फ्लैग-कानपुर में इंसेफलाइटिस और सेटेबल मलेरिया का 'हमला'

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- इन बीमारियों से पीडि़त बालरोग हॉस्पिटल में एडमिट हो रहे बच्चों के दिमाग पर पड़ रहा असर

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KANPUR: बारिश के सीजन में बच्चों में बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। कानपुर में बच्चों पर बीमारियों का डबल 'अटैक' हो गया है। ऐसे में आप अलर्ट रहें क्योंकि डॉक्टर्स भी चेतावनी दे रहे हैं कि बच्चों को इस मौसम में होने वाली वाटर और वेक्टर बॉर्न डिजीज से बचाने के लिए खास ध्यान देने की जरूरत है। कानपुर में बच्चों के सबसे बड़े हॉस्पिटल हैलट स्थित बालरोग अस्पताल में इन बीमारियों से पीडि़त करीब भ् बच्चे डेली एडमिट हो रहे हैं। जिनकी हालत क्रिि1टकल है।

'जितनी बारिश, उतने बढ़ेंगे केस'

हैलट हॉस्पिटल से संबद्ध बालरोग हॉस्पिटल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। एके आर्या के मुताबिक जितनी ज्यादा बारिश होगी वाटर व वेक्टर बॉर्न डिजीज उतनी ही ज्यादा बढ़ेंगी। उनका कहना है कि समय पर इलाज मिल जाने से इन बीमारियों को पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है। डॉ। आर्या ने बताया कि इन बीमारियों के 'अटैक' की वजह से एसएनसीयू में भी क्षमता से दो गुने बच्चों का इलाज चल रहा है।

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क्या है सेटेबल मलेरिया?

- मलेरिया की वह स्टेज जिसमें पेशेंट्स शॉक सिंड्रोम में जाने लगता है।

- शॉक सिंड्रोम का मतलब मलेरिया का गंभीर इंफेक्शन है जोकि दिमाग पर पड़ता है।

- सेटेबल मलेरिया का असर उन बच्चों पर ज्यादा पड़ता है जो पहले ही किसी बीमारी से पीडि़त हैं।

- इसके लिए बच्चों को कुनाइन की जगह आर्टिसुनेट ड्रग दिया जाता है।

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एक्यूट इंसेफलाइटिस के लक्षण-

- तेज बुखार आना, शरीर पर लाल चकते पड़ जाना, झटके आना।

बच्चों पर दें ध्यान

डॉ। एके आर्या के मुताबिक बुखार और जुकाम होने पर बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। घर से निकलते समय उन्हें फुल ऑस्तीन के कपड़े पहनाएं, घर में पानी न भरने दें। स्कूल में किसी तरह का इंफेक्शन होने पर बच्चे को आराम करने दें। इधर-उधर भटकने की बजाए सीधे किसी पीडियाट्रिशियन को दिखाएं

वर्जन-

एईएस और सेटेबल मलेरिया के काफी मामले आ रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत यही है कि बच्चों को बुखार-जुकाम में इधर-उधर ले जाने की बजाए सीधे अच्छे डॉक्टर को दिखाएं। दोनों ही बीमारियां सही इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती हैं।

- डॉ। एके आर्या, असिस्टेंट प्रोफेसर, बालरोग अस्पताल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

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-क्क्0 बेड हैं पूरे बालरोग हॉस्पिटल में।

-क्0 बेड हैं हॉस्पिटल की इमरजेंसी में।

-ख्भ् बेड का यहां एसएनसीयू भी है।

-फ्भ् बच्चे इमरजेंसी में रोज हो रहे एडमिट।