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PATNA : सूबे में नियोजित शिक्षकों की बहाली में बड़ी गड़बड़ी का मामला तो कई बार उठा है। मामला हाईकोर्ट और निगरानी तक भी पहुंच चुका है। पर अभी तक इसकी वृहत जांच नहीं की गई है। यदि सरकार इसकी जांच गंभीरता से करे तो शायद शराब बंदी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसा इसलिए कि कोर्ट के क्षमा दान के बाद तीन हजार शिक्षक खुद ही रिजाइन कर चुके हैं। ऐसे में सरकार को 8 करोड़ की बचत हर माह हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक यदि सूबे में फर्जी शिक्षकों की संख्या फ्0-ब्0 हजार होती है तो यह राशि कितना गुणा बढ़ जाएगी इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं।

जलाए जाते रहे रिकॉर्ड

क्8-0भ्-ख्00म् से बहाल नियोजित शिक्षक (तीन लाख ख्फ् हजार फ्8म्) के सर्टिफिकेट (एकेडमिक, ट्रेनिंग व एक्सपीरिएंस) की जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी। ख्8-07-क्भ् तक करीब तीन हजार शिक्षकों ने हाईकोर्ट की सख्ती के डर से रिजाइन कर दिया। रिजाइन करने की वजह यह कि इन पर एफआईआर, डिसमिसल और प्राप्त वेतन की वापसी से बचा जा सके। इसके बाद भी शिक्षा विभाग और निगरानी ?यूरो ने जांच की प्रक्रिया समाप्त नहीं की। दूसरी तरफ नियोजित शिक्षक नियोजन इकाई से मिलकर मेरिट लिस्ट / मास्टर चार्ज में हेराफेरी कर कई जिलों के कार्यालयों में रिकार्ड को जलवा दिया।

निगरानी को सौंपने का निर्देश

आईजी निगरानी बिहार पटना ने पत्रांक ख्क्8ख् दिनांक ख्भ्-0ब्-क्म् द्वारा शिक्षा विभाग को सूचना दी गई कि नियोजित शिक्षक नियोजन इकाई से तालमेल कर प्रमाणपत्रों में होराफेरी कर रहे हैं। इसके बाद निगरानी अन्वेषण ?यूरों द्वारा मास्टर चार्ट / मेधा सूची की मांग की गई है ताकि सत्यापित प्रमाण पत्रों का मिलान मास्टर चार्ट / मेधा सूची से कराई जाए। लेकिन निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने करीब दो माह बाद सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को निर्देश दिया कि प्राथमिक विद्यालय में नियोजित शिक्षकों का मास्टर चार्ट व मेधा सूची निगरानी ?यूरो को दिया जाए। इन बातों को हाईकोर्ट में बहस के दौरान सीनियर लॉयर दीनू कुमार ने ब्-07-क्म् को पुन: सूचित किया कि डायरेक्टर शिक्षा विभाग ने केवल प्राथमिक विद्यालय में नियोजित शिक्षकों का मास्टर चार्ट व मेधा सूची निगरानी को देने का निर्देश दिया है।

जल्द हो कार्रवाई

शिक्षा विभाग को स्पष्ट निर्देश निकालना चाहिए था कि प्राथमिक ही नहीं मध्य, उच्च व सीनियर सेकेन्ड्री स्कूल के नियोजन इकाई मास्टर चार्ट व मेधा सूची तुरंत निगरानी को दें ताकि जांच की कार्रवाई जल्द से जल्द हो। हाईकोर्ट ने इस बात का संज्ञान लेते हुए क्9-07-क्म् को प्रधान सचिव को स्पष्ट आदेश दिया कि तीन सप्ताह के अंदर बिहार में जितने नियोजन इकाई हैं वे सभी टीचर मेरिट लिस्ट विजिलेंस को सुपुर्द करें ताकि विजिलेंस दो माह में कार्रवाई कर हाईकोर्ट को सूचित करे।

ये है पूरा मामला

शिक्षक नियोजन के समय बहुत से शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट देकर नियुक्त हो गए और बाद में फर्जी सर्टिफिकेट को हटवाकर कम अंक वाले जायज सर्टिफिकेट जमा कर दिए। निगरानी व शिक्षा विभाग को मई ख्0क्भ् से ही मेरिट लिस्ट के आधार पर जांच करनी चाहिए थी। बहस के दौरान हाईकोर्ट में अधिवक्ता दीनू कुमार ने शुरू में ही कोर्ट से आग्रह किया था कि मेरिट लिस्ट में संलग्न अंकपत्र, प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और अनुभव प्रमाण पत्र जिनके आधार पर मेरिट लिस्ट बना व नियुक्ति हुई उसकी जांच कराई जाए। यह भी कहा गया कि इससे स्पष्ट हो जाएगा कि ब्0 हजार से ज्यादा जाली शिक्षक काम कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नियोजन इकाई पर क्8ब्म् एफआईआर दर्ज किए गए हैं लेकिन आज तक शिक्षा विभाग नियोजन इकाई के बड़े अफसरों पर कोई एफआईआर नहीं किया है।

मेरिट चार्ट में हेराफेरी

निगरानी मुख्यमंत्री के अंतर्गत आता है फिर भी वह तत्परता नहीं दिख रही। तीन हजार शिक्षक जिन्होंने स्वत: रिजाइन किया उससे सरकार को 8 करोड़ की बचत हर माह हो रही है। हाईकोर्ट के आदेशानुसार जांच हो जाए तो लाखों टीचर जाली पाए जाएंगे। फोल्डर (बहाली से जुड़े सर्टिफिकेट) नहीं जमा करनेवाले नियोजन इकाई और मेरिट चार्ट में हेराफेरी करने वालों पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है। गजब कि बात यह कि कई जिलों में निगरानी के पदाधिकारी शिक्षक के फोल्डर लेने के लिए भी पदस्थापित नहीं हैं जिसे हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है क्योंकि प्रधान सचिव ने कोर्ट को सूचित किया है कि अररिया, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, गोपालगंज, खगडि़या, नालंदा, समस्तीपुर, शेखपुरा, शिवहर में विजिलेंस पदाधिकारी को फोल्डर लेने के लिए डिप्यूट नहीं किया गया है।

जमा नहीं किया फोल्डर

सूबे में 9 हजार से ज्यादा नियोजन इकाई हैं। इसमें महज ब्फ्00 इकाई द्वारा ही फोल्डर और मास्टर चार्ट विजिलेंस को सुपुर्द किए गए हैं। करीब पांच हजार इकाई ने अभी तक मेरिट लिस्ट और फोल्डर जमा ही नहीं किए हैं। निगरानी सही से जांच करे और प्रारंभिक सहित मध्य, उच्च और सीनियर सेकेंड्री स्कूल के नियोजित शिक्षकों के उन सर्टिफिकेट्स की जांच की जाए जिस आधार पर उनकी बहाली हुई है तो लगभग ब्0 हजार शिक्षकों के फर्जी पाए जाने का अनुमान है। फर्जी पाए जाने पर सरकार इन टीचर्स से पांच साल तक ले चुके वेतन भी वसूलेगी और आगे से वेतन तो बंद होगा ही। यह राशि भी करोड़ों में हो सकती है।