सर्राफा व्यापारी से ब्लैकमेलिंग का मुख्य आरोपी था इमरान, इलाहाबाद आकर चला गया पुलिस को भनक नहीं लगी

गहराई से हुई होती जांच तो ट्रैक हो जाता इमरान, चला जाता जेल

फाफामऊ के सर्राफा कारोबारी फूलचन्द्र केसरवानी केस का पर्दाफाश करके अपनी पीठ थपथपाने वाली इलाहाबाद पुलिस का लापरवाह रवैया हाईवे के किनारे मारकर फेंके गए संदीप और पूजा की मौत का कम जिम्मेदार नहीं है। पुलिस ने थोड़ा सा एफर्ट और किया होता तो न सिर्फ दोनो जिंदा होते बल्कि इमरान भी जेल की हवा खा रहा होता। लखनऊ के जल निगम के कर्मचारी को दस लाख रुपए से हाथ न धोना पड़ता।

अली के भाई ने दिया था सुराग

फाफामऊ के व्यापारी के साथ ब्लैकमेलिंग की रिपोर्ट सिविल लाइंस पुलिस ने सीधे दर्ज नहीं की थी। बाद में मामला तत्कालीन आईजी आरके चतुर्वेदी के पास पहुंचा तो उन्होंने पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करके जांच करने का आदेश दिया था। पूरा प्रकरण जानने के बाद आईजी ने खुद एसएसपी को फोन करके इसे सीरियसली लेने को कहा था। संयोग से इसी बीच उनका ट्रांसफर हो गया और पुलिस मामला खोलने के बाद सुस्त पड़ गई। पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस ने मामले का खुलासा करने के लिए जेल भेजे जा चुके अली के भाई को उठाया था। उसने पुलिस के सामने अपने भाई से बात की थी तब इमरान भी उसके साथ था। इसके बाद भी पुलिस ने अली के साथ दो लोगों को चालान किया और इमरान को भूल गई।

चाहते तो साथ ट्रैक हो जाते दोनों

सूत्रों के अनुसार पुलिस के पास यह गोल्डेन चांस था कि वह अली के मोबाइल की लोकेशन ट्रैक करके दोनो को पकड़ ले लेकिन इसके स्थान पर भाई को भी छोड़ने का फैसला लिया गया ताकि दोनो को लगे कि पुलिस शांत हो गई है। इस स्ट्रेटजी से अली तो हाथ आ गया लेकिन इमरान का कुछ पता नहीं चला। पुलिस ने संदीप और नूतन मर्डर केस के बाद जो कहानी बताई है उसके मुताबिक इमरान इस मर्डर केस के बाद इलाहाबाद में रहा भी था। इसके बाद भी उसे लखनऊ में पकड़ा तब गया जब एसटीएफ सक्रिय हुई। यानी लोकल पुलिस ने सिर्फ एक घटना पर कंसंट्रेट किया। खुलासा के नाम पर दो को जेल भेजा और शांत बैठ गई। इससे इमरान एंड कंपनी का हौसला बढ़ गया और उन्होंने एक और बड़ी वारदात को अंजाम दे डाला।

तफसील से जांच करेगी बड़े खुलासे

इमरान ने कॅरियर की शुरुआत प्रापर्टी डीलिंग के बिजनेस से की थी। बुकिंग एजेंट था और उस कंपनी से उसे गच्चा मिला था जहां वह काम करता था। इसके बाद वह मुंबई भाग गया और लौटा तो उसी टाइप के बिजनेस में इनवाल्व हो गया जिससे उसे गच्चा मिला था। खुद के प्रापर्टी डीलिंग बिजनेस में उसने संदीप और नूतन के साथ मिलकर कितनों को फंसाया है इसका खुलासा होना अभी बाकी है। शुक्रवार को नूतन की फोटो देखने के बाद सर्राफा व्यापारी ने कहा कि यह वह लड़की नहीं है जिसके साथ उसकी क्लिपिंग बनाई गई थी। नूतन की उम्र 30 के आसपास थी जबकि उसके सामने जो लड़की पेश की गई थी उसकी उम्र बमुश्किल 18 से 20 साल रही होगी। दूसरे वह यूपी की भाषा भी नहीं बोल रही थी। इससे यह आशंका भी बलवती हो गई कि इमरान की गैंग में कई लड़कियां शामिल हो सकती हैं। अब बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि पुलिस नए मामले में क्या रुख अख्तियार करती है। जांच करके इस गिरोह की तह तक पहुंचने की कोशिश करती है या फिर एक बार फिर दो को जेल भेजकर अपनी पीठ थपथपाने के बाद शांत बैठ जाती है?