- सिविल विभाग की टेंडर प्रक्रिया के दौरान माफिया के गुर्गो ने मचाया उत्पात, मारपीट और हंगामा

- पुलिस और आरपीएफ ने मिलकर कुल 49 लोगों को किया गिरफ्तार

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डीएलडब्लू में मंगलवार को टेंडर प्रक्रिया के दौरान जमकर हंगामा हुआ। हंगामे की वजह बने माफिया के वो गुर्गे जो टेंडर के दौरान अपना वर्चस्व कायम करने के लिए वहां पहुंचे थे। असलहों और हॉकी डंडों से लैस होकर सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लोगों ने टेंडर प्रक्रिया में शामिल ठेकेदारों को मारना पीटना शुरू कर दिया और प्रशासनिक भवन में खूब हो हल्ला किया। इस बीच सूचना पर एसओ मंडुवाडीह फोर्स संग पहुंचे और आरपीएफ संग प्रशासनिक भवन को घेर लिया। हालांकि पुलिस की आहट मिलते ही वहां से असलहाधारी गाडि़यों से भाग निकले। फिर भी पुलिस ने हंगामा कर रहे कुल 49 लोगों को गिरफ्तार किया। मौके से दर्जनों बाइक्स और हॉकी डंडे भी बरामद हुए हैं।

शुरू होने के बाद शुरू हंगामा

डीरेका के प्रशासनिक भवन में मंगलवार को सिविल विभाग की ओर से टेंडर आमंत्रित किए गए थे। इस दौरान दर्जनों ठेकेदार टेंडर डालने पहुंचे थे। सुबह 11 बजे से प्रक्रिया शुरू हुई और काम चल ही रहा था कि कई गाडि़यों से दर्जनों की संख्या में असलहाधारी बाइक सवार कई युवकों संग पहुंचे और गाली गलौच करते हुए वहां मौजूद ठेकेदारों को मारने-पीटने लगे। जिसके बाद वहां अफरातफरी मच गई। गिरते पड़ते लोग भागने लगे। इस बीच किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी। सूचना पर पुलिस संग आरपीएफ मौके पर पहुंचे और मंडुवाडीह पुलिस ने 29 लोगों को गिरफ्तार कर 151 में चालान कर जेल भेजा जबकि आरपीएफ ने कुल 14 लोगों को पकड़कर रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई की। पुलिस सीसी कैमरों के फुटेज खंगाल कर अन्य उपद्रवियों की पहचान करने में जुटी है।

ई-टेडिंग हो तो बने काम

इस पूरे मामले को आरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट विकास सिंह ने हैंडिल किया है। उनका कहना था कि पीएम के संसदीय क्षेत्र और उनके बार बार आने की प्लेस डीरेका होने के कारण जरूरी है, यहां शांति व्यवस्था बनी रहे। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया को ऑनलाइन कर ई टेडिंग की जरूरत है ताकि ऐसी स्थिति को रोका जा सके।

जेल से माफिया कर रहे हैं ऑपरेट

डीरेका टेंडर प्रक्रिया के दौरान हंगामा होना नया नहीं है क्योंकि इससे पहले भी कई बार माफिया के इशारे पर ये सब हो चुका है। वजह है जेल में बैठे माफिया टेंडर में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए अपने गुर्गो के बल पर ये सब कराते हैं। ताकि उनके आगे कोई दूसरा ठेकेदार खड़ा न हो और टेंडर उनके या उनके किसी खास को ही मिले।