- बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में मरीज तड़पते रहे और डॉक्टर रहे गायब

- रविवार को आई नेक्स्ट के रिएलिटी चेक में डॉक्टर्स की लापरवाही आई सामने

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज पूरे पूर्वाचल के लोगों के लिए आखिरी आस है। लेकिन, डॉक्टर्स की लापरवाही से यहां आने वाले लोगों की भी सांस अटकी रहती है। रविवार को आई नेक्स्ट ने जब बीआरडी का रिएलिटी चेक किया तो हालात चौंकाने वाले थे। छुट्टी होने के कारण वार्ड तो बंद थे लेकिन आईसीयू में भी पेशेंट्स पड़े-पड़े तड़प रहे थे और डॉक्टर्स व नर्स का पता नहीं था। स्टाफ रूम की कुर्सियां खाली पड़ी मरीजों को जैसे चिढ़ा रही थी।

बेड भरे पड़े और कुर्सियां खाली

आए दिन बीआरडी में डॉक्टर्स नहीं मिलने की कंप्लेन होती है और तीमारदार व डॉक्टर्स में झड़प भी होती रहती है। रविवार को सुबह 7 बजे आई नेक्स्ट रिपोर्टर इसकी पड़ताल करने बीआरडी की पुरानी इमरजेंसी स्थित इमरजेंसी वार्ड और छह बेड वाले टीबी चेस्ट आईसीयू पहुंचा तो सच सामने आ गया। पेशेंट्स से बेड भरे पड़े थे तो डॉक्टर्स और स्टाफ की कुर्सी खाली पड़ी थी। वार्ड में टीबी के गंभीर मरीज एडमिट थे। तीमारदारों ने बताया कि इमरजेंसी हो या टीबी चेस्ट आईसीयू, कहीं भी न तो पेशेंट्स को इंजेक्शन दिया गया है और न ही दवाएं मिली हैं। एडमिट कर उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।

टीबी चेस्ट आईसीयू का यह हाल

टीबी चेस्ट आईसीयू में पांच मरीज एडमिट हैं। इनमें गुलरिहा के मुगलहा की ऊषा त्रिपाठी, खजनी के उनवल के रामनिवास, उरुवा के शिवनारायण, सरहरी की हुस्न आरा और महराजगंज की सुधा शामिल हैं। तीमारदारों ने बताया कि किसी को दर्द हो या कुछ भी, कोई देखने वाला नहीं है। बार-बार दौड़ने पर भी कोई नहीं मिलता। कुछ लोग कंप्लेन करने एसआईसी ऑफिस भी भी गए लेकिन रविवार होने के चलते वह भी बंद मिला।

ट्रामा सेंटर का भी बुरा हाल

वहीं, इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर एक पर महराजगंज जिला कारागार के बंदी रक्षक राणा प्रताप यादव एडमिट हैं। उन्हें गोली लगी थी। गंभीर हालत में शनिवार को उन्हें यहां लाया गया लेकिन रविवार दोपहर 12 बजे तक कोई कर्मचारी व स्टाफ नर्स नहीं आया। परिजनों ने ट्रामा सेंटर के जिम्मेदारों से बेहतर इलाज की गुजारिश की लेकिन किसी ने एक न सुनी। इसके बाद परिजनों ने राणा प्रताप को ट्रामा सेंटर के बेड संख्या 11 पर जबरन शिफ्ट करवाया।

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एक ही डॉक्टर, वह भी छुट्टी पर

जिला महिला अस्पताल में भी रविवार को हालात परेशान करने वाले थे। यहां एक ही बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। जयकुमार हैं जो चार दिन से छुट्टी पर हैं। वहीं एसआईसी भी विशेषज्ञ हैं लेकिन उन्हें अपने पद वाले कार्य करने होते हैं। ऐसे में नवजातों का इलाज भगवान भरोसे है। यहां ओपीडी में तीन से चार सौ महिलाएं व बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। वहीं अस्पताल के विभिन्न डिलेवरी से पैदा हुए नवजात भी एडमिट हैं। उधर, अस्पताल में डॉक्टर्स की बेहद कमी से एनएनयू आईसीयू पहले से ही बंद है।

वर्जन

अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ की कमी है। इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जहां तक डॉक्टर के छुट्टी पर जाने का सवाल है तो उनकी जगह पर मैं खुद प्रशासनिक कार्य के साथ गंभीर बच्चों को हैंडिल कर रहा हूं।

डॉ। एके गुप्ता, एसआईसी, महिला अस्पताल