JAMSHEDPUR: जमशेदपुर समेत कोल्हान के सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी मरीजों के लिए अभिश्राप बनती जा रही है। इससे मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। कोल्हान सबसे बड़ा हॉस्पिटल होने की वजह से पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले के मरीज गंभीर हालत में बेहतर इलाज के लिए एमजीएम रेफर किए जाते हैं। एमजीएम अस्पताल में डाक्टरों की कमी और बेड की समुचित सुविधा नहीं होने से मरीजों के इलाज में काफी परेशानी होती है।

सदर में भी डाक्टरों की कमी

शहर के खास महल में बने 50 बेड के जिला सदर अस्पताल भी डाक्टरों की कमी से लगातार जूझ रहा है। अस्पताल में कई विभागों में लंबे समय से डाक्टरों की तैनाती नहीं है। सदर अस्पताल में कई विभाग में ही डाक्टर की तैनाती होने से ओपीडी के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा हैं। सदर अस्पताल में ही बने जिला आयुष अस्पताल भी दो डाक्टरों के सहारे चल रहा है, जहां पर होमोयोपैथिक और आयुर्वेद विभाग में एक-एक डाक्टर की तैनाती है। अस्पताल में किसी के अवकाश में जाने के कारण डिपार्टमेंट बंद ही रहता हैं। शहर के बीमा अस्पताल में भी डाक्टरों की कमी हैं। इससे बीमित कर्मचारियों और उनके परिवार के लोगों को भी सुविधा नहीं मिल पा रही हैं।

प्राइवेट प्रैक्टिस पर जोर

प्रदेश में महज तीन सरकारी मेडिकल कॉलेज कॉलेजों में कुल 300 सीटें हैं। इन कॉलेजों में तालीम लेनेवाले डाक्टर सरकारी अस्पतालों के स्थान पर निजी प्रैक्टिस या फिर प्राइवेट हॉस्पिटल को अपनी पसंद बना रहे हैं। इससे सरकारी अस्पतालों को डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीट कम होने के चलते मेडिकल छात्र प्राइवेट कॉलेजों से एमबीबीएस कर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। इससे सरकारी अस्पतालों को अनुभवी डाक्टर नहीं मिल पा रहे हैं।

एजीएम हॉस्पिटल की स्थिति

विभाग स्वीकृत पद तैनात रिक्त पद

औषधि विभाग 18 09 09

शिशु रोग विभाग 09 05 04

चर्म व गुप्त विभाग 04 03 01

नेत्र रोग 04 01 03

अस्थि विभाग 09 05 04

सर्जरी 16 05 09

एनेस्थेसिया विभाग 03 03 00

नाक कान गला रोग 04 01 03

आईसीयू आईसीसीयू 06 01 05

स्त्री रोग और प्रसव 10 04 06

रेडियोलॉजी 02 01 01

कार्डियोलॉजी 03 00 03

गैस्ट्रोलॉजी 04 00 04

न्यूरोलॉजी 03 00 03

जिले के सभी अस्पतालों में डाक्टरों की काफी कमी है। इसके लिए चिकित्सा महानिदेशक रांची को पत्र लिखा गया हैं। डाक्टरों की संख्या कम होने के बाद भी मरीजों को बेहतर इलाज देने की कोशिश की जा रही है।

-महेश्वर प्रसाद, सीएस, पूर्वी सिंहभूम