इन्हें देखने वाला कोई नहीं  
संगमरमरी इमारत ताजमहल पर रोज हजारों टूरिस्ट्स का आना-जाना लगा रहता है। कहने को यहां ताज में एंट्री से पहले सिक्योरिटी के तमाम इंतजामात हैं लेकिन सिक्योरिटी में कई झोल हैं। अगर ताजमहल की सिक्योरिटी टाइट होती तो इस ऐतिहासिक इमारत के अंदर आवारा कुत्तों की पहुंच कतई नहीं हो पाती।
ये खतरा बड़ा है
आपने सही सुना, ताजमहल को आवारा कुत्तों से भी खतरा है। जानकारों की माने तो आवारा कुत्तों की इस तरह से ताजमहल के अंदर एंट्री कभी भी बड़े खतरे को अंजाम दे सकती है। कई इंटरनेशनल आंतकी संगठन आवारा कुत्तों में विस्फोटक लगाकर घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। आवारा कुत्तों का यूज आतंकी संगठन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए कभी भी कर सकते हैं। इसलिए सिक्योरिटी को चाहिए कि टूरिस्ट्स के साथ ही आवारा कुत्तों पर भी नजर रखी जाए।
ताज के अंदर रहते हैैं हर टाइम कुत्ते
टूरिज्म ट्रेड से जुड़े लोगों का कहना है कि जब भी ताजमहल में हर समय  कुत्ते दिखाई देते हैं। दबी जुबान से ताजमहल के  अंदर काम करने वाले कर्मचारी भी स्वीकार करते हैैं कि ताजमहल के अंदर तकरीबन आधा दर्जन से भी अधिक कुत्ते एक्टिव रहते हैं।
पहले भी हुआ है हमला


इंटरनेशनल आतंकी संगठन अलकायदा ने  पिछले कई सालों में आवारा कुत्तों को लेकर आंतकी हमला करने की कोशिश की है.  उन्होंने कुत्तोंं का ऑपरेशन कर उनके अंदर बॉम्ब प्लांट करके एक बड़ी घटना को अंजाम देने की कोशिश की थी। हालांकि उनका यह मंसूबा कामयाब नहीं हो सका था.  इस तरह की नाकाम कोशिशें वे कई बार कर चुके हैं।
घूमते हैं टूरिस्ट के बीच में
ताजमहल में हर दिन हजारों लोग आते-जाते हैं। एक-एक ग्रुप में दर्जनों लोग खड़े होकर ताजमहल का दीदार करते हैैं। ऐसे में कुत्ते भी इन मेहमानों के झुंड के बीच में पहुंच जाते हैं। मतलब कि विजिटर्स को कुत्ते दिखाई देते हैैं लेकिन ताजमहल की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों को ये कतई दिखाई नहीं देते। अगर ऐसा नहीं होता तो ताज के अंदर कम से कम आवारा कुत्ते तो कतई दिखाई नहीं देते।
ताज एक नजर में
४हर दिन करीब 20 हजार टूरिस्ट
४इनमें से ऐवरेज15 फारेनर और 4-5 हजार इंडियन टूरिस्ट होते हैैं।
४ताजमहल के अंदर कुत्तों की संख्या 6
४ताजमहल के आसपास कुत्तों की संख्या तकरीबन 750

साल १९93 से आगरा शहर में हुआ था दहशतगर्दी का आगाज

शहर पर आतंक की काली छाया कई बार पड़ चुकी है। लेकिन शहर का प्रशासन इसे लेकर बिल्कुल भी जागरुक नहीं दिख रहा है। तारीख  16 फरवरी साल 1993, सदर क्षेत्र में चलती बस में जोरदार धमाका हुआ। दो लोग घायल हुए और शहर में सनसनी मच गई। आगरा में आतंकवादियों की यह पहली वारदात थी। इस घटना के ठीक चार दिन बाद कैण्ट रेलवे स्टेशन पर टाइम बम मिला था। अगले दिन 17 फरवरी को मेहर में टाइम बम मिलने और उसी साल आठ जुलाई को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में धमाके की योजना भी शहर में बनी। वर्ष 1993 में महानगर आतंकियों के टारगेट पर आ गया। दिल्ली में इंडियन मुजाहिद्दीन ने अपने मंसूबे साफ कर दिए। उन्होंने विदेशियों पर निशाना साधा और फिर हमला करने की धमकी दी। सन 1993 से लेकर आगरा में आतंकियों की गतिविधियां चल रही हैं। जयपुर के लिए बम बनाने वाला सालार नामक युवक जगदीशपुरा इलाके में ठहरा था फिर फरह (मथुरा) में उसने ठिकाना बनाया। आगरा के राशिद बेग व फिरोजाबाद के डॉ। हामीद ने उसकी मदद की थी। 1997 में नकली नोटों की तस्करी के मामले
में पुलिस ने उसका फोटो जारी किया था। जिस मकान में वह ठहरा था, वहीं मकान मालकिन का गला रेत कर भाग निकला। उसके बाद एसटीएफ ने उसे मार दिया। इसी बीच  पीली पोखर (खंदौली) में एक बस में ?लास्ट हुआ, इसमें एक महिला की मौत हो गई तथा आधा दर्जन लोग घायल हो गए। ठीक चार दिन बार अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को भारत आना था। घटना के मुख्य आरोपित मोहम्मद यूसुफ को दस साल बाद पुलिस पकड़ सकी। फिलहाल वह जेल में है।
ताज के रखवालों का हाल बुरा
ताज के रखवालों का हाल बुरा है। सुरक्षा के नाम पर उनके पास खस्ताहाल मोर्चे और बेहाल बैरकें हैैं। हालांकि अब ताज के यलो जोन (बाहरी इलाका) में तैनात सिपाहियों को एसएलआर (सेल्फ लोड रायफल) थमा दी गई हैं। तीन-चार दिन पहले आईनेक्सट ने ताज के सुरक्षाकर्मियों का हाल जाना तो सच्चाई सामने आई।
दो साल पहले हुआ था ?लास्ट
दो साल पहले जयदेवी हॉस्पिटल में ?लास्ट हुआ था। पिलर के बगल में विस्फोटक रखा गया था। ?लास्ट पिलर को खत्म करके हॉस्पिटल को गिराने की साजिश थी। अभी तक वो केस खुला नहीं है। अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। सिटी स्लीपिंग मॉड्यूल्स का गढ़ स्लीपिंग मॉडयूल्स आतंकवादी आते हैैं, यानि वो आतंकवादी जो हमेशा शांति से काम करते हैैं। लोगों को जोड़ते हैैं,
धमाके करना इनका काम नहीं होता है, आईबी को ऐसे स्लीपिंग म़ॉड्यूल्स मिले हैैं। यह स्लीपिंग मॉडयूल्स बांग्लादेश, खाड़ी देश, पाकिस्तान में कॉल्स इंटरसेप्ट करते हैैं। इनकी जानकारी आईबी लेती रहती है।
आगरा में अलर्ट

आगरा में अलर्ट घोषित कर दिया गया है, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। आगरा हमेशा से ही आतंकियों का टारगेट रहा है, ऐसे में सुरक्षा का यहां तगड़े इंतजाम किए गए हैैं।  
शहर में बम फटने की घटनाएं

४19 अगस्त 2012 ताजगंज के बसई खुर्द में मकान के ऊपरी हिस्से में विस्फोट हो गया था। जिसमें तीन लोग बुरी तरह घायल हो गए। एक युवक की मौत हो गई। बीडीएस की टीम ने घटना स्थल की छानबीन की थी।
४17 सितंबर 2011 में थाना न्यू आगरा के हाइवे स्थित जय हॉस्पिटल में तेज धमाका हो गया था। उसमें कई मरीज और तीमारदार घायल हो गए थे। एटीएस, एनएसजी, पुलिस विभाग, आर्मी की भी कई टीमों ने आकर जांच पड़ताल की थी।
४ नवबंर 2012 में थाना एत्माउद्दौला के टेड़ी बगिया अरुण पेट्रोल पंप के सामने विशाल ढाबे पर जिंदा टाइमबम मिला था। ढाबा संचालक की सूचना पर पुलिस ने बम को निष्क्रिय कर दिया था।
४जनवरी 2013 में लोहामंडी के आलमगंज घनी बस्ती में मकान के
अंदर विस्फोट हो गये था, मकान फट गया। पुलिस मौके पर पहुंची तो इलाके में
किसी ने कोई जानकारी नहीं दी। पुलिस ने पान पराग के डि?बे में देशी बम भी बरामद किया था।
दिल्ली के बाद आगरा तो नहीं?
दिल्ली के बाद अब बारी कहीं आगरा की तो नहीं? बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा में कई सुराख हैं। ताजमहल के आसपास पुलिस का तगड़ा सुरक्षा घेरा है लेकिन इसे भेदने में देर नहीं लगेगी। सीआईएसएफ से इतर पुलिस व पीएसी के जवान खस्ता हालातों में ड्यूटी कर रहे हैं।
2000 में सिमी के कार्यकर्ता मारे गए थे
नौ अगस्त 2000 को सदर क्षेत्र में सिमी के तीन कार्यकर्ता एक ?लास्ट में मारे गए थे। यह लोग 15 अगस्त को स्टेडियम में आयोजित बच्चों के एक कार्यक्रम में धमाके करने की तैयारी में थे। वे बंद कमरे में बम बना रहे थे कि धमाके में मारे गए। उसी साल दिसंबर को भगवान टॉकीज के पास टाइम बम मिला था। वहीं, एक अगस्त 2004 को पुलिस ने फजल नामक व्यक्ति को पकड़ा था, जिसके पास से सैन्य क्षेत्र के नक्शे बरामद हुए थे। पुलिस का दावा था कि फजल एक आतंकी संगठन से जुड़ा है और सरहद पार उसने ट्रेनिंग ली है।

मुनज्जर अली, वरिष्ठ संरक्षण सहायक ताजमहल

ताजमहल के अंदर आवारा कुत्ते कई बार दिखाई दे जाते हैं। कई बार नगर निगम को भी बोला जा चुका है। यहां से कुत्ते पकड़े भी जा चुके हैं। दरवाजों पर तैनात कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी जा चुकी है। फिर भी चूक कहां हो रही है इसे दिखवाएंगे।