-प्राइवेट हॉस्पिटल में पेशेंट की मौत के बाद परिजनों का हंगामा

-डॉक्टरों पर लगाया लाश के बदले पैसे मांगने का आरोप

- पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, कार्रवाई का दिया आश्वासन

GORAKHPUR:

धरती के 'भगवान' कहे जाने वाले डॉक्टरों की संवेदनहीनता एक बार फिर उजागर हो गई। परिजनों का आरोप है कि मरीज की मौत हो जाने के बाद भी डॉक्टरों ने घंटों तक उसकी लाश, महज पैसों की खातिर परिजनों को नहीं सौंपी। मामला शाहपुर स्थित राणा नर्सिग होम का है। इंतेहां तो तब हो गई जब नर्सिग होम के जिम्मेदारों ने लाश को कमरे में बंद कर डेढ़ लाख रुपए मांगने शुरू कर दिए। बाध्य होकर परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने करीब 1 बजे बॉडी का बाहर निकलवाया। इस बीच परिजनों ने डॉक्टर्स पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते रहे।

कर रहे थे पैसे की डिमांड

शाहपुर एरिया के चरगांवा ब्लॉक स्थित रेल विहार रोड राप्ती नगर फेज फोर राणा नर्सिग होम में गुरुवार की सुबह करीब 7.30 बजे पीपीगंज के रहने वाले शैलेष यादव की इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत की सूचना पर फैमिली मेंबर्स आपा खो बैठे और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाने लगे। परिजनों का कहना है कि नर्सिग होम के जिम्मेदार पूरा पैसा लेने के बाद ही लाश देने की बात कर रहे थे। शव को कमरे में बंद कर दिया गया और परिजनों से डेढ़ लाख रुपए का इंतजाम करने को कहा गया। परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन के दौरान पहले ही दो लाख रुपये दिया जा चुका था। मगर नर्सिग होम के लोग मौत पर सौदेबाजी कर रहे थे।

दस दिन बाद हुई मरीज की मौत

पीपीगंज थानाक्षेत्र के मोहम्मदपुर निवासी शैलेष कुमार यादव के पेट में 26 जुलाई 2016 को तेज दर्द उठने लगा। परिजनों ने उसे मेडिकल कॉलेज में एडमिट करवाया। डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज को आईसीयू की जरूरत है मगर यहां आईसीयू खाली नहीं है। हालत गंभीर होने पर उसे 27 जुलाई 2016 की शाम राणा नर्सिग होम में एडमिट करवाया। इलाज कर रहे डॉक्टर ने तमाम जांच करवाई और बिना बताए ही 31 जुलाई को उसका ऑपरेशन कर पेशेंट्स को आईसीयू में शिफ्ट कर दिया। आरोप है कि 10 अगस्त 2016 को डॉ। एके मल्ल और डॉ। प्रमोद सिंह ने बताया कि पेशेंट्स का ऑपरेशन हुआ था और लीक कर रहा है। फिर एक बार ऑपरेशन करना होगा। मृतक के भाई अरुण कुमार के मुताबिक मरीज की हालत दिन-प्रतिदिन खराब हो रही थी। डॉक्टर से ऑपरेशन के लिए आग्रह किया, लेकिन फिर भी दोबारा ऑपरेशन नहीं हुआ। अरुण का कहना है कि गुरुवार की सुबह करीब 7:30 बजे भाई शैलेष की मौत हो गई।

और डॉक्टर का कहना ये है

मामले में पक्ष जानने के लिए राणा नर्सिग होम के ओनर डॉ। अवनीश राणा को फोन किया गया। इस पर डा। राणा ने शैलेष का इलाज करने वाले डॉ। एके मल्ल से बात कराई। डॉ। मल्ल के मुताबिक शैलेष की आंत फट गई थी। इससे पहले परिजन मरीजों को मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में एडमिट करवाया था। लेकिन वहां डॉक्टर्स ने मरीज की हालत देखने के बाद वेंटीलेटर न होने के चलते मना कर दिया। परिवार के लोग मरीज के साथ पास के एक हॉस्पिटल पहुंचे। यहां भी डॉक्टर्स ने इंकार कर दिया। इसके बाद वह राणा हॉस्पिटल आए। मरीज की कंडीशन काफी खराब थी। इसके बारे में परिवार के लोगों को बता दिया गया था कि स्थिति सुधरने के बाद ही ऑपरेशन किया जाएगा। तीन दिन बाद मरीज का ऑपरेशन हुआ। उस समय वह ठीक था लेकिन बाद में उसकी हालत दोबारा खराब हो गई तो मेडिकल कॉलेज ले जाने की बात की गई। परिजनों ने मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स से भी संपर्क साधा, लेकिन बात नहीं बनी। परिजनों का दबाव था कि मरीज की किसी तरह से जान बचाई जाए। ऑपरेशन की तैयारी की जा रही थी। इस बीच उसकी मौत हो गई। जहां तक पैसे की बात है तो ऑपरेशन के मद में सिर्फ 45 हजार रुपये ही जमा थे। एक लाख रुपये और बकाया था। जब इस पैसे की बात की गई तो वे पुलिस थाने पहुंच गए।