GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्रिंसिपल डॉ। राजीव मिश्रा और उनकी पत्‌नी डॉ। पूर्णिमा शुक्ला को पुलिस ने गुरुवार दोपहर विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम शिवानंद सिंह की कोर्ट में पेश किया। बचाव पक्ष और अभियोजन की दलील सुनने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने दोनों को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया। डॉक्टर दंपति के कोर्ट में पेश होने के दौरान भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। एसपी सिटी की अगुवाई में कोर्ट रूम की गैलरी से लेकर परिसर के गेट तक चप्पे-चप्पे सुरक्षा कर्मचारियों की तैनाती रही। जेल भेजने के दौरान कचहरी में मौजूद कुछ लोगों ने डॉक्टर दंपति के खिलाफ नारेबाजी की। दिनभर कचहरी परिसर में गहमा-गहमी बनी रही।

खचाखच भरा रहा कोर्ट रूम, गैलरी में भीड़

मंगलवार को एसटीएफ ने कानपुर में छिपे डॉ। राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डॉ। पूर्णिमा को अरेस्ट किया था। गुरुवार को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर पुलिस दंपति को गोरखपुर पहुंची। डॉ। पूर्णिमा को महिला जबकि डॉ। राजीव मिश्र को गुलरिहा थाना में रखा गया। शुक्रवार को पुलिस ने दंपति को कोर्ट नंबर आठ में पेश किया। दंपति के पेश होने की सूचना पर कोर्ट परिसर खचाखच भर गया। सुरक्षा के लिहाज से कोर्ट की गैलरी से लेकर कचहरी के गेट तक पुलिस बल मौजूद रही। कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी बीडी मिश्र ने अपना पक्ष रखा। डॉक्टर दंपति पर दर्ज मुकदमों के तहत रिमांड देने की अपील की। बचाव पक्ष की ओर से सरकारी कर्मचारी के खिलाफ दर्ज मुकदमों का विरोध किया। बचाव पक्ष ने डॉक्टर राजीव मिश्र पर लगी धारा 308 का विरोध जताया। हालांकि दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने डॉक्टर दंपति को न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए जेल भेजने का आदेश्ा सुनाया.


 

कचहरी में टाइम टू टाइम

दोपहर 12.05 बजे: डॉक्टर दंपति को लेकर कचहरी में पुलिस पहुंची।

दोपहर 12.12 बजे: डॉक्टर को कोर्ट में ले जाया गया, वहां पहले से अधिवक्ता और पुलिस फोर्स मौजूद थी।

दोपहर 12.15 बजे: कोर्ट में मुकदमे की बहस शुरू हुई। जिला अभियोजन अधिकारी ने राज्य सरकार का पक्ष रखा।

दोपहर 12.36 बजे: कोर्ट रूम में बहस चली। फिर सन्नाटा पसर गया। डॉक्टर कटघरे में चहलकदमी करते रहे। उनकी पत्‌नी कुर्सी पर बैठ गई।

दोपहर 01.00 बजे: न्यायाधीश ने डॉक्टर पूर्णिमा से अपना बयान दर्ज कराने को कहा।

दोपहर 01.06 बजे: डॉक्टर दंपति को कोर्ट से जेल के लिए रवाना किया गया।


 

इन आरोपों में अभियोजन ने मांगी रिमांड

डॉक्टर राजीव मिश्र पर 308, 409, 120 बी और एंटी करप्शन की धारा 7/13 के तहत मामला दर्ज है। जबकि, डॉ पूर्णिमा शुक्ला आईपीसी की धारा 120 बी, एंटी करप्शन की धारा 7/13, 8 और 9 में आरोपित हैं। इन्हीं धाराओं के तहत अभियोजन ने कोर्ट में अभियुक्तों की रिमांड की डिमांड की जिस पर न्यायाधीश ने विचारण्ा किया।


 

अभियोजन ने रिमांड को रखा पक्ष

- मेडिकल कॉलेज के एकाउंट में रुपए होने के बावजूद फर्म को भुगतान नहीं किया गया। प्रिंसिपल चाहते तो आसानी से भुगतान हो सकता था। यह जानते हुए कि मेरे कृत्य से मरीजों की मौत हो सकती है। बावजूद इसके कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

- डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने की जानकारी होने के बावजूद प्रिंसिपल ने कोई एक्शन नहीं लिया।

- प्रिंसिपल की पत्‌नी कमीशन और कर्मचारियों से घूस लेती हैं। इसकी जानकारी प्रिंसिपल को थी। इस क्राइम में सभी बराबर के भागीदार हैं।

- कोई व्यक्ति झूठ बोल सकता है। लेकिन परिस्थितियां झूठ नहीं बोल सकती हैं। जिन धाराओं में अभियुक्तों की रिमांड मांगी जा रही है। उसके पर्याप्त साक्ष्य और गवाह केस डायरी में मौजूद हैं।

- पुलिस की पूछताछ में डॉक्टर दंपति ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार किया है।


 

बचाव पक्ष की दलील

-डॉक्टर दंपति की ओर से सीनियर एडवोकेट रमापति शुक्ला ने बचाव का पक्ष रखा।

-बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि यहां तो मैं अकेला हूं। फिर भी यह कहना चाहूंगा कि अभियोजन ने जिन धाराओं में रिमांड मांगा है। वह गलत है।

- अधिवक्ता ने कहा धारा 308 की जो बात कही जा रही है। उसके संबंध में कोई तथ्य मुकदमे में मौजूद नहीं हैं। इसलिए इसका कोई औचित्य नहीं है।

- एंटी करप्शन की धारा में 7/13 के तहत रिमांड मांगी जा रही है। लेकिन इसमें धारा 8 और 9 को समाहित नहीं किया जा सकता है। यदि इन दोनों की बात की जा रही है तो 7/13 का कोई अर्थ नहीं है।

-अभियोजन पक्ष जिनको अभियुक्त मान रहा है। वह लोक सेवक होने के साथ-साथ मेडिकल पेशे से जुड़े हैं.


 

मेडिकल कॉलेज से मेरा कोई मतलब नहीं

अभियोजन और बचाव पक्ष को सुनने के बाद न्यायाधीश ने डॉक्टर दंपति को अपनी बात कहने का मौका दिया। न्यायाधीश ने कहा कि आप चाहें तो अपना बयान दर्ज करा सकते हैं। डॉक्टर पूर्णिमा ने कहा कि मैं निर्दोष हूं। मेडिकल कॉलेज के किसी कार्य से मेरा कोई मतलब नहीं है। डॉक्टर अपना काम देखते हैं। मैं अपने अस्पताल का काम देखती हूं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने का आदेश दिया।


 

न कोई मलाल, न कोपरवाह

कोर्ट में पेशी के दौरान डॉक्टर राजीव मिश्र चिंतित नजर आए। कटघरे में मौजूद राजीव मिश्र अक्सर चहलकदमी करते रहे। बहस खत्म होने के बाद एक युवक सहित तीन लोग उनके पास पहुंचे। वह कान में कान सटाकर बात करते रहे। लेकिन कटघरे के पास कुर्सी पर बैठी डॉक्टर पूर्णिमा के चेहरे पर कोई शिकन नहीं था। हाथ में पानी की बोतल लिए हुए वह अपने परिचितों से बातें करती रहीं। उनको मुस्कुराते देखकर पुलिस कर्मचारी आपस में चर्चा करते रहे। पूर्णिमा के चेहरे पर कोई तनाव नहीं था। न ही किसी तरह कोई अपराध बोध। वह हरी शर्ट और नीली जींस पैंट पहने एक युवक से कुछ कहती तो वह डॉक्टर के पास जाकर बात करता। प्रिंसिपल दंपति के जानने वाले कोर्ट रूम के बाहर भी मौजूद रहकर हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे।

 

कोर्ट ने दलीलों को सुना। परीक्षण में पाया कि राज्य सरकार ने जिन धाराओं को इम्पोज किया। उसके पर्याप्त इविडेंस प्राप्त हुए हैं। इसके आधार पर माननीय न्यायालय ने अभियुक्तों को 14 दिन का रिमांड देते हुए दोनों को जेल भेजने का आदेश दिया।

बीडी मिश्रा, जिला अभियोजन अधिकारी

 

कोर्ट के आदेश पर डॉक्टर दंपति को जेल भेज दिया गया। दोनों की पेशी के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था इंतजाम किया गया था। अन्य अभियुक्तों की तलाश में दबिश दी जा रही है।

विनय कुमार सिंह, एसपी सिटी