सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के आधे से अधिक पद हैं खाली

DEHRADUN: डाक्टरों की कमी से जूझ रहे उत्तराखंड में अब उड़ीसा व तमिलनाडु के डॉक्टर अपनी सेवाएं देंगे। राज्य सरकार ने इन दो राज्यों में डॉक्टरों की विशेष भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। राज्य चिकित्सा चयन बोर्ड के माध्यम से होने वाली भर्ती की तैयारियों के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ। आरपी भट्ट के नेतृत्व में राज्य की एक टीम तमिलनाडु भेज दी गई है। राज्य सरकार ने इसके तहत दिसंबर में भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने का लक्ष्य तय किया है।

क्भ् साल से है परेशानी

राज्य गठन के क्भ् वर्ष बाद भी उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ सकी हैं। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी ही इसकी सबसे बड़ी वजह है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं। दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को इसका सबसे अधिक खामियाजा उठाना पड़ता है। भौगोलिक विषमता वाले इन क्षेत्रों में सरकार डॉक्टरों की तैनाती भी सुनिश्चित नहीं कर पा रही है। इस समस्या के निदान के लिए कुछ माह पूर्व ही प्रदेश सरकार ने राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड का गठन किया।

ख्भ्0 से फ्00 नए डॉक्टर मिलने की उम्मीद

सरकार अब इस नवगठित बोर्ड के जरिए उड़ीसा व तमिलनाडु से डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने जा रही है। तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेजों की काफी अधिक संख्या है, जिनसे हर साल बड़ी तादाद में एमबीबीएस डॉक्टर पास आउट होते हैं। इसके अलावा उड़ीसा में डॉक्टरों को उत्तराखंड की तुलना में काफी कम वेतन मिलने की बात भी सरकार के संज्ञान में आई है। लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग को इन दो राज्यों से लगभग ख्भ्0 से फ्00 नए डॉक्टर मिलने की उम्मीद है।

तमिलनाडु में प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में एमबीबीएस डॉक्टर पास आउट होते हैं, जबकि उड़ीसा में डॉक्टरों का वेतन अपेक्षाकृत कम है। इन दोनों राज्यों से उत्तराखंड को करीब फ्00 डॉक्टर मिलने की उम्मीद है। दिसंबर में भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

-सुरेंद्र सिंह नेगी, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तराखंड