-सिल्वर व गोल्ड कैटेगरी में डेवलप करेंगे घर का एरिया

-स्थानीय लोगों को मिलेंगे रोजगार के नए अवसर

DEHRADUN (20 Feb) : उत्तराखंड में आने वाले दिनों में यदि टूरिस्ट होटल्स में जाने की बजाए स्थानीय लोगों के हाउसेज का रुख करें, तो आप चौंकिएगा मत, बल्कि आप चाहें तो आप भी अपने हाउस पर टूरिस्ट का मोस्ट वेलकम कर सकते हैं। टूरिस्ट डिपार्टमेंट की ओर से यात्रा रूट, मसूरी, नैनीताल समेत स्टेट के सभी टूरिस्ट स्पॉट्स के अलावा सभी जिलों में होम स्टे योजना की शुरुआत करने की प्लानिंग है। बस इस योजना के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में अप्रूव होने की ही देर है। इस योजना के शुरू होने से एक ओर स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, साथ ही दूसरे स्टेट से आने वाले टूरिस्ट होटल के भारी-भरकम बिल से भी बच सकेंगे और उन्हें घर जैसा माहौल भी ि1मल सकेगा।

सिल्वर और गोल्ड दो कैटेगरी

जो लोग भी अपने घर के कुछ एरियाज को टूरिस्ट प्लेस में कंवर्ट करना चाहेंगे, वे दो कैटेगरी सिल्वर और गोल्ड में इसे डेवलप कर सकेंगे। टूरिस्ट प्लेस की क्वालिटी, एरिया और किस तरह की सुविधाएं वहां मुहैया करवाई जा रही हैं, इस आधार पर टूरिस्ट से चार्ज किया जा सकेगा। खास बात ये है कि एक जिले से कितनी भी संख्या में लोग इस योजना के तहत अपने घरों में टूरिस्ट प्लेस डेवलप कर सकते हैं।

रोजगार के बढ़ेंगे अवसर

होम स्टे योजना का मोटिव पहाड़ में रहने वाले लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना है। इसके जरिए स्थानीय लोग अपने घरों में टूरिस्ट एरिया डेवलप करके घर बैठे रोजगार पा सकते हैं। रूम का साइज, फूड क्वालिटी, बेसिक नीड्स, होम डेकोरेशन और वेल्यू एडिशन सर्विसेज के आधार पर चार्ज फिक्स किए जाएंगे। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा, जो इन सबकी जांच करेगी। इसके बाद पर्यटन विभाग की ओर से इन टूरिस्ट प्लेस को अप्रूव कर दिया जाएगा। फिलहाल पर्यटन विभाग की ओर से स्टेट के कुछ जिलों में पेइंग गेस्ट नाम से योजना चलाई जा रही है, लेकिन यहां टूरिस्ट को दी जाने वाली सुविधाओं के लिए कोई मापदंड तय नहीं किए गए हैं

वर्जन

पेइंग गेस्ट योजना को डेवलप करके होम स्टे योजना में कंवर्ट करने की योजना है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति अपने घर के निर्धारित एरिया में टूरिस्ट प्लेस डेवलप कर सकता है। सुविधाओं को सिल्वर और गोल्ड दो कैटेगरी में बांटा जाएगा। उसके अनुसार ही टूरिस्ट से चार्ज किया जाएगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा।

-एके द्विवेदी, अपर निदेशक पर्यटन

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नया नहीं है कांसेप्ट

ऐसा नहीं है कि पहाड़ों में होम स्टे का कांसेप्ट कोई नया है। पहले से ही पहाड़ के कई गांव में लोग होम स्टे का कांसेप्ट चला रहे हैं। हालांकि यह आर्गनाइज वे में नहीं है। स्थानीय लोग टूरिस्ट को अपने यहां ठहराते हैं। लोकल फूड सर्व करते हैं। लोकल कल्चर से रूबरू करवाते हैं। इसके लिए वे एक तयशुदा रकम लेते हैं। पर यह सब आर्गनाइज तरीके से नहीं होता है, जिसके कारण किसी सीजन में उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है जबकि किसी सीजन में कुछ कमाई नहीं होती है।

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विदेशियों को भाता है होम स्टे

कुमाऊं और गढ़वाल के कई ऐसे गांव हैं जहां के लोग टूरिस्ट को ठहराते हैं। अगर अल्मोड़ा की बात करें तो वहां कसारदेवी सबसे फेमस टूरिस्ट स्पॉट है। वहां साल भर विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। ये टूरिस्ट वहां के गांव के घरों में रहना पसंद करते हैं। प्रकृति के बीच सुकून के पल गुजारने के लिए कई बार तो वे महीने दो महीने तक स्टे करते हैं। ऐसे में अगर पर्यटन विभाग अपनी योजना लागू करता है तो सबसे अधिक फायदा इन गांव वालों को होगा, क्योंकि वे सुविधाओं के आधार पर बेहतर तयशुदा फीस पर्यटकों से ले सकेंगे।

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क्या-क्या देनी होगी सुविधा

होम स्टे के लिए अगर कोई अपने रेसिडेंसियल एरिया का उपयोग करता है तो उसे कुछ जरूरी बेसिक सुविधाओं का ख्याल रखना होगा। पर्यटन विभाग द्वारा सर्टिफाई करने के बाद ही उन्हें पर्यटकों को अपने यहां रखने का अधिकार होगा।

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