नागपंचमी का त्योहार 28 जुलाई को, इसी दिन गुडि़या पीटने की परंपरा का भी होगा निर्वहन

ALLAHABAD: नागपंचमी 28 जुलाई को मनाई जाएगी। इसी दिन एक और परंपरा का निर्वहन होगा। यह गुडि़या पीटने का दूसरा प्रमुख त्योहार होगा, जिसमें भाई बहनों की दीर्घायु के लिए रस्म निभाएंगे।

तीन स्थानों पर निभाएंगे परंपरा

नागपंचमी के दिन गुडि़या का तालाब, गंगा तट के किनारे शिवकुटी और मीरापुर स्थित ककरहा घाट पर गुडि़या पीटने की रस्म होगी। त्योहार में दो दिन का समय शेष बचा है यही वजह है कि मंगलवार को गुडि़या का तालाब में पानी की व्यवस्था की गई है।

क्या है परंपरा

लोक कथा के अनुसार एक शिव भक्त शिव मंदिर में जाता था जहां सांपों का वास था। इसमें से एक के सिर पर मणि थी। उससे शिवभक्त की दोस्ती हो गई और दोनों मणि के साथ खेलते थे। नागपंचमी के दिन शिवभक्त बहन को लेकर मंदिर गया। सांप को देखकर बहन डर गई और डलिया से पीट-पीटकर मणि वाले सांप को मार दिया। तभी से बहन को गुडि़या का प्रतीक मान लिया गया।

सिर्फ दो जगहों पर होती है कुश्ती

नागपंचमी के दिन व्यायामशाला में कुश्ती का आयोजन किया जाता है। इसके बारे में न तो कोई पौराणिक मान्यता है और न ही कोई जनश्रुति। सौ वर्ष पुरानी लोकनाथ व्यायामशाला और दारागंज स्थित 150 वर्ष पुरानी रघुबर दास व्यायामशाला में अब भी कुश्ती का आयोजन किया जाता है।

गुडि़या पीटने की परंपरा भाई-बहन के प्रेम के रिश्ते को मजबूत करती है। भाई फोम या कपड़े से बनी गुडि़या को पीटकर बहनों की दीर्घायु की कामना करता है।

सुधांशु उपाध्याय, वरिष्ठ साहित्यकार

नागपंचमी के दिन कुश्ती का प्रचलन ग्रामीण इलाकों में गुडि़या पीटे जाने की वजह से प्रचलन में आया है। सौ वर्ष से अधिक समय से इलाहाबाद में कुश्ती का आयोजन किया जाता है।

राजीव भारद्वाज, पूर्व अध्यक्ष, प्रयाग गहरेबाजी संघ