अमेरिका में हुई हालिया रिसर्च के मुताबिक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक यूज करने वाले बच्चे न सिर्फ पढ़ाई में कमजोर बल्कि फ्रस्टेट भी होते हैं. हालांकि इसमें कुछ चौंकाने वाली बातें भी सामने आई हैं, जिनके मुताबिक सोशल नेटवर्किंग साइट्स बच्चों को आईडेंटिटी डेवलप करने में हेल्प करता है.

Side effects भी

स्टडी में बताया गया है कि मिडिल स्कूल, हाई स्कूल और कॉलेज के ऐसे बच्चे जो 15 मिनट की पढ़ाई के दौरान कम से कम एक बार फेसबुक देखते हैं, एग्जाम में उनके नंबर खराब आते हैं. वहीं अन्य स्टडी के मुताबिक जो किशोर फेसबुक पर एक्टिव रहते हैं वह ज्यादा इंट्रोवर्ट हो जाते हैं. स्टडी के अनुसार, फेसबुक के आदी एडल्ट मेंबर्स में दूसरी साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम्स पाई जाती हैं. जबकि मीडिया व टेक्निक दोनों यूज करने वाले किशोरों में डिप्रेशन बढ़ जाता है. 

थोड़ा अच्छा

अमेरिकन साइकोलॉजी एसोसिएशन की रिसर्च में एक अच्छी बात भी सामने आई है. रिसर्च के मुताबिक भले ही फेसबुक और अन्य टेक्निक्स पर बच्चों के बचपन को खत्म करने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन ये वेबसाइट्स बच्चों को अपनी आइडेंटिटी बनाने में हेल्प करती हैं. इससे उनमें दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता का भी इजाफा होता है. एक अन्य रिसर्च के मुताबिक जो बच्चे ज्यादा सोशल साइट्स का यूज करते हैं वह वर्चुअल के साथ-साथ रियल वल्र्ड में भी एंपैथी एक्सप्रेस कर पाते हैं. वे ऑनलाइन और ऑफलाइन नेटवक्र्स में खुद को ज्यादा सोशली सपोर्टेड मानते हैं.

बैलेंस बनाना होगा

टेक्नोलॉजी लोगों को कैसे अफेक्ट करती है जैसे विषय पर 25 साल तक स्टडी कर चुके लैरी कहते हैं कि बच्चों को ऑनलाइन कितना वक्त बिताना चाहिए? या कितना वक्त बिताना खराब है? यह पैरेंट्स की ड्यूटी है. रिसर्चर्स ने कहा कि हमने खुद ऐसी दुनिया बना रखी है जहां वे खुद को कांसन्ट्रेट नहीं कर सकते. यह सारे कूल स्टफ्स उन्हें डिस्ट्रैक्ट कर रहे हैं. हमें बैलेंस बनाना होगा. बहुत ज्यादा ऑनलाइन रहना हेल्थ के साथ-साथ मेंटल प्रॉब्लम भी क्रिएट कर सकता है. हालांकि यह आपका सेंस डेवलप करने में भी हेल्पफुल हो सकता है.

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