-भोजपुर डीएम के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से अटेंडेंस को लेकर शुरू हुआ विवाद

-आरा डीएम के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में केस करेंगे डॉक्टर

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न्क्त्रन्/क्कन्ञ्जहृन्: भोजपुर डीएम के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से हाजिरी नहीं बनाने को लेकर हुए विवाद और दु‌र्व्यवहार से आक्रोशित डॉक्टरों ने राज्यभर के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी ठप कर दी। इसका असर पटना से सुदूर जिलों तक के अस्पतालों में देखा गया। हजारों लोग परेशान रहे। लोगों का कहना था कि पहले से हड़ताल की सूचना नहीं मिली इसलिए परेशानी बढ़ गई।

डीएम से नहीं की बात

आरा सदर अस्पताल में आधी रात के बाद सिविल सर्जन ने इमरजेंसी में एक डॉक्टर की तैनाती की थी, जिसे भासा पदाधिकारियों ने सुबह भगा दिया। इसके बाद सिविल सर्जन ने आयुष डॉक्टरों को इमरजेंसी में तैनात किया है। मंगलवार रात तक एक नवजात व महिला की इलाज के अभाव में मौत हो चुकी थी। रात में एक अन्य मरीज की भी मौत हो गई। उसे मंगलवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पोस्टमार्टम नहीं होने से कई शव भी लावारिस पड़े हुए हैं। हालात सुधारने के लिए बुधवार सुबह आरा जिलाधिकारी डॉ। संजीव कुमार वार्ता करने सदर अस्पताल पहुंचे लेकिन डॉक्टरों ने उनसे कोई बात नहीं की।

हो रही डीएम को हटाने की मांग

डीएम को हटाने, मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और आइपीसी की धाराओं के तहत डीएम पर कार्रवाई समेत चार मांगों के समर्थन में एक ओर डॉक्टर गोलबंद हो गए हैं। वहीं जिला प्रशासन भी डीएम आवास में हंगामा करने वाले डॉक्टरों पर प्राथमिकी की बात कह रहा है। जिला प्रशासन ने हंगामा करने वाले डॉक्टरों का एक वीडियो भी जारी किया है। वहीं, सुबह पटना से भासा व आइएमए के पांच राज्यस्तरीय पदाधिकारी आरा पहुंचे और मामले की जानकारी ली। आइएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ। अजय कुमार ने कहा कि इस मामले में डीएम के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में केस कराया जाएगा।

डीएम बोले, जनता का हित सर्वोपरि

आरा सदर अस्पताल में वीडियो कांफ्रे¨सग के जरिए हाजिरी बनाने के मामले को लेकर हड़ताल पर गए चिकित्सकों का मामला तूल पकड़ने के बाद बुधवार को जिलाधिकारी संजीव कुमार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सदर अस्पताल की व्यवस्था को ठीक करना हमारा कर्तव्य है, और इसके लिए हम लोगों ने जो भी निर्णय लिया है, उससे पीछे नहीं हटेंगे। उसे आगे बढ़ाएंगे, और लगातार व्यवस्था को सु²ढ़ करेंगे। यदि हड़ताल नहीं टूटती है तो वैकल्पिक व्यवस्था की जाएंगी। जनता का हित सर्वाेपरि है। सरकारी मुलाजिम होने के कारण डीएम भी जनता के प्रति जवाबदेह है। मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए सदर अस्पताल में प्राईवेट चिकित्सकों समेत आयूष चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है। सदर अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बाधित नहीं हो, कंट्रोल रुम बनाया गया। जहां जिला प्रशासन के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। हड़ताल समाप्त करवाने के लिए चिकित्सकों से बातचीत की गई है।

डॉक्टर ने यदि हाजिरी नहीं बनाई थी तो उसे सिविल सर्जन के माध्यम से बुलाया जाना चाहिए था। फोर्स भेज कर डॉक्टर को बुलाना अनुचित है। डीएम को वहां से हटाकर मामले की जांच करवा सरकार को जल्द उचित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि मरीजों को परेशानी नहीं हो।

-डॉ। अमिताभ कुमार

महासचिव, भासा अखिलेश गुट