- बिना इलाज के ही गंभीर हालात में लौटा दिया मरीज को

- छत से गिरने पर लगी थी रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट

Meerut न इलाज हुआ न, कोई एक्सरे। बस बिना इलाज के ही पड़ा रहा शमीम। जिला अस्पताल में घंटों दर्द से तड़पता रहा, लेकिन उसे इलाज नहीं मिला। अस्पताल से मरीज को उसके पड़ोसी हारकर किसी प्राइवेट अस्पताल ही ले गए। इरताफनगर में रहने वाले शमीम की छत से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी। उसके पड़ोसी उसे एक ठेले पर अस्पताल लेकर आए थे, लेकिन अस्पताल में इलाज तो दूर की बात रही, किसी ने उसे छुआ तक नहीं।

गहरी लगी थी चोट

इरताफनगर के शमीम घर की छत से गिर गया था। उसकी रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी। दोपहर क्ख् बजे उसके पड़ोसी दिलशाद और हबीब उसे जिला अस्पताल लेकर आए। अस्पताल में दो घंटे तक उसे लेकर इधर से उधर भटकते रहे। हड्डी वार्ड के सामने भी आधे घंटे तक वह पड़ा रहा, लेकिन अस्पताल में न तो किसी ने उनकी सुनी और न ही किसी ने उसे हाथ लगाया। उसके पड़ोसी दिलशाद ने बताया कि उसके हाथ से खून निकल रहा था, इसलिए उसकी पट्टी भी वह किसी डॉक्टर से पहले ही करवाकर आए थे।

नहीं है रीढ़ की हड्डी का डॉक्टर

अस्पताल से इलाज तो हुआ हीं नही साथ ही मरीज को मेडिकल रेफर भी नहीं किया गया। दिलशाद ने बताया कि जब हमने अस्पताल के हड्डी वार्ड में जाकर पता किया तो यही बताया गया कि यहां रीढ़ की हड्डी का डॉक्टर नहीं है। इसलिए यहां पर इसे दिखाना बेकार है। अस्पताल के डॉ। आरके गुप्ता ने उसे बिना देखे ही यूं ही लौटा दिया। दिलशाद ने बताया कि जब डॉ। से मेडिकल रेफर करने के लिए कहा गया, तो डॉक्टर ने इधर उधर की बात करके टाल मटोल कर दी।

दवा मांगने पर अभद्र व्यवहार

दिलशाद ने बताया कि जब हमने उसकी चोट के लिए किसी पेन किलर देने को कहा। तो वहां मेडिसन डिपार्टमेंट में उनके साथ मिसलेंग्वेज भी यूज किया गया। साथ ही अभद्र व्यवहार करते हुए बाहर निकाला गया। शमीम को ज्यादा गहरी चोट थी, उसे किसी अस्पताल ले जाना जरुरी थी। इसलिए वह जल्द से पास के किसी प्राइवेट अस्पताल के लिए उसे ठेले पर ही ले गए।

अस्पताल में मरीजों का इलाज करने की पूरी कोशिश की जाती है। ऐसा हो ही नहीं सकता कोई मरीज आए और उसे देखा न जाए। इसकी जानकारी ली जाएगी और जांच की जाएगी।

डॉ। सहदेव कुमार वालिया, एसआईसी, जिला अस्पताल