RANCHI: अगर आप भी अपनी बीमारी का इलाज डॉक्टर से कराने की सोच रहे हैं, तो सोमवार को हॉस्पिटल न जाएं। क्योंकि जामताड़ा में सिविल सर्जन की पिटाई के विरोध में राज्यभर के डॉक्टरों ने हड़ताल की घोषणा कर दी है। सिर्फ इमरजेंसी और पोस्टमार्टम को इस हड़ताल से छूट दी गई है, ताकि गंभीर मरीजों का इलाज बाधित न हो सके। झासा की ओर से एक दिन की सांकेतिक हड़ताल को राज्यभर के 1800 डॉक्टर समर्थन दे रहे हैं। इसके बाद भी अगर डॉक्टरों की मांगों पर सरकार विचार नहीं करती है, तो रणनीति बनाकर आंदोलन करने की योजना है।

गाड़ी से निकालकर मारा था

दो दिन पहले जामताड़ा सिविल सर्जन डॉ। बीके साहा की कुछ अज्ञात लोगों ने गाड़ी से बाहर निकालकर पिटाई कर दी थी। इसके बाद से वहां ओपीडी सेवा को ठप करा दिया गया है। इसी के विरोध में झासा के बैनर तले सभी सरकारी हास्पिटलों के डॉक्टर ओपीडी में अपनी सेवाएं नहीं देंगे। इससे ओपीडी में आने वाले मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी।

रिम्स में 1200, सदर में 500 मरीज

सोमवार को सरकारी हास्पिटलों में मरीजों की संख्या आम दिनों की तुलना में अधिक होती है। रिम्स में जहां ओपीडी में 12 मरीज इलाज के लिए आते हैं, तो सदर में ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 500 के करीब है। वहीं, जिला हास्पिटल और प्राइमरी हेल्थ सेंटर में भी डॉक्टरों के नहीं रहने से मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी।

वर्जन

डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं हो रही है। ऐसे में डॉक्टर काम करने वाली जगह पर खुद को सेफ नहीं मान रहे हैं। यही वजह है कि कोई भी आकर डॉक्टरों पर हमला कर देता है और हम कुछ नहीं कर पाते। इसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर भी पड़ रहा है। अगर सरकार अब भी नहीं जागती है, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

-डॉ। विमलेश सिंह, सेक्रेटरी, झासा