-मंडलीय हॉस्पिटल के सभी चिकित्सकों की ओपीडी में लगाया जा रहा है सीसीटीवी कैमरा

-जीपीएस सिस्टम से पता चलेगा डॉक्टर्स ओपीडी में है या नहीं

अगर आपको मंडलीय अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर्स ड्यूटी से नदारद मिलते हैं तो अब ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि अब ओपीडी में डॉक्टर्स के होने न होने की निगरानी खुद जिलाधिकारी करेंगे। इसके लिए हॉस्पिटल के सभी ओपीडी को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया जा रहा है, जिसकी मॉनिटरिंग डीएम के मोबाइल से होगी। अधिकारियों का कहना है कि डीएम सुरेन्द्र सिंह के आदेश पर हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से यहां कुल 18 ओपीडी में सीसी कैमरे लगाए जा रहे हैं। आधे से ज्यादा ओपीडी में कैमरे लग भी चुके हैं।

डीएम के मोबाइल से होंगे कनेक्ट

अधिकारियों की मानें तो वैसे तो सभी कैमरों का सर्वर रूम एसआईसी डॉ। बीएन श्रीवास्तव के रूम में बनाया जा रहा है, लेकिन ट्रांसपैरेंसी के लिए इसे डीएम सुरेन्द्र सिंह के मोबाइल से अटैच किया जाएगा। जीपीएस सिस्टम के माध्यम से जुड़े डीएम के मोबाइल पर हॉस्पिटल के एक-एक ओपीडी में बैठे डॉक्टर की हर एक्टिविटी दिखाई देती रहेगी। इस बीच अगर ओपीडी से कोई डॉक्टर नदारद हुआ तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

क्या होती है समस्या

बता दें कि सिर्फ मंडलीय हॉस्पिटल ही नहीं, शहर के लगभग अन्य सभी सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर्स के ओपीडी में ड्यूटी के दौरान गायब रहने की शिकायत अक्सर सुनने को मिलती है। जिसकी वजह से दूर दराज से आए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। कभी कभी डॉक्टर्स के ड्यूटी पर न आने से मरीजों को बगैर इलाज के लौटना पड़ता है। कई बार ऐसा भी होता है जब डॉक्टर्स अपने निजी काम से ओपीडी छोड़कर चले जाते हैं। यही नहीं डॉक्टर्स के होने न होने की जानकारी भी अधिकारियों और कर्मचारियों को नहीं रहती है।

ये होगा फायदा

ओपीडी में कैमरा लगने से ओपीडी में डॉक्टर उपलब्ध मिलेंगे, इससे दूर दराज से आने वाले मरीजों को बगैर इलाज के लौटना नहीं पड़ेगा। हॉस्पिटल के कर्मचारियों की मानें तो कैमरा लग जाने पर व डीएम के डायरेक्ट निगरानी करने से कोई भी डॉक्टर ड्यूटी को लेकर लापरवाही नहीं कर सकेगा।

एक नजर

1500 से 2000

मरीज आते हैं डेली मंडलीय हॉस्पिटल में

20

के करीब ओपीडी हैं हॉस्पिटल में

18

ओपीडी में लगाए जा रहे हैं कैमरे

2.5

लाख के करीब होगा खर्च

वर्जन--

डीएम के आदेश पर सभी ओपीडी में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इस पर आने वाला खर्च एसकेएस फंड से किया जा रहा है।

डॉ। अरविंद सिंह, एमएस, मंडलीय हॉस्पिटल