मलाला डे
-बालिकाओं के प्रति अपराध में आगे है मेरठ
- 63.98 फीसदी है महिलाओं का लिटरेसी रेट पुरुषों के मुकाबले
-42 फीसदी लड़कियां आठवीं से पहले छोड़ देती हैं पढ़ाई
- 53.7 प्रतिशत महिलाएं लिटरेट हैं देहात क्षेत्र में
- 80.7 फीसदी मेल लिटरेसी रेट है शहर में
- 80.8 प्रतिशत मेल लिटरेसी रेट है देहात क्षेत्र में
- 45 हजार लड़कियां तकरीबन यूपी बोर्ड से करती हैं पढ़ाई
-12 हजार लड़कियां 10वीं के बाद छोड़ देती हैं स्कूल
- 2 लाख स्टूडेंट्स की संख्या है क्लास फर्स्ट से एट तक
- 90 हजार तकरीबन लड़कियां ही पढ़ती हैं प्राइमरी और जूनियर में
- 35 हजार लड़कियां सिक्स्थ से एट तक के बीच में छोड़ देती हैं पढ़ाई
- 20 हजार तकरीबन लड़कियां फर्स्ट से फिफ्थ के बीच में छोड़ देती है पढ़ाई
मेरठ: जब पढ़ाई की बात आती है तो परिवार का फोकस लड़कों पर ही होता है। ऐसे परिवार बहुत ही कम ही मिलेंगे जो लड़कियों की भी पढ़ाई का ध्यान रखते हैं। अधिकतर शहरों, राज्यों में लिटरेसी रेट लड़कों के मुकाबले लड़कियों का कम ही मिलेगा। मेरठ में 100 में 65 महिलाएं भी पढ़ी नहीं हैं। जो वाकई में चिंता का विषय है।
बढ़ रहे ड्रॉपआउट स्टूडेंट्स
इंडिया यूनिसेफ के आंकड़ों में देश में 42 फीसदी बच्चियां आठवीं क्लास से पहले स्कूल छोड़ देते हैं। यूपी माध्यमिक स्कूलों में 45 हजार लड़कियां पढ़ती है। जिनमें से 12 हजार लड़कियां 10वीं के बाद स्कूल छोड़ देती है। वहीं अगर बेसिक स्कूल की बात करें तो फर्स्ट से एट क्लास तक टोटल स्टूडेंट्स की संख्या 2 लाख है। जिनमें से 90 हजार लड़कियां ही पढ़ती हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि किसी न किसी मजबूरी की वजह से छह से लेकर आठ तक 35 हजार लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं। जबकि फर्स्ट से फिफ्थ तक 20 हजार लड़कियां पढ़ाई छोड़कर घर बैठ जाती हैं।
क्या हैं कारण?
-आज भी लड़कियों की पढ़ाई पर परिजन नहीं देते विशेष ध्यान
-माता-पिता के अनपढ़ होने की वजह से।
-लड़कों की पढ़ाई पर ध्यान देने की वजह से।
-जल्दी शादी करने के कारण पढ़ाई छूट जाना।
-बड़े परिवार में छोटे भाई बहनों को पालने के कारण।
-फैमिली इनकम ज्यादा न होना।
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वर्जन
सबसे बड़ा फैक्टर है माता पिता का अनपढ़ होना। जब वो ही अनपढ़ होंगे तो वो लड़कियों की एजुकेशन के बारे में क्या ध्यान रखेंगे। फिर सोच ये भी होती है कि लड़कियों को पढ़ाने का क्या फायदा, घर में रहेगी तो काम सीखेगी। बाद में ससुराल में काम आएगा। यही सोच समाज से बदलनी होगी।
-पूनम देवदत्त, सीबीएसई काउंसलर
ये हैं महत्वपूर्ण योजनाएं
1-आपकी सखी, आशा ज्योति केन्द्रों का संचालन
2-उप्र रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष
3-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
4-181 महिला हेल्प लाइन
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
-निराश्रित महिला पेंशन योजना
-पति की मृत्युपरान्त निराश्रित महिलाओं को सहायक अनुदान योजना
-पति की मृत्युपरान्त निराश्रित महिला से विवाह करने पर दम्पत्ति को पुरस्कार
-पति की मृत्युपरान्त निराश्रित महिला की पुत्री से विवाह के लिए अनुदान योजना
-दहेज से पीडित महिलाओं को आर्थिक सहायता योजना
-दहेज से पीडित महिलाओं को कानूनी सहायता योजना
-स्वाधार योजना
-स्टेप योजना
-उज्जवला योजना
-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
-महिला हेल्प लाइन
-महिला समाख्या कार्यक्रम
-महिला संघ
-नारी अदालत
-नारी शिक्षा
-संजीवनी केन्द्र
-महिला स्वयं सहायता समूह
-राजकीय महिला शरणालय
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वर्जन
केंद्र एवं यूपी सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाओं का संचालन हो रहा है। महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित आशा ज्योति केंद्र सरकार की कारगर स्कीम है। एक छत के नीचे पीडि़ता को सभी सुविधाएं दिलाने का वायदा सरकार कर रही है।
एसएस पाण्डेय, जिला प्रोबेशन अधिकारी