PATNA: पटना मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में रंजीत को तड़पता देख पत्थर भी रो दिए लेकिन डॉक्टरों का दिल पसीजा तक नहीं। रंजीत की जान पर उनका नाश्ता भारी पड़ गया। परिजन बार-बार उसकी जान की दुहाई देते रहे लेकिन डॉक्टर नाश्ता छोड़कर नहीं उठे। देखते ही देखते परिजनों की आंखों के सामने रंजीत ने हमेशा-हमेशा के लिए आंखें बंद कर ली। घटना के बाद लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और वह डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा करने लगे। इस दौरान अस्पताल का निरीक्षण करने केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे पहुंचे थे और लापरवाही के आरोप में डॉक्टर संजय पासवान को सस्पेंड करने का निर्देश दे दिया।

 

काश डॉक्टर में होती संवेदना

गुरुवार की सुबह दीघा निवासी रंजीत कुमार नासरीगंज पेट्रोल पंप के पास सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ था। आनन-फानन में उसे पीएमसीएच में भर्ती किया गया। यहां उसे सर्जन डॉ। संजय पासवान ने देखा, पर इलाज करने के बजाय वह वहां से चले गए। पेशेंट की हालात हर पल बिगड़ रही थी। यह देख परिजन बार-बार डॉक्टर के सामने हाथ जोड़ जान बचाने की गुहार लगा रहे थे, लेकिन वह नहीं आए। हर बार परिजनों को यही जवाब मिला कि डॉक्टर साहब नाश्ता कर रहे हैं। सुबह 9 से क्क् बज गए लेकिन डॉक्टर इमरजेंसी में रंजीत को देखने नहीं आए। रंजीत तड़पकर दम तोड़ दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे जब इमरजेंसी में निरीक्षण कर लौट रहे थे उसी दौरान उनकी नजर सीढ़ी के बगल विलाप कर रहे लोगों पर पड़ी। डॉक्टर की लापरवाही सुनते ही आग बबूला हो गए।

 

सवाल पर कांप गया डॉक्टर

बिना ड्रेस के पहुंचे डॉक्टर से मंत्री ने पूछा क्या यही आपकी ड्रेस है? एप्रन कहां है? मंत्री का सवाल सुनते ही डॉक्टर संजय के होश उड़ गए वह कांपने लगे। उसके बाद प्राचार्य डॉ। विजय गुप्ता ने डॉ। पासवान से पूछा कि आपने पेशेंट का क्या इलाज किया तो उन्होंने इसका भी कोई जवाब नहीं दिया। इस पर मंत्री ने डॉक्टर को सस्पेंड करने का निर्देश दे दिया। डॉक्टर को निलंबित करने की प्रक्रिया में कॉलेज के प्राचार्य डॉ। विजय कुमार गुप्ता ने ख्ब् घंटे के अंदर डॉ। पासवान से स्पष्टीकरण मांगा है।

 

जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में डॉ। प्रशांत कुमार एवं डॉ। रविंद्र कुमार से जांच रिपोर्ट मांगी गई है। डॉ। पासवान ने एक सप्ताह पहले पीएमसीएच में सीनियर रेजीडेंट के रूप में योगदान दिया था।

-दीपक टंडन, अधीक्षक, पटना मेडिकल कॉलेज