जरूरी है टेस्ट ड्राइव
कुछ पैसे के दम पर नौसिखिया व्यक्ति भी आरटीओ के रूल्स को किनारे कर देते हैं। उनसे ट्रैफिक के बारे में कोई सवाल भी नहीं पूछा जाता। एक महीने बाद परमानेंट लाइसेंस बनने से पहले जब आरटीओ ड्राइवर से रोड सेफ्टी और ट्रैफिक रूल पूछते हैं तो वह फेल हो जाते हैं। फेल होने पर उनकी ड्राइविंग लाइसेंस एप्लीकेशन कैंसिल कर दी जाती है, लेकिन उससे पहले वे महीनों लर्निंग लाइसेंस ले सिटी की रोड्स पर व्हीकल दौड़ाते रहते हैं।
ताक पर रूल्स
रूल्स की लीपापोती करने में माहिर एप्लीकेंट टेस्ट ड्राइव से दूर रहते हैं। आइडीएलएमवी ए 1988-89(इंडियन ड्राइविंग लाइसेंस मोटर व्हीकल एक्ट) के तहत कई नियम कानून होते हैं, लेकिन उसे फॉलो नहीं किया जाता है। लर्निंग लाइसेंस में एप्लीकेंट के लिए अपने व्हीकल पर क्र'एलक्र' मार्क लगाए जाने का निर्देश दिया जाता है। उसके लिए कुछ रूल्स भी दिए गए होते हैं। जिन्हें कोई नहीं मानता और न ही व्हीकल पर एल मार्क कराते हैं।
बनते हैं एक्सीडेंट की वजह
टेस्ट ड्राइव और मोटर एक्ट के रूल्स फॉलो न करने वाले ड्राइवर आए दिन दूसरे व्हीकल्स में अपना व्हीकल ढोंकते रहते हैं। ट्रैफिक पुलिस इन ड्राइवर्स को ट्रैफिक रूल बताती भी है तो वे एक नहीं मानते। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक हर दिन सिटी में तीन से चार बाइक और कार एक्सीडेंट होते हैं। जिसमें एक्सीडेंट की वजह बनने वाले ड्राइवर से लर्निंग लाइसेंस मिलता है।
तोड़ देते हैं सिग्नल
इन दिनों सिटी में गल्र्स भी ट्रैफिक रूल्स तोडऩे में पीछे नहीं हैं। अपनी जल्दी के चक्कर में वे रेड, यलो या ग्रीन लाइट की परवाह नहीं करतीं। मोटर एक्ट के तहत ड्राइवर को ट्रैफिक रूल्स जानने के लिए ही लर्निंग टाइम दिया जाता है।
-पर डे आती हैं एप्लीकेशन- 140
-रिजेक्ट की जाती हैं- 25 से 35
-महीने में बनाए जाते हैं लाइसेंस- 1,000 (लेडीज 15 परसेंट)
-लर्निंग लाइसेंस फीस 60 रुपये,
परमानेंट फीस 300 रुपये
-पुलिस लाइन में होता है टेस्ट ड्राइव.

ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले दो बार टेस्ट ड्राइव लिया जाता है। फेल होने वालों की लाइसेंस एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया जाता है।
-संजय माथुर, आरटीओ
आगरा

 

 

 

Report by: Jitendra.kumar@inext.co.in