RANCHI: फिजियोथेरेपी की मदद से गर्भ में पल रहे बच्चे की पोजिशन बदली जा सकती है। वहीं, डिलीवरी के तीन महीने पहले से अगर महिला को फिजियोथेरेपी दी जाए, तो डिलीवरी के वक्त उसे ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह कहना है फिजियोथेरेपी के डॉ। एस पांडेय का। वह शुक्रवार को रिम्स आडिटोरियम में आयोजित इंडियन एसोसिएशन आफ फिजियोथेरेपिस्ट के भ्भ्वें एनुअल कांफ्रेंस में बोल रहे थे। डॉ पांडेय ने कहा कि जन्म से लेकर मौत तक अगर फिजियोथेरेपी की मदद ली जाए, तो सबकुछ आसान हो जाता है। फिजियोथेरेपी योग व एक्सरसाइज का ही एक पार्ट है, जो आपको फिट रखने में मदद करता है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत प्लेयर्स को पड़ती है, फिजियोथेरेपिस्ट से बगैर फिटनेस लिए कोई प्लेयर खेल नहीं सकता है। वहीं, आइएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो। उमाशंकर मोहंती की मानें तो कुछ खिलाड़ी इंज्यूरी के बाद खेल छोड़ देते हैं। ऐसे में उनका करियर भी समाप्त हो जाता है। लेकिन फिजियोथेरेपी की मदद से वह कम बैक कर सकते हैं। फिर से स्पो‌र्ट्स में अपना करियर बना सकते हैं।

यूजीसी से किया गया कोर्स ही वैलिड

फिजियोथेरेपी में यूजीसी के अंतर्गत किए जाने वाले कोर्स ही वैलिड हैं। इसके तहत बैचलर इन फिजियोथेरेपी, मास्टर्स इन फिजियोथेरेपी और पीएचडी इन फिजियोथेरेपी करने वाले ही ट्रीटमेंट कर सकते हैं। लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं, जो कुछ महीनों की ट्रेनिंग लेकर ट्रीटमेंट करते हैं। यह आपको फायदा पहुंचाने की बजाय नुकसान कर सकता है।

झारखंड में जल्द फिजियोथेरेपी कॉलेज: गवर्नर

मौके पर गवर्नर द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड में फिजियोथेरेपी की पढ़ाई के लिए कोई कालेज नहीं है। जल्द ही फिजियोथेरेपी कालेज खोला जाएगा। वहीं स्पेशल गेस्ट एक्स सीएम अर्जुन मुंडा ने कहा कि फिजियोथेरेपी आज हर किसी की जरूरत है। मौके पर आरयू के वीसी डॉ। रमेश पांडेय, रिम्स डायरेक्टर डॉ। बीएल शेरवाल, आइएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो। उमाशंकर मोहंती डॉ.राजीव रंजन, डॉ। दिनेश कुमार ठाकुर, डॉ। गौतम लाल, डॉ.मनोज हेंब्रम, डॉ.गोपाल कुमार समेत देश भर से आए फिजियोथेरेपिस्ट मौजूद थे।

रिम्स में कोर्स शुरू करने की तैयारी: डायरेक्टर

आरयू वीसी डॉ। रमेश पांडेय ने कहा कि फिजियोथेरेपी कालेज की स्थापना के लिए डिपार्टमेंट लेवल पर तुरंत काम शुरू किया जाएगा। वहीं रिम्स के डायरेक्टर डॉ। शेरवाल ने कहा कि रिम्स में ही फिजियोथेरेपी की पढ़ाई शुरू कराई जाएगी। इसके बाद अन्य यूनिवर्सिटी की मदद से इसे जारी रखा जाएगा।