जिले में कई स्थानों पर चल रहा हॉकी का प्रशिक्षण

हॉकी की बेहतरी के लिए जिला हॉकी संघ शुरू करेगा लीग

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ALLAHABAD:

हॉकी की बात करें तो इलाहाबाद का नाम अपने आप जेहन में आ जाता है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद ने हॉकी भले ही झांसी से खेली हो, लेकिन वे पैदा इलाहाबाद की माटी में हुए थे। इस समय भी यहां भविष्य के कई सितारे क्षमताओं से अधिक मेहनत कर जल्द से जल्द हॉकी में बड़ा नाम बनने का प्रयास कर रहे हैं।

काफी खूबसूरत है अतीत

हॉकी के इतिहास में इलाहाबाद का नाम काफी ऊंचे पायदान पर है। यहां के मेजर ध्यान चंद के साथ ही कैलब दादा, सुजीत कुमार, रितुषा आर्या, रामबाबू गुप्ता आदि वे नाम हैं जिन्हें हॉकी में काफी बड़े नामों के रूप में जाना जाता है। इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में भाग लेकर देश का प्रतिनिधित्व किया और पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई।

भविष्य भी सुरक्षित हाथों में

दानिश मुजतबा वह नाम है जो इस समय हॉकी इंडिया की ओर से रियो ओलंपिक में भाग लेने गया है। दानिश इसके पहले 2012 में लंदन में हुए समर ओलंपिक में भी भाग ले चुके हैं। इनके अलावा शरद कुमार ने भी सब जूनियर में हिस्सा लिया और गोल्ड मेडलिस्ट रहे। अभी हाल ही में जागृति ने सब जूनियर में अच्छा प्रदर्शन किया और उसे नेशनल कैंप में हिस्सा लेने का मौका मिला।

स्टेडियम में हैं 48 बच्चे

इस समय इलाहाबाद स्टेडियम में कुल 48 बच्चे हॉकी का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसमें सबसे अच्छी बात ये है कि इनमें लड़कियों की संख्या अधिक है। 48 बच्चों में 20 लड़के और 28 लड़कियां इस समय प्रशिक्षण ले रही हैं। दोनों ही वर्गो को नेशनल हॉकी खेल चुकी हनी गौड़ प्रशिक्षण दे रही हैं।

सुविधाएं मिल रहीं, पर नाकाफी

हॉकी से जुड़े लोगों की मानें तो सरकार की ओर से सुविधाएं तो मिल रही हैं, लेकिन वे नाकाफी हैं। हम बच्चों को घास पर प्रैक्टिस कराते हैं और आगे बढ़ने पर उन्हें सिंथेटिक टर्फ पर खेलना पड़ता है। सच्चाई ये है कि घास पर प्रैक्टिस करने वाले बच्चे टर्फ पर जाते ही फेल हो जाते हैं। इलाहाबाद में टर्फ की सुविधा कहीं नहीं है।

कई स्थानों पर प्रशिक्षण

स्टेडियम के अलावा इलाहाबाद में केपी इंटर कॉलेज और मजीठिया इंटर कॉलेज, लूकरगंज और किदवईनगर हॉकी के बड़े सेंटर हैं। स्पोटर्स कॉलेज और एमआईसी में भी बच्चों को तैयार किया जा रहा है। इस बारे में बात करने पर जिला हॉकी संघ की सेक्रेट्री पुष्पा श्रीवास्तव कहती हैं कि जब तक हॉकी के बड़े खिलाड़ी अपने खेल से जुड़े खिलाडि़यों को आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं करेंगे हॉकी की स्थिति अच्छी नहीं हो पाएगी।

मिसगाइड भी हो रहे बच्चे

जिला हॉकी संघ की सेक्रेट्री पुष्पा श्रीवास्तव बताती हैं कि जिले में प्राइवेट तौर पर कई स्थानों पर प्रशिक्षण केंद्र चल रहे हैं लेकिन वहां बच्चों और उनके अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है। वह बताती हैं कि हॉकी भी अब महंगा खेल हो गया है। जूता, से लेकर हॉकी स्टिक के दाम काफी बढ़ गए हैं और हकीकत ये है कि इस गेम में गरीब घरों के बच्चे ही आगे आते हैं। उनके सामने अक्सर खेल के उपकरणों को खरीदने की दिक्कत होती है। हालांकि वह संगठन की ओर से काफी प्रयास करती हैं, लेकिन जब तक हॉकी से जुड़े बड़े लोग बच्चों की मदद के लिए आगे नहीं आएंगे हॉकी का भला नहीं हो पाएगा।

जल्द शुरू होगा हॉकी लीग

पुष्पा श्रीवास्तव बताती है कि अब उन्होंने निर्णय लिया है कि बच्चों को आगे लाने के लिए हॉकी लीग शुरू की जाए। यह कोई प्रतियोगिता नहीं होगी, बल्कि इसमें बच्चों को खेलने का मौका देकर उसमें से अच्छे बच्चों को छांटकर एक टीम बनाई जाएगी और उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

हॉकी की स्थिति पूरे देश में अच्छी नहीं है और इसके लिए इस खेल से जुड़े लोग ही जिम्मेदार हैं। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। हॉकी को आगे बढ़ाने के लिए इससे जुड़े लोगों को आगे आना होगा और बच्चों की सहायता करनी होगी। इसके बाद ही देश हॉकी में एक बार फिर सिरमौर बनने की ओर अग्रसर हो पाएगा।

पुष्पा श्रीवास्तव

सेक्रेट्री, जिला हॉकी संघ

यहां बच्चे अच्छी प्रैक्टिस कर रहे हैं और कई बच्चे ऐसे हैं जिन्हें मौका मिले तो वे आगे बढ़कर जिला, प्रदेश और देश का नाम रौशन कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें काफी मदद की जरूरत है, जिसमें सबसे जरूरी आर्थिक मदद है।

हनी गौड़

हॉकी कोच, जिला स्टेडियम