(1) कैसे मिलेगा 30 परसेंट एश्योर्ड रिटर्न
आमतौर पर कंपनियां अपने ग्राहकों को 30 परसेंट तक एश्योर्ड रिटर्न देने का वादा तो कर देती हैं। लेकिन जब इनकी सच्चाई जानने की कोशिश करें तो यह एक सपने जैसा लगता है। डेवलपर्स की मानें तो उनकी जमीन जो आज 3,000 रुपये प्रति वर्ग फीट है वह अगले दो सालों में बढ़कर 45,00 रुपये हो जाएगी। यानी कि 50 परसेंट की बढ़ोत्तरी जोकि असंभव लगता है। ऐसे में अगर आपने इसमें निवेश कर दिया तो 30 फीसदी एश्योर्ड रिटर्न देने का वादा झूठा साबित होता है।

(2) रिटर्न का कोई ब्यौरा नहीं :-
रियल्टी डेवलपर्स हमेशा ऊंची रिटर्न देने का वादा करते हैं लेकिन यह रिटर्न कैसे और कब दिया जाएगा इसका कोई ब्यौरा उनके पास नहीं होता। वहीं इस सेक्टर के लिए कोई रेगुलेटर नहीं है। ऐसे में डेवलपर्स आपके पैसों को उसी प्रोजेक्ट में लगा रहे हैं या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं होती। इसके अलावा इंट्रेस्ट रेट बढ़ने, आर्थिक मंदी या मंहगाई की स्थिति में डेवलपर्स की प्रोजेक्ट को पूरा करने की क्या रणनीति होगी, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं हो सकती।

(3) सेबी की नहीं मिलती अनुमति :-

किसी भी डेवलपर्स द्वारा सामूहिक निवेश योजना (CIS) चलाने के लिए मार्केट रेगुलेटर यानी कि सेबी से परमीशन लेना जरूरी होता है। लेकिन डेवलपर्स यदि अपनी स्कीम में कोई चेंज करता है, तो वह सेबी के दायरे में नहीं आता। डेवलपर्स एश्योर्ड रिटर्न स्कीम चलाकर इस बात का फायदा उठाते हैं।

(4) एक्सपर्ट की राय :-
रियल्टी एक्सपर्ट के मुताबिक, खरीददारों को एश्योर्ड रिटर्न से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। नोएडा में इससे पहले कॉस्मिक, प्रीमिया जैसे डेवलपर्स ने खरीददारों को आकर्षित करने के लिए एश्योर्ड रिटर्न का लुभावना ऑफर दिया लेकिन अगले 4-5 सालों में न तो उनका प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ और न ही निवेशकों को रिर्टन मिला। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि डेवलपर्स मार्केट से पैसा उठाने के लिए इस तरह के लुभावनी स्कीम लाते हैं जिसमें निवेशकों को फंसाया जाता है।

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