-बेली हॉस्पिटल के डॉ1टर्स और स्टाफ ने लिया निर्णय

-पॉल्यूशन के बढ़ते स्तर पर लगाम लगाने को उठाया कदम

-सता रही अपनी सेहत की 5ाी फिक्र, शुगर, बीपी और हार्ट प्रॉ4लम से हैं त्रस्त

ALLAHABAD: कहीं से 5ाी हो, बस शुरुआत होनी चाहिए। बेली हॉस्पिटल के डॉ1टर्स और स्टाफ ने शहर को पॉल्यूशन फ्री करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। अब बाकी लोगों को उनका साथ देना है। अगले बुधवार से हॉस्पिटल के डॉ1टर और स्टाफ वाहनों का उपयोग नहीं करेंगे, जिससे डीजल और पेट्रोल से फैलने वाले पॉल्यूशन से छुटकारा मिल सके। इस निर्णय के दूसरे अन्य फायदे 5ाी बताए जा रहे हैं।

शहर की हालत दे2ाकर लिया निर्णय

मौजूदा समय में शहर की हालत 2ाराब है। सड़क 2ाोदाई से जाम और इससे बेतहाशा गाडि़यों का धुआं पॉल्यूशन फैला रहा है। इन दोनों दि1कतों को दूर करने के लिए बेली हॉस्पिटल के 35 डॉ1टरों ने निर्णय लिया है कि हर बुधवार को वह ड्यूटी पर पैदल या साइकिल से आएंगे। डीजल और पेट्रोल का जरा 5ाी उपयोग नही करेंगे। इससे जाम और पॉल्यूशन दोनों पर लगाम लगेगी। इस फैसले पर स्टाफ ने 5ाी सहमति जता दी है।

अपनी सेहत की 5ाी थी फिक्र

डॉ1टरों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से डॉ1टर्स 5ाी शुगर, बीपी, हार्ट से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं। इस फैसले से सप्ताह में एक दिन ए1सरसाइज के करीब आएंगे। आगे चलकर सप्ताह में एक से अधिक दिन इस नियम का पालन किया जा सकता है। उ6मीद जताई जा रही है कि कॉल्विन और डफरिन सहित अन्य सरकारी हॉस्पिटल के डॉ1टर 5ाी इस मुहिम में शामिल हो सकते हैं।

वर्जन

पीएमएस संघ और नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन के डॉ1टर्स ने यह निर्णय लिया है। शुरुआत अगले बुधवार को बेली हॉस्पिटल से होगी। आगे चलकर इसे बड़ी मुहिम बनाएंगे। इसके एक साथ कई फायदे होंगे।

-डॉ। कमलाकर सिंह, सचिव, पीएमएस संघ इलाहाबाद

दूसरों को सेहत का राज बताने वाले डॉ1टर्स को 5ाी अपने बारे में सोचना चाहिए। कई डॉ1टर लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों से परेशान हैं। उनके लिए यह निर्णय फायदेमंद है।

-डॉ। प्र5ाकर राय

जाम और पॉल्यूशन से जूझ रहे शहर के लिए यह बड़ा कदम साबित होगा। इससे दूसरे लोग 5ाी सबक लेकर आगे आएंगे। अगर प्रत्येक व्य1ित सप्ताह में एक दिन पैदल चले तो पॉल्यूशन को कम किया जा सकता है।

-डॉ। आनंद सिंह

शहर के साथ 2ाुद को फिट र2ाना हर नागरिक का कर्तव्य है। स5ाी को इसलिए आगे आना होगा। बेली के डॉ1टर्स ने फैसला किया है, अब दूसरों की बारी है।

-डॉ। नीता साहू