-पारंपरिक मकर संक्रांति पर दिया दान तो उदया तिथि में सोमवार को भी खूब होगा दान-दक्षिणा

-सौ गुना पुण्य कमाने के लिए तिल व तिल के लड्डू के साथ कंबल का भी हुआ वितरण

ALLAHABAD: आस्था की नगरी में मेले के दूसरे प्रमुख स्नान पर्व मकर संक्रांति पर्व श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया। भोर से लेकर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के समय तक जहां घाटों पर गुड़, तिल, तिल का लड्डू, चावल व कंबल का दान करते हुए दिखे वहीं उदया तिथि में संक्रांति मानने वाले श्रद्धालु सोमवार को संक्रांति के पुण्य काल दोपहर बारह बजे तक दान-दक्षिणा कर पुण्य कमाने के लिए जुटेंगे। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि संक्रांति पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर फिर से प्राप्त होता है। यही वजह रही कि स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मेला क्षेत्र में जगह-जगह संत-महात्माओं व पुरोहितों को तिल, गुड़ व कंबल का दान किया।

संगम नोज पर कराया क्षौर कर्म

मेला क्षेत्र में खासतौर से संगम नोज पर क्षौर कर्म के लिए नाई बाड़ा बनाया गया था। जहां स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने संक्रांति का पुण्य कमाने के लिए दान-दक्षिणा की वहीं अपने पित्तरों के निमित्त श्रद्धालुओं ने बाड़े में केश दान भी किया। मध्य प्रदेश व बिहार से आए श्रद्धालुओं ने दिनभर नाई बाड़ा में केश दान करते रहे। इसके बाद ही संगम में डुबकी लगाई गई।

कॉलिंग (फोटो नाम से पड़ी है)

तीर्थो की नगरी में आकर दान-दक्षिणा देने का अनंत पुण्य मिलता है। संक्रांति स्नान के बाद परिजनों के संग संत-महात्माओं को कंबल व तिल का वितरण किया गया।

-रास बिहारी मिश्रा

संक्रांति पर सूर्य एक माह के लिए शनि की राशि मकर में रहते हैं। शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। इसलिए पूर्व जन्मों के पापों को दूर करने की कामना को लेकर तिल के लड्डू का दान किया गया।

-आलोक शुक्ला

ऐसी मान्यता है कि संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना बढ़कर वापस आता है। इसीलिए दो दिनों तक लगातार स्नान करके दान-दक्षिणा दी जाएगी।

-मनोहर दास

संक्रांति पर मेला क्षेत्र में अपने परिचितों के साथ घूम घूमकर खिचड़ी का प्रसाद व तिल के लड्डू का वितरण किया गया है। इससे मानसिक शांति के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।

-विपिन तिवारी