400 डीएल आरटीओ रोज करता है जारी

10 डीएल रोज इश्यू हो रहे खराब प्रिंट के

400 रुपए देने पड़ते हैं नए डीएल के लिए

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केस:1

शहर के राजेन्द्र नगर निवासी अरविन्द कुमार ने एक वर्ष पहले ही स्मार्ट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था. इसमें दो हजार रुपए खर्च हुए, लेकिन डीएल में प्रिंट उनका डिटेल छह माह में ही मिट गया. अब तो स्मार्ट कार्ड पर न वैधता की डेट दिख रही और न नाम. चेकिंग के दौरान दिखाने पर ट्रैफिक पुलिस इसे डीएल मानती ही नहीं. दोबारा बनवाने को कहा जाता है.

केस:2

ऐसा ही कुछ बांके बिहारी मंदिर की रहने वाली मानसी के साथ हुआ. आठ माह पहले उन्होंने कार और टू-व्हीलर के लिए डीएल बनवाया था, जिस पर से अब उनका आधा नाम और वैधता मिट गई है. आरटीओ ऑफिस में शिकायत की तो पता चला कि नया डीएल बनवाने के लिए 400 रुपए अलग से खर्च होंगे.

केस:3

बदायूं रोड निवासी सुरेन्द्र कुमार ने छह माह पहले बड़ी मशक्कत से डीएल बनवाया था, लेकिन अब डीएल से डिटेल मिट रहा है. आरटीओ आफिस में दिखाया इसे ठीक करने के लिए 4 सौ रुपए फीस और 100 रुपए एक्सट्रा खर्च के मांगे गए. इसीलिए अभी तक वह पुराने डीएल से ही काम चला रही हैं.

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बरेली:

आरटीओ से जारी होने वाले स्मार्ट डीएल के साथ ये समस्या अब आम हो चुकी है. 15 से 20 वर्ष की वैलेडिटी वाले डीएल पर प्रिंट की जानी वाली डिटेल छह महीने में ही मिटने लगी है. अफसरों की लापरवाही और निजी फर्म की मनमानी के चलते लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है. डिटेल मिट ही नहीं रही बल्कि कई लोगों को धुंधले प्रिंट वाला डीएल ही इश्यू किया जा रहा है. इस वजह से परेशान डीएल धारक संशोधित कार्ड के लिए आवेदन कर एक्स्ट्रा पैसे खर्च करने को मजबूर हैं.

स्वाइप करने के लिए नहीं है मशीन

कार्ड पर डिटेल सही से प्रिंट न होने के कारण ट्रैफिक पुलिस इसे सही नहीं मानती और लोगों को चालान कटवाना पड़ जाता है. या फिर उन्हें नया डीएल बनवाने की हिदायत देकर छोड़ दिया जाता है. अफसरों का कहना है कि स्मार्ट डीएल में एक चिप लगी होती है, जिसमें डीएल धारक का पूरा डाटा फीड होता है. लेकिन आरटीओ और ट्रैफिक विभाग के पास सिर्फ एक-एक इंटरसेप्टर गाड़ी है, जिसमें कार्ड को स्वाइप कर पता किया जा सकता है कि डीएल धारक कौन है. लेकिन ट्रैफिक पुलिस के पास कार्ड को स्वाइप करने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसीलिए चेकिंग के दौरान बगैर डिटेल वाले डीएल का डाटा देखने में मुश्किल आती है.

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बॉक्स : अपनी समस्या देखी नहीं, समाधान बता दिया

पुराने हो गए हैं प्रिंटर

- आरटीओ का कहना है कि डीएल प्रिंट करने का काम एमटेक फर्म के पास है.

- इनके पि्रंटर पुराने हो गए हैं, इसलिए प्रिंटिंग सही नहीं हो रही है.

- कई डीएल के प्रिंटिंग चंद दिनों में ही धुंधली हो रही है.

पर्स-जेब में न रखें डीएल

- कंपनी के अफसरों का कहना है कि प्रिंटिंग के लिए थर्मल प्रिंट का उपयोग किया जाता है.

- जेब या पर्स में स्मार्ट कार्ड रखने से इसका प्रिंट धुंधला हो जाता है.

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शिकायत तो मेरे पास आई हैं. इसके लिए कंपनी से भी सही पि्रंट करने के लिए कहा है. लेकिन अब सेंट्रली व्यवस्था हो गई है.जल्द ही सेंट्रली कार्ड जारी होने लगेंगे.

आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन