आरएनटीसीपी के तहत निजी हॉस्पिटल्स के टीबी केसेज निक्षय में नहीं हो रहे दर्ज

फरवरी 2014 में सेंट्रल गर्वनमेंट के सर्कुलर के बावजूद नहीं चेता आईएमए बरेली

डीटीओ ने आईएम को जारी किए निर्देश, फॉलो न होने पर कार्रवाई की चेतावनी

BAREILLY: मेडिकल हब बने बरेली में निजी हॉस्पिटल्स और प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स ही टीबी को जड़ से मिटाने में दीवार साबित हो रहे हैं। टीबी के केसेज का सही आंकड़ा जानने को सरकार की ओर से जारी सकुर्लर को आईएमए बरेली अंगूठा दिखा रहा है। सेंट्रल गर्वनमेंट के फरवरी 2014 में भेजे गए सकुर्लर और आईएमए के कंसलटेंट की कोशिशों के बावजूद आईएमए से जुड़े किसी प्राइवेट डॉक्टर की ओर से डिस्ट्रिक्ट टीबी हॉस्पिटल में अपने टीबी पेशेंट्स का आंकड़ा नहीं दिया गया। सरकारी फरमान के बावजूद व्हाइट कोट जिम्मेदारों का यह गैर जिम्मेदाराना रवैया अब सरकार को अखर रहा है। डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर की ओर से आईएमए को टीबी नोटिफिकेशन पर चेतावनी दी गई है।

RNTCP से दूर टीबी

सेंट्रल गर्वनमेंट की ओर से देश में टीबी की रोकथाम के लिए एक प्रोग्राम शुरू किया गया। रिवाइज्ड नेशनल टुबरकोलोसिस कंट्रोल प्रोग्राम ( आरएनटीसीपी ) नाम से शुरू इस प्रोग्राम का मकसद देश के सभी टीबी केसेज को बेहतर इलाज व सुविधा दिलाना था। इसके लिए सरकार ने मई ख्0क्ख् में टीबी के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन डब्लयूएचओ की रिपो‌र्ट्स का हवाला देते हुए मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने साफ किया है कि आरएनटीसीपी के बावजूद हर साल देश में टीबी के लाखों केसेज सामने नहीं आ पा रहे। खुद डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर का मानना है कि बरेली में करीब भ्0 परसेंट टीबी केसेज का पता नहीं चल पा रहा जो प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इलाज करा रहे हैं।

फायदा नहीं, खतरे हजार

आरएनटीसीपी के तहत टीबी के केसेज की जानकारी न होने पर इस बीमारी के खिलाफ जारी जंग ठंडी पड़ रही है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के डायरेक्टर ने सभी स्टेट्स को लिखे अपने लेटर पर इस पर चिंता जाहिर की। दरअसल टीबी के ज्यादातर केसेज प्राइवेट हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स में इलाज करवाते हैं। कई बार इन केसेज में पेशेंट्स इलाज अधूरा छोड़ जाते हैं। इससे पेशेंट्स में टीबी के दवा के खिलाफ रजिस्टिविटी डेवलप होने लगाती है। यह खतरनाक स्टेज है, जिसमें पूरी कम्यूनिटी को टीबी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं आरएनटीसीपी के तहत न होने की वजह से लाखों केसेज को ट्रीटमेंट के लिए कॉउंसिलिंग, सोशल सपोर्ट सिस्टम कीमोप्रॉफिलेक्सिस का फायदा नहीं मिल पाता।

नहीं हो रहे दर्ज केसेज

मई ख्0क्ख् में टीबी पर नोटिफिकेशन जारी कर सेंट्रल गर्वनमेंट की ओर से सभी स्टेट्स की ओर से नॉमिनेटेड नोडल ऑफिसर्स की देश भर में नियुक्ति की गई। वहीं टीबी का इलाज कर रहे प्राइवेट हॉस्पिटल्स की सुविधा के लिए एक वेब बेस्ड मॉड्यूल तैयार किया गया। प्रोजेक्ट निक्षय नाम से शुरू इस कवायद में टीबी का इलाज दे रहे निजी हॉस्पिटल्स व नर्सिग होम्स का रजिस्ट्रेशन होना है। इसमें वह अपने टीबी केसेज के आंकड़े व जानकारी दे सकें, लेकिन नोटिफिकेशन जारी होने के बाद बरेली के किसी भी प्राइवेट नर्सिग होम या हॉस्पिटल की ओर से अपने आंकड़े निक्षय वेबसाइट पर नहीं दर्ज कराए गए।

नहीं टूट रही आईएमए की नींद

डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर बरेली की ओर से आईएमए बरेली को एक नोटिस जारी किया गया है। इसमें आईएमए से जुड़े और अन्य प्राइवेट हॉस्पिटल्स जो टीबी का इलाज कर रहे हैं, उन्हें क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन रेगुलेशन एक्ट ख्0क्0 के तहत अपने टीबी केसेज की जानकारी खुद को या आईएमए कंसलटेंट को देने को चेताया है। इससे पहले 7 फरवरी ख्0क्ब् को जारी इसी सर्कुलर के बाद भी आईएमए जिम्मेदारों की नींद नही टूटी थी। वहीं डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर की ओर से कई नर्सिग होम व चेस्ट स्पेशलिस्ट को पर्सनली हेल्थ विजिटर के जरिए सूचना दी थी, लेकिन उस कवायद के बाद भी महज तीन डॉक्टर्स की ओर से ही अपने टीबी केसेज के आंकड़े डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिस में मुहैया कराए गए।

डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर की ओर से कुछ दिन पहले ही नोटिस मिला है। टीबी नोटिफिकेशन पर कई डॉक्टर्स व हॉस्पिटल्स की ओर से जानकारी नहीं दी जा रही है। आईएमए की ओर से सभी मेंबर्स को इस बारे में सर्कुलर जारी किया जा रही है। मेंबर्स को पुराने और नए टीबी केसेज की जानकारी देने को एक मीटिंग भी बुलाई जा रही है।

- डॉ। जीएस खंडूजा, प्रेसीडेंट, आईएमए बरेली

फरवरी में सर्कुलर के बावजूद आईएमए से जुड़े व अन्य प्राइवेट नर्सिग होम्स से टीबी केसेज की जानकारी नहीं दी गई। आईएमए को नोटिस भेजी जा चुकी है। टीबी नोटिफिकेशन पर जानकारी न देने वाले नर्सिग होम्स के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसमें रजिस्ट्रेशन और टीबी का इलाज करने का लाइसेंस रद हो सकता है।

- डॉ। केके मिश्रा, डिस्ट्रिक्ट टीबी ऑफिसर