पिछले महीने गिरफ्तार हुईं एशियाड गोल्ड मेडलिस्ट पिंकी प्रमाणिक खुद को महिला ही बताती हैं। उनके दावे की जांच के लिए डॉक्टरों ने तीन बार उनके खून और अन्य नमूने भी लिए लेकिन अबतक कोई पुख्ता नतीजा सामने नहीं आया है। आखिरी परीक्षण सोमवार को हुआ और उसका नतीजा एक हफ्ते बाद आएगा। करीब एक महीने से चल रही ये जांच आखिर अबतक कुछ साफ क्यों नहीं कर पाई है?

क्या है यह टेस्ट?

सुनने में 'जेंडर टेस्ट' एक साधारण सा टेस्ट लगता है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये दरअसल बहुत पेचीदा है। लिंग निर्धारण करने के लिए कई विशेषज्ञों - महिला रोगों की विशेषज्ञ यानी गाइनीकॉलोजिस्ट, मनोवैज्ञानिक, हॉरमोन के विशेषज्ञ, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और आंतरिक दवा की भूमिका रहती है।

दिल्ली की एक गाइनीकॉलोजिस्ट डॉ सोनिया मलिक कहती हैं कि वैसे तो सीधी सी बात है कि एक्स-एक्स क्रोमोजोम वाली महिलाएं होती हैं और एक्स-वाई क्रोमोजोम वाले पुरुष होते हैं। वे बताती हैं, ''लेकिन मुश्किल तब आती है जब किसी व्यक्ति में दोनो के अंग होते हैं। ऐसे मामलों में देखने में आता है कि दोनों लिंगों के गुण मौजूद होते हुए भी एक लिंग के गुण कम होते हैं और दूसरे के अधिक.''

डॉ मलिक कहती है कि कई लोगों में टेस्टिस यानी वीर्यकोष और ओवरी यानी अण्डाशय दोनों ही मौजूद होते हैं जिन्हें हम 'ओवोटेस्टिस' कहते हैं। वे कहती हैं कि लिंग निरीक्षण के लिए सबसे पहले उनका शारीरिक निरीक्षण किया जाता है। इसके बाद करयोटाइप टेस्ट किया जाता है जो एक रक्त जांच होती है। करयोटाइप क्रोमोजोम की एक तस्वीर होती है और इस टेस्ट की रिपोर्ट आने में कई दिन लग सकते हैं।

डॉ मलिक कहती हैं कि इसके बाद अलट्रासाउंड से यह जानने की कोशिश की जाती है कि कहीं कोई अंग शरीर के अंदर ही तो नहीं रह गए। सभी टेस्ट को मिलाकर इस निष्कर्ष पहुंचा जाता है कि व्यक्ति पुरुष है या महिला।

सेक्स बदलाव

वे कहती हैं, ''ऐसे मामले भी आते हैं जब परिवार ने किसी बच्चे को लड़का समझ कर पाला होता है और वो दरअसल लड़की होती है। फिर कई बार हम उनसे पूछते हैं कि वे सेक्स बदलना चाहते हैं.''

चंडीगढं स्थित कॉस्मेटिक सर्जन कृष्ण कपूर कहते हैं कि यह खेलों में असाधारण है लेकिन ऐसे मामले होते हैं जब कोई पुरुष अपना लिंग बदलता है ताकि वो महिला बन कर खेल पाए जिससे उसके जीतने के अवसर बढ़ सकते हैं।

वे बताते हैं कि लोग अक्सर उनके पास लिंग बदलवाने के लिए आते हैं लेकिन यह कहना मुश्किल होगा कि उनमें से कितने खिलाड़ी होते हैं। डॉ कपूर कहते हैं, ''हम जरूरी नहीं समझते कि उनके काम के बारे में पूछा जाए। लेकिन खेल के नियमों के अनुसार कोई पुरुष सेक्स बदलने के दो साल बाद बतौर महिला खेल सकता है.'' अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के नए नियमों के मुताबिक एक पुरुष खिलाड़ी सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी करवाने के दो वर्ष बाद महिला वर्ग में खेल सकता है।

खेलों में लिंग पर सवाल

वैसे खेलों में लिंग का मामला सबसे अधिक विवादास्पद मामलों में से एक रहा है। खास तौर पर साल 2009 के बाद से जब दक्षिण अफ्रीका की केस्टर सिमेन्या ने बर्लिन में हुए विश्व चैंपियनशिप की 800 मीटर दौड़ जीती थी।

उन पर उनके प्रतिद्वंद्वियों ने पुरुष होने के आरोप लगाए थे। टेस्ट कराए गए और फैसला यह हुआ कि वे अपना टाइटल अपने पास रखेंगी और उनके टेस्ट के नतीजे गोपनीय रखे जाएंगे। लेकिन क्या भारत में खेलों में काफी मामले सामने आते है जब उनके सही लिंग को लेकर सवाल उठते हैं? और क्या हर धावक का लिंग टेस्ट करना अनिवार्य होता है?

भारतीय एथलेटिक्स संघ के निदेशक एमएल डोगरा कहते हैं कि नियमों के अनुसार केवल शिकायत आने पर ही धावकों का टेस्ट किया जाता है। वे कहते हैं, ''हमारे पास बहुत कम ही ऐसी शिकायतें आती हैं। ऐसे मामलों में हम उनकी लिखित शिकायत को आगे की कार्यवाही के लिए अपने मेडिकल अधिकारियों को दे देते हैं.''

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