- मई में दिये थे चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के आदेश

- अब बोर्ड में विज्ञप्ति जारी करने की नहीं मिल रही अनुमति

DEHRADUN : चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय राज्य के सरकारी अस्पतालों के लिए 9क्भ् एमबीबीएस और बीडीएस डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना भूल गया है। निदेशालय की ओर से बीते मई में डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को दिये गये थे। बोर्ड की ओर से नियुक्ति पूर्व की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, लेकिन निदेशालय की ओर से इस संबंध में विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड निदेशालय से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने को कह चुका है, लेकिन इस पर निदेशालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही।

एक हजार से ज्यादा पद खाली

राज्य के अस्पतालों में एमबीबीएस डॉक्टरों के ख्म्00 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से क्म्00 पद खाली हैं। ये पद भी उस समय निर्धारित किये गये थे, जबकि जनसंख्या आज के मुकाबले काफी कम थी। पिछले कुछ सालों में शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या तेजी से बढ़ी है और इसी के हिसाब से डॉक्टरों की जरूरत भी बढ़ी है, लेकिन डॉक्टरों की संख्या बढ़ने के बजाय लगातार कम होती जा रही है।

फ्0 प्रतिशत से कम डेंटिस्ट

एमबीबीएस डॉक्टरों के अलावा राज्य के अस्पतालों में डेंटिस्ट की भी भारी कमी है। सरकारी सर्वे बताते हैं कि राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा दांतों की विभिन्न बीमारियों की चपेट में है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में डेंटिस्ट की भारी कमी है। सरकारी अस्पतालों में जरूरत के मुकाबले फ्0 प्रतिशत से कम डेंटिस्ट हैं।

ख्0फ् डेंटिस्ट होने हैं नियुक्त

स्वास्थ्य निदेशालय ने मई के महीने में 7क्ख् एमबीबीएस के साथ ख्0फ् बीडीएस डॉक्टर्स की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए भी कहा था। शासन स्तर पर यह भी निर्णय लिया गया था कि बीडीएस डॉक्टरों को भी प्राथमिक उपचार की इजाजत दी जाएगी। यह भी सफाई दी गई थी कि बीडीएस डॉक्टर्स को भी प्राथमिक उपचार के बारे में पढ़ाया जाता है, इसलिए वे सामान्य रोगों में दवाइयां दे सकते हैं, लेकिन अब तक इस फैसले पर भी अमल नहीं हो पाया है।

ट्रांसफर के बाद स्थिति बिगड़ी

हाल ही में शासन स्तर पर डॉक्टरों के बड़े पैमाने पर तबादले किये जाने के कारण स्थितियां और खराब हो गई हैं। सरकार की ओर से बार-बार डॉक्टरों को पहाड़ों में भेजने का दावा किया जा रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि जिन डॉक्टरों का मैदानी जिलों से पहाड़ों में तबादला किया गया है, उनमें से ज्यादातर ने या तो नौकरी से इस्तीफा दे दिया है या फिर लम्बी छुट्टी ले ली है।

------------

डॉक्टरों की भर्ती में एक से दो महीने का समय लगने की संभावना है। भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विज्ञप्ति जारी की जा रही है। ख्0 अक्टूबर को आवेदन करने की अंतिम तिथि होगी उसके बाद कुछ और समय लग सकता है।

-ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य।