- नगर निगम में कुत्तों और बंदरों के आतंक की दर्ज हो रही सर्वाधिक शिकायत
- पिछले दिनों नगर आयुक्त ने दिए थे स्टेरीलाइजेशन के आदेश, नहीं हुई कार्रवाई
BAREILLY:
शहर में कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। खौफ की यह दास्तां नगर निगम की वेबसाइट पर एक्शन की गुहार लगा रही है। फिर भी नगर निगम के अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा है। वैसे तो, कुत्तों और बंदरों के धरपकड़, स्टेरीलाइजेशन समेत अन्य कई योजनाएं तो अक्सर बनती हैं, लेकिन यह मूर्त रूप नहीं ले पाती हैं। यही वजह है कि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में कुत्तों काटने के रोजाना सौ से ज्यादा मरीज पहुंचते हैं।
टॉप पर है 'आतंक'
यूं तो स्मार्ट सिटी बनने की राह में रिपोर्ट के मुताबिक कूड़ा कचरा निस्तारण यानि शहर की साफ सफाई पहले पायदान पर है, लेकिन लोगों की दर्ज शिकायतों के मुताबिक साफ सफाई की समस्या दूसरे नंबर पर है। क्योंकि गलियों और रास्तों पर कुत्तों का आतंक है तो वहीं, छतों पर बंदर धमा चौकड़ी मचा रहे हैं। बंदरों से बचने के लिए पिछले दिनों सीबीगंज में एक महिला की छत से गिरकर मौत हो चुकी है। तो दूसरी ओर शहर समेत बहेड़ी, भोजीपुरा, भुता व अन्य ब्लॉकों में कुत्तों से काटे जाने के सैकड़ों केसेज अस्पताल में आए दिन पहुंच रहे हैं।
अभियान हुआ है बेअसर
पिछले दिनों कुत्तों के आतंक को शहर से कम करने के लिए कुत्तों का स्टेरीलाइजेशन कराने की योजना नगर निगम ने बनाई थी। नगर आयुक्त ने स्टेरीलाइजेशन की वीडियोग्राफी कराने के निर्देश दिए थे। ताकि, स्टेरीलाइजेशन वर्क में कहीं लापरवाही न हो। नगर आयुक्त के आदेश पर नगर निगम की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कुत्तों के बजाय कुतियों को पकड़ने की शुरुआत की, लेकिन स्टेरीलाइजेशन नहीं किया जा सका। वजह मर्सी फॉर एनीमल्स की टीम का विरोध रहा।
एक नजर में
वर्ष शिकायत संख्या
2017 कुत्ते, बंदर का आतंक 331
साफ सफाई 86
घटिया निर्माण 34
2016 कुत्ते, बंदर का आतंक 288
साफ सफाई 212
घटिया निर्माण 154
नोट - डाटा ऑनलाइन दर्ज हुई शिकायतें हैं।
अवारा पशुओं को पकड़ने के आदेश स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। कुत्तों को भी पकड़ने के आदेश दिए गए थे, लेकिन विरोध की वजह से स्टेरीलाइजेशन नहीं हो सका है।
राजेश कुमार श्रीवास्तव, नगर आयुक्त