RANCHI: महंगाई की मार झेल रहे लोगों को अब मिलावटी दाल का भी दंश झेलना पड़ रहा है। जी हां, सरकारी आदेश के बाद बाजार में उपलब्ध कराई गई दाल मिलावटी मिल रही है, जो कूकर में पांच से सात सीटी के बाद भी नहीं गल रही है। रातू रोड की नेहा राजगढि़या बताती हैं कि रात भर पानी में भिंगोने के बाद भी सुबह दाल नहीं गल रही है। इसे गलाने में ब्रांडेड कंपनी केप्रेशरकूकर की भी हवा निकल रही है। पांच से सात सीटियों के बाद भी दाल और पानी अलग-अलग रह जा रहे हैं। दाल का टेस्ट भी कुछ दूसरे प्रकार का है। गृहणियां बता रही हैं कि सरकारी दाल का आकार भी दूसरे दाल से बड़ा है।

गौरतलब हो कि अरहर दाल की आसमान छूती कीमतों को देखते हुए राज्य सरकार ने क्ब्भ् रुपए प्रति केजी की दर से दाल बेचने का निर्देश दिया था। इसके बाद चैंबर ने सस्ती दर पर दाल उपलब्ध कराने के लिए दुकानों की सूची जारी की थी।

दुकानदार वापस नहीं ले रहे दाल

मोरहाबादी के रहने वाले प्रभात कुमार सिंह का कहना है कि किराना दुकानदार अब मुनाफे के लिए सस्ती सरकारी अरहर दाल में मिलावट कर रहे हैं। चैंबर की ओर से निर्धारित एक दुकान से दाल खरीदने के बाद जब मिलावट की शिकायत की, तो दुकानदार ने दाल वापस लेने से ही इनकार कर दिया।

दाल में मिलावट से चैंबर का इनकार

अरहर की अच्छी दाल अभी भी क्80 से ख्00 रुपए किलो बिक रही है। चैंबर की दाल रेट कंट्रोल टीम के सदस्य हरि कानोडिया का कहना है कि राज्य सरकार के आदेश के बाद क्ब्भ् रुपए प्रति किलो दाल की कीमत तय की गई है। यह दाल तंजानिया से भारत में आयात हो रही है। मुंबई पोर्ट से अनलोडिंग होने के बाद यह अरहर छत्तीसगढ़ की दाल मिलों में मंगाई जा रही है। दाल तैयार करने के बाद छत्तीसगढ़ से झारखंड मंगाया जा रहा है। दाल का आकार थोड़ा बड़ा है, लेकिन स्वाद में कोई अंतर नहीं है। चैंबर के लोगों का कहना है कि दाल में किसी तरह की कोई मिलावट नहीं हुई है।

सस्ती दाल की दुकान का बोर्ड नहीं

दाल खरीदने के बाद उपभोक्ताओं को बिल नहीं दिया जा रहा है। दाल की कीमत भी दुकानों में दर्ज नहीं है। निर्धारित दुकानों पर सस्ती दाल उपलब्ध कराने का बोर्ड भी नहीं चस्पाया गया है। यही कारण है कि दाल की शिकायत के बाद दुकानदार वापस भी नहीं ले रहे हैं।

नहीं मिली है शिकायत

चैंबर की दाल रेट कंट्रोल टीम के सदस्य हरि कानोडिया का कहना है कि दाल नहीं गलने और मिलावट से संबंधित शिकायतें अब तक नहीं मिली है। दाल की क्वालिटी पास होने के बाद ही इसे रांची की सभी छोटी-बड़ी दुकानों में उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया कि दो साल पहले भी तंजानिया की अरहर दाल की बिक्री झारखंड में हुई थी।

क्या कह रहीं गृहणियां

पूरी रात पानी में भिंगोने के बाद भी दाल नहीं गल रही है। दाल की साइज बड़ी है और टेस्ट भी सामान्य दाल की अपेक्षा कड़वा है।

-नेहा

प्रेशर कूकर में सामान्य तौर पर तीन सीटी में दाल पूरी तरह से गल जाती है। लेकिन छह से सात सीटियों के बाद भी यह दाल नहीं गल रही है।

-खुशबू

दाल देखने में थोड़ा बड़ा है। इसमें पॉलिश भी ज्यादा की गई है। दाल के टुकड़े भी आपस में मेल नहीं खाते हैं। कोई दाल टेढ़ा है, तो कोई तिकोना। वहीं, किसी दाल के दाने की साइज पूरी तरह से गोल है।

ऋचा