यूपीए गठबंधन में शामिल एम करुणानिधि की पार्टी डीएमके ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. करुणानिधि श्रीलंका में तमिलों पर श्रीलंकाई सेना के अत्याचार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निष्पक्ष और विश्वसनीय जांच कराने के लिए यूएनओ में प्रस्ताव पेश करने की मांग कर रहे थे.

इसके अलावा उन्होंने गवर्नमेंट से मांग की थी कि वह संसद में इस मामले पर प्रस्ताव भी पास करे. इस मामले पर मंडे को पी चिदंबरम, एके एंटनी और गुलाम नबी आजाद डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि से मिलने चेन्नई पहुंचे थे.

समर्थन वापसी का यूपीए पर असर

डीएमके के यूपीए से समर्थन वापस लेने के बाद केन्द्र सरकार बहुमत के लिए एसपी और बीएसपी और ज्यादा निर्भर हो जाएगी. दोनों ही पार्टियां फिलहाल उसे बाहर से समर्थन दे रही हैं. केन्द्र में फिलहाल डीएमके के पांच मंत्री हैं जो पार्टी प्रमुख के मुताबिक समर्थन वापसी के साथ ही अपना इस्तीफा सौंप देंगे. डीएमके के यूपीए से बाहर आने के साथ ही लोकसभ में सरकार के समर्थक सांसदों की संख्या 295 से घटकर 277 पर आ जाएगी.

लौट सकते हैं यूपीए में

वैसे डीएमके ने यूपीए में वापस लौटने की संभावना बनाए रखी है. समर्थन वापसी के लिए डीएमके ने शर्त रखी है. दरअसल अमेरिका 21 मार्च को श्रीलंका के युद्ध अपराध की अंतर्राष्ट्रीय जांच के लिए यूएनओ में प्रस्ताव ला रहा है.

जिस पर 22 मार्च को वोटिंग होनी है. करुणानिधि चाहते हैं कि इंडिया इस मामले पर श्रीलंका गवर्नमेंट के अगेंस्ट वोटिंग करे. इस युद्ध में श्रीलंकाई तमिलों के अधिकारों का हनन हुआ था.

करुणानिधि ने कहा कि अगर यूपीए गवर्नमेंट इस प्रस्ताव का समर्थन करती है तो डीएमके समर्थन वापस दे सकती है. इसके अलावा करुणानिधि इस मसले पर संसद में भी प्रस्ताव पेश होने की हालत में समर्थन वापसी की शर्त रख रहे हैं.

DMK के ये पांच मिनिस्टर छोड़ेंगे कुर्सी

1. एम के अलगिरी, मिनिस्टर ऑफ केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स

2. एसएस पलनिमनिक्कम, फाइनेंस मिनिस्ट्री में मिनिस्टर ऑफ स्टेट

3. डी नेपोलियन सोशल जस्टिस एंड इंपावरमेंट में मिनिस्टर ऑफ स्टेट

4. एस जगतरक्षणन इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री में मिनिस्टर ऑफ स्टेट

S  गांधीसेलवन हेल्ड एंड फेमिली वेलफेयर में मिनिस्टर ऑफ स्टेट

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