छोटे नोट नहीं होने पर मरीजों को नि:शुल्क परामर्श दे रहे चिकित्सक

कई बड़े डॉक्टर्स ने घटा दी रजिस्ट्रेशन फीस

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ALLAHABAD: यह बदले वक्त का नतीजा है। कैश क्राइसिस से निबटने की मुहीम का हिस्सा है या फिर बिजनेस में खुद को बनाए रखने को लेकर चल रही जंग से बाहर निकलने का तरीका है। यह तो डॉक्टर्स ही जानें। लेकिन, इस चक्कर में पब्लिक का भला हो गया है। कई नामी डॉक्टर्स ने अपनी देखने की फीस घटा दी है। कुछ ने तो तीस सौ से लेकर चार फीसदी तक फीस में कटौती की है। कुछ डॉक्टर्स चेंज न होने पर भी पेशेंट्स को लौटा नहीं रहे हैं। कुछ डॉक्टर्स ने स्वैपिंग मशीन भी मंगवा ली है ताकि मरीजों को पेमेंट करने में कोई दिक्कत न हो। वैसे ज्यादातर डॉक्टर्स अभी भी कैश पेमेंट पर ही काम कर रहे हैं।

नोट पर पाबंदी ने बदल दी व्यवस्था

आठ नवंबर को पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट का चलन बंद होने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स ने भी इन नोटों से दूरी बना ली है। 8 नवंबर के पहले ज्यादातर डॉक्टर्स की फीस दो से लेकर पांच सौ रुपए के बीच थी। नोट बंदी के बाद मरीज पांच सौ और हजार के नोट लेकर दिखाने आने लगे तो डॉक्टर्स के कान खड़े हो गए। इस स्थिति में उनके पास मरीज को वापस लौटाने के अलावा कोई आप्शन नहीं था। कुछ ऐसे डॉक्टर्स जो सीधे मुंह किसी से बात तक नहीं करते थे, उनके यहां भी ट्रांजेक्शन मनी का संकट खड़ा हो गया। इसके बाद सबने फीस घटाने का फैसला लिया। अब शायद ही कोई ऐसा डॉक्टर शहर में हो जो प्राइवेट में देखने की फीस सौ रुपए से ज्यादा लेता हो। इससे फिलहाल तो पब्लिक का फायदा बढ़ ही गया। वह अब किसी भी बड़े डॉक्टर का परामर्श छोटा एमाउंट पे करके ले सकती है।

पैसा नहीं है तो भी देख रहे मरीज

सब जानते हैं कि डॉक्टरी पेशा आज सेवा से ज्यादा व्यवसाय में तब्दील हो गया है। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोट बंदी के साहसिक फैसले ने डॉक्टर्स को मरीजों की 'सेवा' वाली छवि को फिर से समाज के सामने लाने पर मजबूर कर दिया है। छोटे नोट की कमी के चलते कोई मरीज इलाज से वंचित न रह जाए इसके लिए चिकित्सक मरीजों को नि:शुल्क परामर्श दे रहे हैं। इतना ही नहीं, ज्यादा जरूरतमंद मरीजों को दवाएं भी बांट रहे हैं।

लगातार फ्री देख रहे मरीज

धूमनगंज के नारायण स्वरूप हॉस्पिटल के संचालक डॉ। राजीव सिंह पिछले कई दिनों से मरीजों से फीस नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है कि अधिकतर मरीजों के पास हजार व पांच सौ के नोट है और मार्केट में फुटकर की कमी है। मरीजों की मदद के लिए यह कदम उठाया है।

किसी को भी वापस नहीं किया

जार्जटाउन स्थित ओझा हॉस्पिटल के संचालक डॉ। एलएस ओझा की ओपीडी में भी फुटकर के अभाव में किसी मरीज को वापस नहीं किया जा रहा है। डॉ। ओझा की ओर से फुटकर न होने पर गरीब मरीजों को फ्री ऑफ कॉस्ट परामर्श दिया जा रहा है।

क्लीनिक पर लगा दिया है नोटिस

स्ट्रेची रोड स्थित श्वांस रोग निदान केंद्र के संचालक डॉ। आशुतोष गुप्ता ने तो क्लीनिक पर बकायदा नोटिस लगा दिया है। लिखा है कि अगर आपके पास पांच सौ और हजार के नोट हैं तो आपको फ्री परामर्श दिया जाएगा। मरीज डॉक्टरों के इस कदम की सराहना कर रहे हैं।

चेक और डेबिट कार्ड से भी पेमेंट

शहर के कुछ हॉस्पिटल्स ने आठ नवंबर के बाद मरीजों से इलाज और ऑपरेशन के पैसे चेक और डेबिट कार्ड से लेने भी शुरू कर दिए हैं। एएमए के पूर्व सचिव डॉ। बीके मिश्रा कहते हैं कि हमारे हॉस्पिटल में स्वैपिंग से भी फीस ली जा रही है। कोई बहुत मजबूर मरीज आता है तो उसको नि:शुल्क परामर्श दे रहे हैं।

फैक्ट फाइल

500 रुपए तक थी डॉक्टर्स की मरीजों को देखने की फीस

100 रुपए तक हो गई है अब रजिस्ट्रेशन फीस

1000 डॉक्टर्स ऐसे जो दो सौ से पांच सौ रुपए तक लेते थे