इस बीच कई मौके ऐसे आए जब लगा कि दोनों देशों के बीच युद्ध भी हो सकता है और कई महत्वपूर्ण लोगों के आए बयान भी इसकी पुष्टि करते थे और लगता था कि युद्ध कभी भी छिड़ जाएगा। आइये डालते हैं उन बयानों पर नजर...

 

1. भारत की सुरक्षा को चुनौती देना होगा: सुषमा
विवाद शुरू होने के बाद संसद में पहली बार 19 जुलाई को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि चीन अगर भारत, चीन और भूटान के ट्रायजंक्शन को बदलने की कोशिश करता है तो यह भारत की सुरक्षा को चुनौती देना होगा। हालांकि, इस बयान के कुछ दिनों के बाद सुषमा ने कहा कि चीन और भारत के बीच डोकलाम विवाद बातचीत से ही हल हो सकता है।

 

2. चीन के कर्नल की चेतावनी
डोकलाम विवाद के दौरान चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सीनियर कर्नल ली ली ने 7 अगस्त को भारत को डोकलाम से सेना हटाने को कहा था और चेतावनी दी थी कि भारत अगर युद्ध से बचना चाहता है तो वह ऐसा करे। उन्होंने कहा था कि भारत की कार्रवाई पर चीन एक्शन लेगा और जब भी ज़रूरत होगी चीन तब कोई एक्शन लेगा।

 

3. 'भारत को दर्दनाक सबक़ सिखाएंगे'
बीजिंग के ग्लोबल टाइम्स ने संपादकीय में लिखा था कि, 'एक महीने में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने हरकत में आकर नियोजित तैनाती की। हमें यकीन है कि पीएलए भारत के साथ सैन्य विवाद के लिए तैयार है। एक बार युद्ध शुरू हुआ तो पीएलए भारत को पूरी ताकत के साथ दर्दनाक सबक सिखाएगी। अगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार चीन की सद्भावना को कमज़ोरी समझती है तो इसे नासमझी और भारत को बर्बाद करने के लिए भगवान की योजना ही कहा जा सकता है।"


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4. 1962 की स्थिति में नहीं है भारत: जेटली
चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत को कहा था कि वह पीछे हटे और काउंटडाउन शुरू हो चुका है। इसके बाद 9 अगस्त को राज्यसभा में अरुण जेटली ने बयान दिया कि भारत 1962 का भारत नहीं रहा है। उन्होंने कहा था कि 62 की तुलना में 1965 और 1971 के अनुभव के बाद भारत अपनी सेना को मज़बूत करता रहा है। जेटली ने कहा कि कोई भी कुर्बानी देते हुए भारत के जवानों में देश को सुरक्षित रखने की पूरी क्षमता है और वह चाहे पूर्वी सीमा हो या पश्चिमी सीमा हो।


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5. चीन यथास्थिति बदलने की कोशिश कर रहा: रावत
हाल में भारत के सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पुणे में कहा था कि चीन भारत से लगी अपनी सीमा पर यथास्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है और डोकलाम में अभी जो कुछ हो रहा है, वो इसी का नतीज़ा है। उन्होंने कहा था कि आने वाले वक्त में डोकलाम जैसी घटनाएं बढ़ सकती हैं। वहीं, लद्दाख के इलाके में दोनों देशों की सेना के बीच हुई कथित झड़प को लेकर जनरल रावत ने कहा कि ऐसे मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए एक साझा व्यवस्था पहले से अस्तित्व में है।

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