जनवरी:
जनवरी महीने का नाम दो चेहरे वाले रोमन देवता 'जेनस' के नाम पर रखा गया है। जेनस के आगे पीछे के दो चेहरों की तरह जनवरी भी अपने से पहले और अपने बाद के महीनों की ओर देखती है।
फरवरी :
इस महीने का नाम लेटिन के फैबरा से रखा गया है।। इस महीने 15 तारीख को लोग शुद्धि की दावत दिया करते थे। वहीं कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक संतानोत्पत्ति की देवी फेबरुएरिया से मानते हैं।
मार्च :
यह भी रोमन देवता के नाम है। 'मार्स' के नाम पर मार्च महीने का नाम रखा गया है। रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था। यहां पर जाड़े के बाद शत्रुओं के आक्रमण की शुरुआत होने की वजह से भी ये नाम रखा गया।
अप्रैल :
लैटिन शब्द 'एस्पेरायर' का अर्थ खुलना से इसका नाम रखा गया है। रोम में इसी माह कलियां खिलकर फूल बनती थीं। इसलिए पहले इसका नाम एप्रिलिस हुआ और बाद में अप्रैल रखा गया।
मई :
रोमन देवता मरकरी की माता 'मइया' के नाम पर मई नाम रखा गया। मई नाम की उत्पत्ति लैटिन के मेजोरेस से भी माना जाता है। इसका अर्थ 'बड़े-बुजुर्ग रईस' होना भी है।
जून :
लैटिन शब्द जेन्स के आधार पर जून का नाम रखा गया। इसके अलावा रोम में भी सबसे बड़े देवता जीयस हैं एवं उनकी पत्नी का नाम है जूनो है। जिससे उनके नाम से भी इसे जोड़ा जाता है।
जुलाई :
राजा जूलियस सीजर के नाम पर इसका नामकरण हुआ। उनका जन्म एवं मृत्यु दोनों जुलाई में हुई।
अगस्त :
जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर के नाम पर ये नाम रखा गया है। आगस्ट ने खुद को अमर बनाने के लिए सेक्सटिलिस का नाम बदलकर अगस्टस कर रखा था।
सितंबर :
लैटिन में सेप्टैंबर के सेप्टै लेटिन शब्द का अर्थ सात होता है। वहीं बर का अर्थ वां हैं। जिससे यह दोनों मिलाकर सातवां हुआ, लेकिन बाद में यह नौवां हो गया।
अक्टूबर :
लैटिन में 'आक्ट' का मतबल आठ होता है। जिससे यह भी उस हिसाब से आठवां हुआ। हालांकि बाद में यह भी दसवां महीना हो गया है, लेकिन नाम नहीं बदला।
नवंबर :
नवंबर को लैटिन में 'नोवेम्बर' यानी नौवां कहा गया, लेकिन बाद में यह ग्यारहवां महीना हो गया। हालांकि इसके नाम में फेरबदल नहीं हुआ।
दिसंबर :
लैटिन डेसेम से दिसंबर महीने को डेसेंबर कहा गया।
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