सीएमओ ने बताई विभाग की तैयारियां, एलाइजा टेस्ट की सिफारिश की

Meerut : अमेरिका में सादा फ्लू से सालाना 50 हजार से ज्यादा मरीजों की मौत होती है तो हिंदुस्तान में यह आंकड़ा कई गुना है। फ्लू का वैक्सीन न लगाने से ये स्थिति है। मेरठ में डेंगू का प्रकोप है किंतु इसे आइडेन्टीफाई करना बेहद आवश्यक है। डेंगू में प्लेटलेट्स काउंट पर नजर रखने के बजाय पेरेंट्स के ब्लड प्रेशर पर ध्यान दें। रविवार को जागरण प्रश्न प्रहर में आए सीएमओ डॉ। रमेश चंद्रा ने महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा विभाग की तैयारियों का जिक्र किया तो वहीं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ। एसपी सोंधी और डॉ। अमिताभ गौतम ने डेंगू के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ उपचार बताया।

क्या है डेंगू?

110 देशों में पाया जाने वाले डेंगू की जद में भारत है। 1960 में इस वायरस को आइडेन्टीफाई किया गया तो वहीं 2010 तक यह 30 गुना फैल गया है। डेंगू एक वायरल फीवर है और इसके पांच सब टाइप हैं।

डेंगू के लक्षण

डेंगू के मरीज में बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, आंखों में दर्द, स्किन पर लाल धब्बे आदि दिखाई देते हैं। कुछ दिनों बाद बुखार ठीक हो जाता है, और फिर वापस आ जाता है। कमजोरी रहती है, डेंगू बुखार के लक्षण बाकी वाइरल फीवर से बहुत अलग नहीं होते हैं।

खतरे की निशानी

मरीज को पेट में दर्द के साथ उल्टियां आना, पानी की कमी, बहुत पसीना आना, ब्लड प्रेशर का गिरना, खून जाना, पेट में पानी आ जाना, ज्याद घबराहट-बेचैनी होना। इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।

सामान्य इलाज

आराम करें, ज्यादा से ज्यादा पानी-लिक्वड लें। बुखार के लिए पैरासेटामॉल लें सकते हैं। एस्प्रिन, आईबूप्रोफेन आदि दर्द की दवाओं के अलावा एंटीबायोटेक न स्वयं न लें। खून का रिसाव होने की स्थिति में ही यह रिस्की है, इसलिए घबराएं नहीं।

डेंगू की केमिस्ट्री

एक्वायड वायरल फीवर (एबीएफ)-यह डेंगू की इनीशियल स्टेज या यूं कहें कि सामान्य बुखार की शुरूआत भर हो सकता है।

डेंगू हैम्म्रेजिक फीवर (डीएचएफ)-इस स्थिति में पहुंचने पर मरीज की डेंगू की जांच की आवश्यकता है। एक बात साफ समझ लें कि डेंगू की कोई दवा नहीं है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर मरीज के शरीर में हो रही गिरावट को कंट्रोल करते हैं। मसलन बीपी लो होने पर बीपी की दवा देंगे। पैरासेटामॉल के साथ ज्यादा से ज्यादा लिक्विड की डेंगू का इलाज है।

डेंगू शॉक सिन्ड्रोम (डीएसएस)- यह डेंगू की लॉस्ट स्टेज है, इस स्टेज में पहुंचने पर मरीज में अन्य लक्षणों के साथ-साथ शरीर से खून आने लगता है। 20-25 प्रतिशत मरीजों के लिए यह स्टेज रिस्की होती है।

समझें प्लेटलेट्स का गणित

एक्वायड वाइरल फीवर और डेंगू हेम्म्रेजिक फीवर दोनों में ही मरीज की प्लेटिलेट्स गिरती हैं। महज प्लेटलेट्स का गिरना डेंगू नहीं हो सकता है। प्लेटलेट्स या जंबो पैक चढ़वाना बेहद आवश्यक नहीं हो सकता, वरन डॉक्टर्स का कहना है कि प्लेटलेट्स काउंट को नेचुरली बढ़ने देना चाहिए।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारी

सीएमओ डॉ। चंद्रा ने आई नेक्स्ट को स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनपद के सभी सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टरों की ड्यूटी मुस्तैद कर दी गई है। सभी को कहा गया है कि वे फ्लू के मरीज की स्लाइड अवश्य बनाएं। जिला स्तर पर एक टीम बनाई गई है जो अस्पतालों और पैथालोजी में जाकर डेंगू के परीक्षण की प्रक्रिया पर नजर रख रही है।

मर्ज से बड़ा है 'डर'

एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव आने पर ही मरीज में डेंगू की घोषणा करें। इससे पहले डेंगू बता देना या डेंगू कहकर इलाज शुरू कर देना गुनाह है। सीएमओ ने स्वीकारा कि डेंगू को लेकर 'पेनिक' क्रिएट किया जा रहा है। निजी पैथोलॉजी और अस्पताल बिना एलाइजा टेस्ट कराए पेशेंट का इलाज डेंगू की पुष्टि कर शुरू कर देते हैं।

अनअवेयर पब्लिक, पब्लिसिटी नहीं

मेरठ में डेंगू की आधिकारिक पुष्टि सिर्फ मेडिकल कॉलेज की माइको बायोलॉजी लैब में हो सकती है। इसके अलावा सैंपल या तो दिल्ली जाते हैं या महज स्क्रीनिंग रिपोर्ट को सही मानकर डॉक्टर डेंगू का इलाज शुरू कर देते हैं। सीएमओ ने स्वीकारा कि शहर के कई पैथोलॉजी और डॉक्टर डेंगू को पेनिक बना रहे हैं।

डेंगू को पेनिक न बनाएं, स्वास्थ्य विभाग हर मरीज के साथ खड़ा है। डेंगू के नाम पर दहशत फैलाने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा।

डॉ। रमेश चंद्रा

सीएमओ, मेरठ

नार्मल फीवर और डेंगू में फर्क जानना आवश्यक है। डेंगू को लेकर अवेयरनेस जरूरी है, पर स्थिति पेनिक न हो। मेडिकल कॉलेज में फ्री एलाइजा जांच हो रही है, संदिग्ध अपने सैंपल की जांच यहां करा सकते हैं।

डॉ। अमित गर्ग

विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी,

मेडिकल कॉलेज, मेरठ