भारत दो टेस्ट मैच की सिरीज़ 1-0 से हारा जबकि इससे पहले पांच एकदिवसीय मैचों की सिरीज़ में उसे 4-0 से हार का सामना करना पड़ा था. कुल मिलाकर भारत न्यूज़ीलैंड दौरे पर एक भी मैच जीतने में नाकाम रहा.
कुछ ऐसा ही प्रदर्शन भारत ने इससे पहले दक्षिण अफ्रीका में किया था जहां वह दो टेस्ट मैचों की सिरीज़ 0-1 से और तीन एकदिवसीय मैचों की सिरीज़ 0-2 से हारा था.
विदेशी ज़मीन पर मिलती लगातार हार ने भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और उनके धुरंधरों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
क्या विदेशी पिचों पर भारत का यही हाल होता रहेगा, और क्या भारत के हाथ से जीत इसी तरह से फिसलती रहेगी और क्या धोनी के चहेते खिलाड़ी यूँ ही टीम में बने रहेंगे और सबसे बड़ा सवाल कि क्या अब आगामी एशिया कप और ट्वेंटी-ट्वेंटी विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान इन हार को भुला दिया जाएगा?
'दिल में मलाल'
भारत के पूर्व चयनकर्ता और क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ कहते हैं, "न्यूज़ीलैंड में भारत से सभी को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन उसका खेल बेहद निराशाजनक रहा. उसका सबसे बड़ा कारण भारतीय खिलाड़ियों का अपने खेल में तब्दीली न ला पाना रहा. इसके अलावा भारतीय स्पिनरों का वहां नाकाम होना भी चिंता का कारण है."
दूसरी तरफ़ भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ अतुल वासन कहते हैं, "दिल में मलाल है क्योंकि यह सिरीज़ भारत जीत सकता था. इसके अलावा कम से कम दूसरा टेस्ट मैच जीतकर भारत सिरीज़ को बराबर तो कर ही सकता था. जैसा दक्षिण अफ्रीका में हुआ वैसा ही न्यूज़ीलैंड में हुआ, एक जीता-जिताया मैच ड्रॉ कराकर ही टीम ख़ुश हो रही है. इसके अलावा एकदिवसीय सिरीज़ में भी हार से से विदेशो में हार का दौर लम्बा होता जा रहा है."
विकेट टेकर गेंदबाज़
भारतीय गेंदबाज़ी को लेकर मोहिंदर अमरनाथ कहते है, "भारत में धीमी और धूल भरे विकेट पर कामयाब भारतीय स्पिनर विदेशो में कामयाब नही हो सकते. बल्लेबाज़ी में केवल तीन बल्लेबाज़ कुछ ठीक-ठाक खेले. विराट कोहली बेशक शानदार बल्लेबाज़ हैं, अजिंक्य रहाणे अच्छा खेले. शिखर धवन को अभी विदेशी पिचों पर खेलने का अनुभव चाहिए खासकर तेज़ गेंदबाज़ी को."
दूसरी तरफ़ अतुल वासन कहते हैं, "विदेशो में विकेट चाहे जैसे भी हो लेकिन टीम में एक विकेट लेने वाला गेंदबाज़ तो होना ही चाहिए. एक गेंदबाज़ विकेट लेता है तो दूसरा मदद नही करता. दूसरा विकेट लेता है तो पहला मदद नही करता जिससे दोनों छोर से दबाव नही बन पाता है."
"तीन तेज़ गेंदबाज़, जिनकी टीम में जगह भी पक्की नही है, उनके साथ खेलना और रवींद्र जडेजा को बल्लेबाज़ी मज़बूत करने के लिए स्पिनर बना देना समझ से बाहर है. साढ़े तीन या पौने चार गेंदबाज़ो से टेस्ट मैच नही जीते जाते. धोनी की यह रक्षात्मक सोच नज़र आई."
भारत का भविष्य
अतुल का कहना है, "अब समय आ गया है कि एक कप्तान के तौर पर धोनी को एकदिवसीय या टेस्ट मैच में से एक को चुनना होगा. इसके अलावा चयनकर्ताओं की भी जवाबदेही होनी चाहिए. अगर धोनी के चहेते खिलाड़ी बिना किसी ख़ास प्रदर्शन के टीम में खेलते रहेंगे तो वह उन्हें खिलाते रहेंगे."
मोहिंदर अमरनाथ भी अतुल वासन से इत्तेफाक रखते हैं और कहते हैं, "अब किसी और खिलाड़ी को कप्तान के रूप में अवसर देना चाहिए."
मोहिंदर अमरनाथ और अतुल वासन, दोनों ही मानते हैं कि न्यूज़ीलैंड के कप्तान ब्रेंडन मैकुलम ने एक कप्तान के रूप में बेहतरीन उदाहरण पेश किया.
उनका मानना है कि एशिया कप और ट्वेंटी-20 विश्व कप की तैयारियों के बीच इस हार को नही भूलाना चाहिए क्योंकि यह भारत का भविष्य नही है और ये भी नहीं भूलना चाहिए कि अगला विश्व कप ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में होगा.
अब देखना है कि इस हार से भारत क्या सबक़ लेता है या फिर पहले की तरह ढाक के तीन पात रहते हैं.
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