Hotel से महंगा था cottage में रुकना
कुंभ में देश के नामी गिरामी होटल्स ने रुचि दिखाई थी। प्रशासन से परमिशन लेकर उन्होंने हाइ टेक कॉटेज बनवाया था। इसमें हॉट वॉटर, रूम हीटर, राउंड द क्लॉक पॉवर सप्लाई के साथ हर वक्त इंटरनेट फेसेलिटी के लिए वाई फाई सिस्टम तक लगवाया गया था। यहां रुकने वाले टूरिस्ट्स को नाव से संगम तक ले जानेे। स्टेशन से कॉटेज तक ले आने- ले जाने की फेसिलिटी ऑफर की गई थी। लंच, डिनर, ब्रेक फॉस्ट और इवीनिंग टी तक पैकेज में शामिल थी। इस पैकेज का मिनिमम चार्ज पर डे एक कॉटेज का 12 से 15 हजार रुपए तक था। यह रेट सिटी के बड़े होटलों को मात देने वाला था। वैसे ज्यादातर होटल्स को भी बड़ी कंपनियों ने बुक करा लिया था। कॉटेजेज के लिए बुकिंग अभी भी जारी है और यह मेले के समापन तक रहेगी. 

Internet पर detail, address का पता नहीं
खास बात यह थी कि कुंभ में कॉटेज स्थापित करने वाली कंपनियों ने पैकेज बेचने के लिए इंटरनेट को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। उन्होंने पैकेज और कॉटेज की डिटेल इंटरनेट पर ही डाल रखी थी। इसमें देश के चुनिन्दा होटल भी शामिल थे। खास बात यह थी कि उन्होंने पूरे पैकेज की डील कर डाली। कॉटेज का डिस्प्ले तक इंटरनेट पर अपनी साइट पर डाल दिया था लेकिन एड्रेस किसी ने मेंशन नहीं किया। नतीजतन बुक किया गया कॉटेज एक्चुअली है कहां? यहा किसी को पता नहीं था। इस बारे में क्वैरी करने के लिए हेड ऑफिस का नंबर दिया गया था। वहां कांटैक्ट करने पर लोकल बंदे का नंबर दे दिया जाता था। उस बंदे से सम्पर्क करने पर टूरिस्ट से उल्टे वह यह सवाल करते थे कि आप हैं कहां? बता दें वह वहीं आकर पिक कर लेगा.

10 मार्च तक चलना है कुंभ मेला
कुंभ मेले के दौरान होने वाले शाही स्नान भले ही समाप्त हो चुके हों लेकिन मेला अभी समाप्त नहीं हुआ है। यह 10 मार्च को शिवरात्रि पर्व पर स्नान के बाद समाप्त होगा। मेले में आने वाले कल्पवासी भी माघी पूर्णिमा यानी 25 फरवरी तक रुकेंगे क्योंकि कल्पवास पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघी पूणर््िामा तक चलता है। यही वह कारण है जिसके चलते अभी भी टूरिस्ट्स का कुंभ में आना जारी रहेगा। सिर्फ टूरिज्म परपज से आने वालों की संख्या में अब इजाफा होने की संभावना है। लेकिन, कॉटेजेज की स्थिति यह है कि यहां टिकना फिलहाल तो खतरे से खाली नहीं है.

एक नहीं कई मुश्किलें हैं राह में
बारिश लगातार जारी है। फ्राइडे को दिन से शुरू हुई बारिश सैटरडे को पूरे होती रही। इससे कॉटेजेज लगाने वाली कंपनियों की मुश्किल में कोई कमी आने वाली नहीं है। पानी निकलने का प्रॉपर अरेंजमेंट नहीं होने के चलते पानी और लगेगा ही। हालांकि सैटरडे को दिन में कॉटेज ओनर वैकल्पिक व्यवस्था में लगे रहे लेकिन लगातार बारिश के चलते चिंता उनके माथे पर खिंची लकीरों से साफ झलक रही थी.

कुंभनगर में न ही जाएं तो बेहतर
सैटरडे को बारिश के चलते कुंभनगर की जो स्थिति बन गई उसे लेकर तो यही कहा जा सकता है कि संडे को एंज्वॉय करने के लिए उधर का रुख न ही करें तो बेहतर है। इसका कारण यह है कि मिट्टी बहने के चलते चकर्ड प्लेटें जगह-जगह धंस गई हैं। दो प्लेटों के बीच फासला हो गया है। इसमें गाडिय़ां सैटरडे को भी फंसी तो निकाली नहीं जा सकीं। ऐसा सीन कई स्थानों पर देखने को मिला। इसके अलावा चकर्ड प्लेटों पर मिट्टी जम गई है। इस पर टू ह्वीलर ड्राइव करने का मतलब है खतरा मोल लेकर चलना। जबर्दस्त फिसलन के चलते पैदल चलते हुए गिर जाने का खतरा है.

NCZCC का पंडाल भी हुआ ध्वस्त
कुंभनगर में सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन के लिए स्थापित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र का पांडाल भी फ्राइडे नाइट तेज हवा और बारिश के थपेड़े झेल नहीं सका और ढह गया। सैटरडे को पूरे दिन बारिश होने के चलते इसे ठीक भी नहीं किया जा सका। इससे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आने वाले दिनों में प्रभावित रहेंगे, इसकी पूरी संभावना है.

घाटों पर सन्नाटा
सैटरडे को घाटों पर लोगों की उपस्थिति देखकर कोई यह भरोसा भी नहीं कर सकेगा कि फ्राइडे को यहां लाखों लोगों ने स्नान किया होगा। आज दिन में यहां सन्नाटा पसरा रहा। संगम तट पर स्थित नावों में भी कोई मौजूद नहीं था। घाटों पर इक्का-दुक्का लोग ही स्नान करते हुए दिखे. 

मौसम के यू टर्न से ठंड फिर लौटी
मौसम के यू टर्न ले लेने का असर यह हुआ कि ठंड फिर से लौट आई। फ्राइडे दिन में बारिश के बाद रात में तेज हवाएं चलने सेे गलन का एहसास बढ़ गया। सैटरडे को पूरे दिन चल सिलसिला जारी रहने के साथ ही हवा चलते रहने से हाफ स्वेटर पर उतर आए लोगों को एक बार फिर से फुल स्वेटर और जैकेट निकालना पड़ गया.
Hotel से महंगा था cottage में रुकना

कुंभ में देश के नामी गिरामी होटल्स ने रुचि दिखाई थी। प्रशासन से परमिशन लेकर उन्होंने हाइ टेक कॉटेज बनवाया था। इसमें हॉट वॉटर, रूम हीटर, राउंड द क्लॉक पॉवर सप्लाई के साथ हर वक्त इंटरनेट फेसेलिटी के लिए वाई फाई सिस्टम तक लगवाया गया था। यहां रुकने वाले टूरिस्ट्स को नाव से संगम तक ले जानेे। स्टेशन से कॉटेज तक ले आने- ले जाने की फेसिलिटी ऑफर की गई थी। लंच, डिनर, ब्रेक फॉस्ट और इवीनिंग टी तक पैकेज में शामिल थी। इस पैकेज का मिनिमम चार्ज पर डे एक कॉटेज का 12 से 15 हजार रुपए तक था। यह रेट सिटी के बड़े होटलों को मात देने वाला था। वैसे ज्यादातर होटल्स को भी बड़ी कंपनियों ने बुक करा लिया था। कॉटेजेज के लिए बुकिंग अभी भी जारी है और यह मेले के समापन तक रहेगी।

Internet पर detail, address का पता नहीं

खास बात यह थी कि कुंभ में कॉटेज स्थापित करने वाली कंपनियों ने पैकेज बेचने के लिए इंटरनेट को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया। उन्होंने पैकेज और कॉटेज की डिटेल इंटरनेट पर ही डाल रखी थी। इसमें देश के चुनिन्दा होटल भी शामिल थे। खास बात यह थी कि उन्होंने पूरे पैकेज की डील कर डाली। कॉटेज का डिस्प्ले तक इंटरनेट पर अपनी साइट पर डाल दिया था लेकिन एड्रेस किसी ने मेंशन नहीं किया। नतीजतन बुक किया गया कॉटेज एक्चुअली है कहां? यहा किसी को पता नहीं था। इस बारे में क्वैरी करने के लिए हेड ऑफिस का नंबर दिया गया था। वहां कांटैक्ट करने पर लोकल बंदे का नंबर दे दिया जाता था। उस बंदे से सम्पर्क करने पर टूरिस्ट से उल्टे वह यह सवाल करते थे कि आप हैं कहां? बता दें वह वहीं आकर पिक कर लेगा.

10 मार्च तक चलना है कुंभ मेला

कुंभ मेले के दौरान होने वाले शाही स्नान भले ही समाप्त हो चुके हों लेकिन मेला अभी समाप्त नहीं हुआ है। यह 10 मार्च को शिवरात्रि पर्व पर स्नान के बाद समाप्त होगा। मेले में आने वाले कल्पवासी भी माघी पूर्णिमा यानी 25 फरवरी तक रुकेंगे क्योंकि कल्पवास पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघी पूणर््िामा तक चलता है। यही वह कारण है जिसके चलते अभी भी टूरिस्ट्स का कुंभ में आना जारी रहेगा। सिर्फ टूरिज्म परपज से आने वालों की संख्या में अब इजाफा होने की संभावना है। लेकिन, कॉटेजेज की स्थिति यह है कि यहां टिकना फिलहाल तो खतरे से खाली नहीं है।

एक नहीं कई मुश्किलें हैं राह में

बारिश लगातार जारी है। फ्राइडे को दिन से शुरू हुई बारिश सैटरडे को पूरे होती रही। इससे कॉटेजेज लगाने वाली कंपनियों की मुश्किल में कोई कमी आने वाली नहीं है। पानी निकलने का प्रॉपर अरेंजमेंट नहीं होने के चलते पानी और लगेगा ही। हालांकि सैटरडे को दिन में कॉटेज ओनर वैकल्पिक व्यवस्था में लगे रहे लेकिन लगातार बारिश के चलते चिंता उनके माथे पर खिंची लकीरों से साफ झलक रही थी।

कुंभनगर में न ही जाएं तो बेहतर

सैटरडे को बारिश के चलते कुंभनगर की जो स्थिति बन गई उसे लेकर तो यही कहा जा सकता है कि संडे को एंज्वॉय करने के लिए उधर का रुख न ही करें तो बेहतर है। इसका कारण यह है कि मिट्टी बहने के चलते चकर्ड प्लेटें जगह-जगह धंस गई हैं। दो प्लेटों के बीच फासला हो गया है। इसमें गाडिय़ां सैटरडे को भी फंसी तो निकाली नहीं जा सकीं। ऐसा सीन कई स्थानों पर देखने को मिला। इसके अलावा चकर्ड प्लेटों पर मिट्टी जम गई है। इस पर टू ह्वीलर ड्राइव करने का मतलब है खतरा मोल लेकर चलना। जबर्दस्त फिसलन के चलते पैदल चलते हुए गिर जाने का खतरा है.

NCZCC का पंडाल भी हुआ ध्वस्त

कुंभनगर में सांस्कृतिक गतिविधियों के संचालन के लिए स्थापित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र का पांडाल भी फ्राइडे नाइट तेज हवा और बारिश के थपेड़े झेल नहीं सका और ढह गया। सैटरडे को पूरे दिन बारिश होने के चलते इसे ठीक भी नहीं किया जा सका। इससे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आने वाले दिनों में प्रभावित रहेंगे, इसकी पूरी संभावना है।

घाटों पर सन्नाटा

सैटरडे को घाटों पर लोगों की उपस्थिति देखकर कोई यह भरोसा भी नहीं कर सकेगा कि फ्राइडे को यहां लाखों लोगों ने स्नान किया होगा। आज दिन में यहां सन्नाटा पसरा रहा। संगम तट पर स्थित नावों में भी कोई मौजूद नहीं था। घाटों पर इक्का-दुक्का लोग ही स्नान करते हुए दिखे. 

मौसम के यू टर्न से ठंड फिर लौटी

मौसम के यू टर्न ले लेने का असर यह हुआ कि ठंड फिर से लौट आई। फ्राइडे दिन में बारिश के बाद रात में तेज हवाएं चलने सेे गलन का एहसास बढ़ गया। सैटरडे को पूरे दिन चल सिलसिला जारी रहने के साथ ही हवा चलते रहने से हाफ स्वेटर पर उतर आए लोगों को एक बार फिर से फुल स्वेटर और जैकेट निकालना पड़ गया.