कि अगर स्टॉक अपने राज्य के लिए है, तो जून महीने का रिटर्न जुलाई महीने में कैरी फारवर्ड करा सकते हैं। जीएसटीएन में इसका लाभ मिलेगा।

-दूसरे सवाल का जवाब है कि अलग-अलग टैक्स वाले सामान का एक ही इनवाइस में बिल बना सकते हैं, बस जो आयटम पर टैक्स है उसे लिख देंगे।

तीसरे सवाल का जवाब है कि अब कहीं से भी माल खरीदें सी फार्म लेने की जरूरत नहीं है।

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सवाल : जीएसटी में मुझे रजिस्ट्रेशन कराना है, प्रॉसेस क्या है?

-मंजीत कुमार, हरमू

एक्सपर्ट: ख्भ् जून से जीएसटीएन में रजिस्ट्रेशन जरूरी है। नए लोगों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए फार्म का नाम, पैन नंबर, ई-मेल आईडी और फोन नंबर की जरूरत होगी। सब कुछ ठीक रहा, तो तीन दिन में आपका जीएसटी में रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।

सवाल: मेरी स्टेशनरी की छोटी दुकान है। डेढ़ लाख का सालाना टर्न ओवर है। मुझे जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना होगा क्या?

-हर्ष कुमार, अरगोड़

एक्सपर्ट: आपका काम टैक्स एग्जमपटेड है। इसके लिए आपको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है। जब आपका टर्न ओवर ख्0 लाख तक होगा, तभी आपके लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इसके बावजूद आप रजिस्ट्रेशन कराना चाहते हैं, तो करा सकते हैं।

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सवाल: मैं एक सिविल कांट्रैक्टर हूं, क्या मेरे लिए जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है?

-संजय कुमार, सिविल कांट्रैक्टर, अशोक विहार

एक्सपर्ट: सिविल कांट्रैक्ट वर्क जीएसटी में सप्लाई एंड सर्विस में आता है। अगर आप ख्0 लाख से ऊपर का कांट्रैक्ट लेकर काम करते हैं तो आपके लिए जीएसटी में रजिस्ट्रेशन जरूरी है। अभी लेबर पेमेंट 70 प्रतिशत पर सर्विस टैक्स और 70 प्रतिशत पर वैट दे रहे हैं। टोटल आपको क्ब्0 प्रतिशत पर वैट देना पड़ रहा है। लेकिन आपका जीएसटी में रजिस्ट्रेशन होने पर सिर्फ क्00 प्रतिशत पर ही टैक्स देना होगा। आपका ब्0 प्रतिशत पर टैक्स नहीं बचेगा.

सवाल: जीएसटी से छोटे या बड़े व्यवसाई, किसको फायदा होगा?

-प्रफुल्ल कुमार जोजवार, हरम

एक्सपर्ट: इसमें बडे व्यवसाई और छोटे व्यवसाई दोनों को फायदा होगा। बडे व्यवसाई रेगुलर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराएंगे, उनको इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलेगा। वहीं, छोटे व्यवसाई को रेगुलर में नहीं लेना है, इसलिए उनको इसका लाभ नहीं मिलेगा।

सवाल: हमारा बिजनेस टर्न ओवर सालाना फ्0 लाख तक का है। मुझे क्या लाभ होगा, जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने पर?

-कमलेश अग्रवाल, हरमू

एक्सपर्ट: अगर आपका फ्0 लाख का सालाना टर्नओवर है, तो आपको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इसमें 7भ् लाख रुपए तक टर्न ओवर वाले को कंपोजिशन में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अपने टर्न ओवर का एक प्रतिशत देकर आपका काम हो जाएगा। लेकिन, इनपुट टैक्स क्रेडिट जो रेगुलर जीएसटी वालों को मिलना है, वो नहीं मिल पाएगा।

सवाल: मेरी बरियातू में फार्चून की दुकान है। सालाना टर्नओवर ख्ख् लाख रुपए के करीब है। मेरे लिए कौन-सा रजिस्ट्रेशन जरूरी है?

-राकेश रंजन, बरियातू

एक्सपर्ट: पहले तो आपको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। अगर आप रेगुलर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो सरकार आपको इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देगी। लेकिन, अगर कम्पोजिशन जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो कोई लाभ नहीं मिलेगा। मान लीजिए, आपके बगल में फार्चून की दूसरी दुकान है और उसने रेगुलर में रजिस्ट्रेशन कराया है। अगर वह क्00 रुपए का सामान लेता है, तो उसे क्ख् रुपए का टैक्स सरकार इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत वापस करेगी। उसके सामान की कीमत क्00 रुपए हो जाएगी, जिसे वो क्00 रुपए तक में बेच सकता है। लेकिन, आपका रेगुलर रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर क्क्ख् रुपए में सामान बेचना जरूरी होगा, क्योंकि सरकार आपको क्ख् रुपए वापस नहीं करेगी। ऐसे में आपकी बगल वाली दुकान का सामान आपकी दुकान से सस्ता बिकेगा.

सवाल: अपर बाजर में हमारी दुकान है। टर्न ओवर ख्ब् लाख रुपए सालाना है। लेकिन अगर हम जीएसटी में रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं तो क्या होगा?

-रितेश वर्णवाल, अपर बाजार

एक्सपर्ट: अगर आप रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं, तो आप कहीं भाग नहीं सकते। क्योंकि कई ट्रैकिंग सिस्टम हैं, जहां आप पकड़े जाएंगे। आप जहां से माल उठाएंगे, वो आपके नाम से लेजर में चढ़ाएगा कि किसको उसने माल बेचा है। आप अपने लेजर में नहीं भी चढ़ाएंगे, तो एजेंसी को पता चल जाएगा कि आप कहां से माल उठाए हैं। इसके लिए एक बार नोटिस दिया जाएगा, उसमे कोई पेनाल्टी नहीं होगा। दूसरी बार में ख्भ् प्रतिशत, तीसरी बार में भ्0 प्रतिशत और ऐसे ही नोटिस के साथ पेनाल्टी बढ़ती जाएगी। इसलिए इससे बचना अब संभव नहीं है, क्योंकि एजेंसी के पास माल लेने वाले और माल बेचने वाले दोनों का डिटेल्स होगा।