-सिटी में डेली dog bite का शिकार हो रही है public, नगर निगम बना हुआ है अंजान

-हर गली, चट्टी चौराहों पर मौजूद कुत्तों का झुंड लोगों के लिए बन रहा है आफत

VARANASI

Case-1

गोदौलिया के रवि केशरी सुबह सब्जी लेने के लिए मार्केट निकले हुए थे। इस बीच आवारा कुत्तों के झुंड से निकले एक कुत्ते ने उन्हें अपना शिकार बना लिया। दर्द से कराहते रवि ने मंडलीय हॉस्पिटल, कबीरचौरा पहुंचकर रैबीज का इंजेक्शन लगवाया।

Case-2

गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल, कबीरचौरा कैंपस के अंदर आपस में लड़ रहे कुत्तों से बचने के चक्कर में नाटी इमली निवासी सुमित्रा देवी गेट पर ही नाले में गिर पड़ीं। उन्हें पैर में चोटें भी आई। हॉस्पिटल में कुत्तों का कुछ ज्यादा ही आतंक है।

ये केसेज महज एक बानगी भर हैं। शहर में डॉग बाइट के ऐसे कई केस डेली सामने आ रहे हैं। लोग आवारा कुत्तों से जख्मी हो रहे हैं। आवारा कुत्तों को काबू में करने के लिए नगर निगम के पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। हालांकि कुत्तों के काटने की हो रही घटनाओं पर साहब को कोई अफसोस भी नहीं है। यह बात दीगर है कि सिटी में यदि कोई वीवीआईपी मूवमेंट होता है तो नगर निगम चंद कर्मचारियों को लेकर सड़क पर कुत्तों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू कर देता है। अभियान तब तक जारी रहता है जब तक वीवीआईपी सिटी से गुजर नहीं जाता। निगम के पास ऐसा कोई डाटा भी नहीं है कि उसने कब-कब अभियान चलाया और अभियान के दौरान कितने आवारा कुत्ते पकड़े गये।

बंध्याकरण पर लग गया है ब्रेक

नगर निगम ने लास्ट ईयर एक योजना शुरू की थी जिसमें शहर से आवारा कुत्तों की संख्या को घटाने के लिए उनका बंध्याकरण किया जाएगा। शुरुआत में तो शहर की सड़कों पर घूमते मिले एक दर्जन आवारा कुत्तों का बंध्याकरण भी किया गया लेकिन उसके कुछ ही माह बाद यह योजना भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लिहाजा हर गली, हर मुहल्ले, हर चट्टी चौराहों पर कुत्तों का झुंड आपस में टकराते करते हुए मिल जाएंगे। यहां तक कि नगर निगम ऑफिस के आसपास तो कुत्तों का कुछ ज्यादा ही आतंक है।

कुछ ये है हाल

-मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा के वॉ‌र्ड्स में कुत्तों का है आना जाना।

-वीमेंस हॉस्पिटल जहां नवजात शिशु अधिक होते हैं वहां सबसे अधिक है कुत्तों का आतंक।

-नगर निगम ऑफिस के सामने और पीछे कुत्तों के मंडराने से लोगों में है खौफ।

-हर कॉलोनी के पार्क को अपना आशियाना बना चुके हैं आवारा कुत्ते।

-नगर निगम के पास नहीं हैं कुत्तों को पकड़ने का संसाधन, कर्मचारियों का भी है अभाव।

-मंडलीय व डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में हर रोज चार सौ रैबीज की होती है खपत।

आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए अभियान चलता रहता है। इधर कुछ दिनों से अभियान ठप पड़ा हुआ है। हालांकि इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि लोग कुत्तों के पकड़ने पर विरोध शुरू कर देते हैं, ऐसे में कर्मचारी कुत्तों को पकड़ने में इंट्रेस्ट नहीं लेते।

डॉ। असलम अंसारी

नगर पशु स्वास्थ्य व कल्याण अधिकारी, नगर निगम

सिटी में आवारा कुत्तों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन नगर निगम को इससे कोई लेना देना नहीं है। भले ही लोग जख्मी होते रहे।

विवेक पाठक, अर्दली बाजार

नगर निगम यदि बराबर अभियान चलाए तो सिटी से आवारा कुत्ते बहुत कम हो जाएंगे। लेकिन यहां तो सिर्फ वीआईपी मूवमेंट पर ही आवारा पशु व जानवर पकड़े जाते हैं।

अलीशान मंसूर, नई सड़क