बंगाली समुदाय में दुर्गा पूजा सबसे मुख्य फेस्टिवल है। पूरे सालभर से लोगों को इसका इंतजार रहता है। एक-दो महीने पहले से ही इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। पंडाल में रोजाना हजारों की संख्या में लोग सुबह व शाम की आरती में हिस्सा ले रहे हैं।

-राजीव दत्ता, प्रेसीडेंट पूजा समिति, बंगाली लाइब्रेरी

बचपन से ही दुर्गा पूजा का मेरी लाइफ में खास महत्व है। इस दुर्गा पूजा से काफी जुड़ाव है। देहरादून में मायका है। गुडग़ांव से स्पेशली छुट्टी लेकर दुर्गा पूजा सेलिब्रेट करने दून आई हूं।

-शुभ्रा

सालभर से दुर्गा पूजा का इंतजार रहता है। दुर्गा पूजा के दौरान रोजाना सुबह व शाम को पंडाल में पूजा करने आती हूं।

-शिखा दास, ओल्ड सर्वे रोड

दुर्गा पूजा के पांच दिन यहीं बीतते हैं। मां की आराधना के साथ-साथ इन दिनों परिवार के साथ खूब एंज्वॉय भी करते हैं।

-मोनिका चटर्जी, जाखन

मां की पूजा-अर्चना के साथ-साथ कल्चरल प्रोग्राम में भी हेल्प करती हूं। इन दिनों ऑफिस से छुट्टी ले रखी है।

दीप्ती चौधरी, बंगाली मोहल्ला

दुर्गा पूजा के दौरान आधे दिन का व्रत रखती हूं। मां को अंजलि चढ़ाने के बाद ही व्रत खोला जाता है। दुर्गा पूजा में सुबह के समय रोजाना नए कपड़े पहनने की भी परंपरा है।

शुभ्रा चक्रवर्ती, आर्य नगर