बेवजह कमेंट करने से बचे

आप यदि सोशल नेटवर्किंग साइट  की पोस्ट पर कमेंट करते रहते हैं तो अब संभल कर करें। जब मन आया आया तब किसी के पोस्ट पर कुछ भी कमेंट कर दिया, यह अब भारी पड़ सकता है। आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है। क्योंकि न जाने किसका मूड आपके कमेंट पर खराब हो जाए और वह थाने पहुंच आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दे। बता दें कि सोशल नेटवर्किंग साइट की पोस्ट पर बिना सोचे समझे कमेंट करने वाले जेल की हवा भी खा चुके हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर बेवजह कमेंट करने से बचें।

हो सकती है गिरफ्तारी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कमेंट करने पर गिरफ्तारी के दो मामले अब तक सामने आए हैं। पहले में दूसरी पार्टी शिवसेना थी तो दूसरे में यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खां के निजी सचिव। मतलब दोनों ही हाई प्रोफाइल केस रहे। लेकिन कानून तो सबके लिए बराबर है। हाई प्रोफाइल मामलों में कार्रवाई हुई तो लोग पर्सनली भी इसे ले सकते हैं और कमेंट पसंद नहीं आया तो आईटी एक्ट की डिफरेंट धाराओं का यूज करके आपको सलाखों के पीछे तक पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। प्रेजेंट में कंडीशन यह है कि फेसबुक के यूजर्स बिना सोचे समझे किसी भी कमेंट को पोस्ट कर देते हैं। पुलिस अब आईटी एक्ट को लेकर गंभीर हो गई है। अदर डिस्ट्रिक्ट्स की तरह बनारस में भी साइबर सेल काम करने लगा है। इस तरह के मामले सेल में ही निबटाए जाएंगे।

हल्के में न लें यार

सोशल नेटवर्किंग साइट्स के यूजर्स अक्सर किसी भी पोस्ट पर कमेंट कर देते हैं। खासकर पॉलिटिकल लीडर्स से जुड़ी पोस्ट पर तो लोग अनाप शनाप शब्दों की बौछार कर देते हैं। कमेंट करते समय वो यही सोचते हैं कि राहुल गांधी या अखिलेश यादव एफआईआर दर्ज कराने तो जाएंगे नहीं। तो जो मन में आए कमेंट कर दो। लेकिन राहुल गांधी या अखिलेश यादव ही नहीं इनका कोई सपोर्टर भी यह काम कर सकता है। और तो और इनकी पार्टी भी ऐसे लोगों के खिलाफ संबंधित थाने में एप्लिकेशन दे सकती है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही आपकी प्रॉब्लम बढ़ा सकती है।

कमेंट करने की हो आजादी

वहीं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अनाप शनाप कमेंट को रोकने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट माना जा रहा है। कई एनजीओज द्वारा इस कानून के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी जा रही है। उनका मानना है कि किसी पब्लिक पर्सनैलिटी पर अपनी बात रखना, किसी इश्यू पर अपने व्यूज देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। हां, इस मामले में मर्यादा का हनन नहीं होना चाहिए।

ये करें avoid

फेसबुक पर किसी की अश्लील फोटो अपलोड न करें। अपने प्रोटेस्ट को सभ्य तरीके से दर्शाएं। किसी पॉलिटिशियन के कार्टून पर कमेंट करने से बचें। ऐसे शब्दों का यूज न करें जो माहौल को खराब कर सकता है या जो किसी को बुरा लग सकता है। किसी को भी धमकी भरे अंदाज में कमेंट न करें। इससे आप फंस सकते हैं। फेक आईडी कतई न बनाएं। दूसरे की फोटो व नाम का यूज करने से बचें।

इसके तहत होगी कार्रवाई

धारा 66-किसी को एसएमएस, ईमेल कमेंट पोस्ट करके धमकी देना।

66-बी-किसी भी इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट का मिसयूज करना या चोरी के गैजेट्स की खरीदारी करना।

66-सी-मोबाइल, ईमेल के थ्रू पासवर्ड चुराकर उससे फ्रॉड करने पर इस धारा के तहत होगी कार्रवाई।

66-डी-फर्जीवाड़ा करना। मसलन किसी दूसरे की फोटो और नाम से प्रोफाइल बनाना और उसको बदनाम करना।

66-ई-प्राइवेसी से रिलेटेड है। इसमें किसी को अश्लील मैसेज करना, किसी की अश्लील फोटो अपलोड कर देना, उसको शेयर करना।

66-एस-टेरेरिस्ट रिलेटेड एक्टिविटी में शामिल मिलने व ईमेल के थ्रू धमकी देकर डराने पर इस धारा में होगी कार्रवाई।

=67-किसी की निजता का हनन। मसलन किसी की प्राइवेट फोटो को अपलोड करना या उसको शेयर करना।

(नोट-जैसा सीनियर एडवोकेट हरिशंकर सिंह ने बताया.)

Experts says

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अक्सर यह देखा जा रहा है कि बिना सोचे समझे लोग सोशल नेटवर्किंग साइट्स के किसी भी पोस्ट पर अनाप शनाप कमेंट कर देते हैं। इन लोगों को पता नहीं कि यह कानूनन अपराध है। इसमें रिलेटेड व्यक्ति या संस्था के ऑब्जेक्शन करने पर जेल तक का प्रावधान है। बेहतर होगा कि कमेंट करने की हैबिट चेंज कर लें।

-श्रीनाथ त्रिपाठी, सीनियर क्रिमिनल एडवोकेट

किसी के खिलाफ पर्सनल कमेंट करने पर पहले से ही कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान है। रही बात सोशल नेटवर्किंग साइट्स के किसी पोस्ट पर कमेंट करने की तो यह भी आईटी एक्ट के दायरे में बंधा हुआ है। ऐसे में अपना विचार संविधान सम्मत ही प्रस्तुत करना उचित होगा। वरना कम्प्लेन पर कार्रवाई होना तय है।

-अमरनाथ सिंह, सीनियर एडवोकेट, हाईकोर्ट