इस साल के अनसुलझे केस

09 जनवरी: रायपुर में एटीएस अधिकारी कृष्ण कुमार शाहू के घर दिनदहाड़े बदमाशों ने दरवाजा तोड़कर लॉकर में रखी ज्वैलरी और हजारों की नगदी साफ कर दी थी। कृष्ण कुमार शाहू की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन आज तक मामले का खुलासा नहीं हो पाया है।

10 जनवरी: हरिद्वार रोड स्थित गंगा विहार निवासी अशोक सोनी की डिस्पेंसरी रोड स्थित सोनी म्यूजिक के नाम से इलेक्ट्रानिक शॉप से चोरों ने शटर तोड़कर लाखों का सामान चोरी कर दिया था। आज भी मामला पुलिस के लिए गुत्थी बना हुआ है।

21 जनवरी: मेहूंवाला स्थित विरेन्द्र वर्मा की बालाजी ज्वैलरी शॉप में चोरों ने शटर तोड़कर एक लाख कैश और छह लाख की ज्वैलरी साफ कर दी थी.  मामले में पुलिस की जांच चल रही थी कि चोरों ने पीडि़त पक्ष की एक और दुकान को निशाना बनाकर लाखों का सामान चोरी कर दिया। दोनों ही मामलों को पुलिस संदिग्ध मानकर जांच कर रही है।

31 जनवरी: रायपुर स्थित खुदानीखाला निवासी प्रॅपर्टी डीलर जुगल किशोर के घर पड़ी लाखों की डकैती के मामले में पुलिस ने कुछ दिन इधर उधर हाथ पांव मारे, लेकिन आज तक बदमाश पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

21 फरवरी : नया गांव निवासी प्रीतपाल की ज्वैलरी शॉप से लाखों की ज्वैलरी चोरी के मामले में भी पुलिस कुछ नहीं कर पाई है। जांच का हवाला देकर पीडि़त पक्ष का टरकाया जा रहा है।

28 फरवरी: खुड़बड़ा निवासी सुनील मेहंदी के घर दिन दहाड़े लाखों की चोरी में पुलिस ने तीन दिन बाद रिपोर्ट दर्ज की, लेकिन जांच के नाम पर महज कागजी कार्रवाई की जा रही है।

05 मार्च: मसूरी स्थित जड़ी पानी निवासी बुजर्ग मीरा देवी की हत्या के मामले में भी पुलिस के हाथ खाली है। जबकि शुरुआती दौर में पुलिस का दावा था कि अहम सुराग हाथ लगे हैं और जल्द ही कातिल को अरेस्ट कर लिया जाएगा। पुलिस का यह दावा भी झूठ साबित हुआ है।

02 अप्रैल: मसूरी स्थित होटल में आंध्रप्रदेश निवासी पर्यटक दीपक कुमार महापात्रा की जलाकर की गई हत्या के मामले को भी पुलिस संदिग्ध बताकर जांच कर रही है। पुलिस अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि यह हत्या है या फिर सुसाइड।

 

07 अप्रैल: कोतवाली एरिया के डांडीपुर निवासी देवेन्द्र गौड़ के घर लाखों की चोरी के मामले में भी पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस मामले को परिजनों की चूक बता रही है।

सट्टेबाजों पर खूब नजर है पुलिस की

हत्या, लूट, चोरी और डकैती के मामलों को सॉल्व करने में भले ही मित्र पुलिस नाकाम हो रही है, लेकिन सट्टेबाजों पर पुलिस की खास नजर रहती है। हाल फिलहाल के मामलों पर नजर दौड़ाएं तो कई केस पुलिस को हाथ लगे हैं। यह बात और है कि सभी सट्टे के मामलों में पुलिस पर संदेह की ऊंगली जरूरी उठी है। वैसे भी ऐसा होना राजधानी पुलिस के लिए कोई नई बात नहीं है। पूर्व में ऐसे कई मामले आ चुके हैं जिसमें खाकीधारी की भूमिका को लेकर चर्चा का बाजार गर्म रहा है। हाल ही में आईपीएल सट्टा लगाते गिरफ्तार व्यक्तियों के साथ मित्र पुलिस की मित्रता ने कई गंभीर सवाल पैदा किए थे।